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68) संस्कृत वाक्य अभ्यास

संस्कृत वाक्य अभ्यास
Sanskrit sentence study

संस्कृत वाक्य अभ्यास

संस्कृताभ्यासः 
 
*आज्ञार्थ*

अहं खादानि वा ? = मैं खाऊँ क्या?

अहं चॉकलेहं खादानि वा ?
= मैं चॉकलेट खाऊँ क्या ?

अहं दधि खादानि  ?
= मैं दही खाऊँ ?

मा खादतु यतोहि अधुना शीतकालः अस्ति ।
= मत खाईये क्योंकि अभी शीतकाल है। 

मिष्ठान्नं खादतु , अहम् उत्तीर्णा अभवम्।
= मिठाई खाईये , मैं पास हो गई।

अधिकं तैलीयं मा खादतु।।
= अधिक तैलीय मत खाईये।

अत्र उपविश्य खादतु।
= यहाँ बैठकर खाईये। 

भोजनमन्त्रम् उक्त्वा एव खादतु।
= भोजनमंत्र बोलकर ही खाईये 

पुनः पुनः मा खादतु।
= बार बार मत खाईये।

अवशिष्टं भोजनं मा खादतु।
= बासी भोजन मत खाईये।

अहम् एकाकी न खादिष्यामि भवान् / भवती अपि खादतु।
= मैं अकेला नहीं खाऊँगा आप भी खाईये।

*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*

*तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।*

।। जयतु संस्कृतम् ।।  जयतु भारतम् ।।

माता - उत्थितवान् वत्स ! 
        = जग गए बेटा ! 

पुत्रः - आम् उत्थितवान् अम्ब ! 
       = हाँ जाग गया माँ 

माता - पितुः चरणस्पर्शं कृतवान् वा ? 
        = पिता के पैर छुए ? 

पुत्रः -  आम्  अम्ब !
       = हाँ माँ 

       - भवत्याः अपि चरणस्पर्शं कृतवान् ।
       = आपके भी चरण छू लिये। 

माता - आं वत्स ! ज्येष्ठानां चरणस्पर्श: करणीयः । 
        = हाँ बेटा , बड़ों के पैर छूने चाहिये 

पुत्रः - अहं विद्यालये शिक्षिकायाः चरणस्पर्शं करोमि।
       = मैं विद्यालय में शिक्षिका के चरण छूता हूँ 

माता - उत्तमं बालक ।

       - सुयोग्यः भव ।
माता - मा रुदिहि वत्स ! 
        = मत रो बेटा ! 

        - दुग्धम् आनयामि। 
        = दूध लाती हूँ। 

        - पश्य , दुग्धं दुहित्वा आनीतवती। 
        = देखो , दूध दुह कर ले आई। 

        - गोमातुः दुग्धम् ....
        = गाय माता का दूध ... 

        - गोमाता मम वत्साय दुग्धं ददाति। 
        = गायमाता मेरे पुत्र को दूध देती है। 

        - गोमाता गोवत्साय अपि दुग्धं ददाति। 
       = गाय माता बछड़े को भी दूध देती है। 

       - पिब पिब मम वत्स ! मधुरं मधुरं  दुग्धं पिब।
       = पियो पियो मेरे पुत्र ! मीठा मीठा दूध पियो। 

       - ज्येष्ठः भूत्वा गोमातुः सेवां कुरु। 
       = बड़े होकर गौमाता की सेवा करो। 

       - मातुः दुग्धं पीतवान् । 
       = माँ का दूध पी लिया। 

       - अधुना गोमातुः दुग्धं पिबसि त्वम् ।
      = अब गाय माता का दूध पी रहे हो ।

संस्कृताभ्यासः 
 
*वर्तमानकाल*

अहं पिबामि = पीता हूँ / पीती हूँ हूँ।

 अधुना अहं जलं पिबामि।
= अभी मैं पानी पी रहा हूँ / रही हूँ।

अहं किं पिबामि ?
= मैं क्या पी रहा / रही हूँ ? 

अहं फलस्य रसं पिबामि।
= मैं फल का जूस पी रहा हूँ / रही हूँ।

इदानीम् अहं किमपि न पिबामि ।
= अभी मैं कुछ नहीं पी रहा हूँ /  रही हूँ।

सः/ सा किं पिबति ?
= वह क्या पी रहा / रही है ?

सः / सा दुग्धं पिबति।
= वह दूध पी रहा / रही है।

भवान् कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रहे हैं ?

भवती कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रही हैं ?

अहं आमलकस्य रसं पिबामि।
= मैं आँवले का जूस पी रहा / रही हूँ। 

योगाचार्यः अलाबोः रसं पिबति।
= योगाचार्यजी लौकी का जूस पीते है।

वृन्दा रजतचषके दुग्धं पिबति।
= वृन्दा चाँदी के गिलास में दूध पीती है । 

 स्मिता प्रातःकाले ऊष्णं जलं पिबति।
= स्मिता प्रातःकाल गरम पानी पीती है।

भोजनसमये सः जलं न पिबति।
= भोजन के समय वह पानी नहीं पीता है है।

भोजनान्ते सः तक्रं पिबति।
= भोजन के बाद वह छास पिता है

भरतः वारंवारं जलं पिबति।
= भरत बारबार पानी पीता है। 

*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*

*तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।*

।। जयतु संस्कृतम् ।।  जयतु भारतम् ।।

संस्कृताभ्यासः 
 
*भविष्यकाल*

अहं पास्यामि।
= मैं पियूँगा / मैं पियूँगी।

अहं न पास्यामि।
= = मैं नहीं  पियूँगा / मैं नहीं पियूँगी।

अहं निम्बरसं पास्यामि।
= = मैं नीम का रस पियूँगा / पियूँगी।

अहं रात्रिकाले दुग्धं पास्यामि।
= = मैं रात को दूध पियूँगा /  पियूँगी।

अहं चायं न पास्यामि
= = मैं चाय नहीं पियूँगा / पियूँगी।

सः कदलीफलस्य रसं पास्यति
= वह केले का जूस पियेगा।

मशकः रात्रौ रक्तं पास्यति।
= मच्छर रात में खून पियेगा।

रणजीतः उष्णं जलं पास्यति।
= रणजीत गरम पानी पियेगा।

सोमलता भगिनी पायसं पास्यति।
= सोमलता खीर पीयेगी।

स्मृतिः शीतलं जलं पास्यति।
= स्मृति ठंडा पानी पीयेगी।

शिशुः मातुः दुग्धं पास्यति।
= शिशु माँ का दूध पियेगा।

*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*

*सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *सरल वाक्यों का अभ्यास करें।*

।। जयतु संस्कृतम् ।।  जयतु भारतम् ।।



लाली ...  ई ... ई ..लाली .... ई... 

दीपकः चिकित्सालयात् गृहम् आगच्छति तदा लालीम् एव आह्वयति। 
= दीपक चिकित्सालय से घर आता है तब लाली को ही बुलाता है। 

लाली - ओ ..ओ.. तातः आगतवान्। 
        = ओ ...ओ ... पिताजी आ गए।  

         - भवान् अद्य बहु विलम्बेन आगतवान्। 
         = आप आज देर से आए। 

दीपकः - आम् अद्य रुग्णाः अधिकाः आसन्। 
          = हाँ आज रोगी अधिक थे। 

          - सर्वे परीक्षणीयाः भवन्ति खलु ।
          = सबकी जाँच करनी होती है न ।

लाली - तात ! अद्य मम शिक्षिका मम टिप्पणीपुस्तके "सर्वोत्तमम्" लिखितवती। 
        = पिताजी ! आज मेरी शिक्षिका ने मेरी कॉपी में " वेरी गुड" लिखा। 

दीपकः - ओ ... मम सर्वोत्तमा पुत्री। 
          = ओ  ... मेरी सर्वोत्तम बेटी। 

          - माता कुत्र अस्ति ? 
          = माँ कहाँ हैं ? 

लाली - अम्ब ! तातः आह्वयति। 
        = माँ ! पिताजी बुला रहे हैं। 

शिल्पा  - आगच्छामि .... 
          = आई ....  

          - भवान् हस्तौ प्रक्षालयतु।
           = आप हाथ धो लीजिये। 

          - भोजनम् आनयामि। 
          = भोजन लाती हूँ। 

          - सर्वे एकसाकं भोजनं करिष्यामः। 
          = सब एकसाथ भोजन करेंगे। 

दीपकः - सर्वे ???  लाली भोजनं न कृतवती वा ?? 
          = सब ??? लाली ने भोजन नहीं किया क्या ? 

शिल्पा - भवन्तं विना लाली भोजनं न करोति। 
          = आपके बिना लाली खाना नहीं खाती है। 

लाली - तात ! भवता सह भोजनं बहु रोचते।
        = पिताजी ! आपके साथ भोजन अच्छा लगता है।

अहं मम भार्यया सह वार्तालापं कुर्वन् आसम् ।
= मैं मेरी पत्नी के साथ बात कर रहा था। 

एकः सज्जनः आवयोः सम्वादं श्रृण्वन् आसीत्। 
= एक सज्जन हम दोनों का सम्वाद सुन रहे थे। 

सः पृष्टवान् - भार्यया सह संस्कृते वार्तालापं करोति ?
= उसने पूछा - पत्नी के साथ संस्कृत में बात करते हो ? 

अहम् - आम् । 
        = हाँ ।

सः पुनः पृष्टवान् - भार्यया सह विवादः भवति तदानीम् अपि ?? 
= उसने फिर से पूछा - पत्नी के साथ विवाद होता है तब भी ? 

अहम् - आम् , आवयोः मध्ये गभीरः विवादः न भवति। 
        = हाँ , हम दोनों के बीच गहरा विवाद नहीं होता है। 

सः उक्तवान् - " तथापि कीदृशः सम्वादः भवति ? 
= उसने कहा - फिर भी कैसा सम्वाद होता है ? 

अहम् - त्वं मम वार्तां न मन्यसे ।
        = तुम मेरी बात नहीं मानती हो। 

         त्वं मम वार्तां न श्रृणोषि ।
        = तुम मेरी बात नहीं सुनती हो।

         कति वारम् उक्तवान् , अहं भोजने लवणं न्यूनम् इच्छामि। 
        = कितनी बार कहा - मैं भोजन में नमक कम चाहता हूँ। 

         - कदापि समये सिद्धा न भवसि त्वम्। 
         = तुम कभी समय पर तैयार नहीं होती हो। 

        मम वस्तूनि कुत्र स्थापितवती ? 
        = मेरी वस्तुएँ कहाँ रख दीं ? 

सः सज्जनः मम सम्वादं श्रुत्वा हसितवान्। 
= वह सज्जन मेरा सम्वाद सुनकर हँस दिये। 

सः अवदत् - स्नेहपूर्णः विवादः । 
= वह बोला - स्नेहपूर्ण विवाद । 

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पुत्रः - अम्ब ! अद्य शिक्षिका उत्तमां कथां पाठितवती।
      = माँ , आज शिक्षिका ने अच्छी कहानी पढ़ाई। 

माता - एवं वा ? का आसीत् कथा ? 
       = ऐसा क्या ? कौनसी कहानी थी ? 

पुत्रः - ईश्वरः सर्वत्र अस्ति ।
       = ईश्वर सब जगह है । 

       - सः सर्वान् पश्यति। 
       = वह सबको देखता है ।

       कथायां ,  एकः गुरुः शिष्येभ्यः फलं ददाति।
       = कहानी में , एक गुरुजी शिष्यों को फल देते हैं । 

      - गुरुः वदति " यत्र कोsपि नास्ति तत्र गत्वा फलं खादतु।" 
      = गुरु बोलते हैं - जहाँ कोई नहीं है वहाँ जाकर फल खाओ। 

माता - अग्रे किम् अभवत् ? 
        = आगे क्या हुआ ? 

पुत्रः - एकः शिष्यः प्रकोष्ठे उपविष्य खादति। 
        = एक शिष्य कमरे में बैठकर खाता है। 
        - द्वितीयः वृक्षस्य उपरि आरोहति। 
        = दूसरा पेड़ पर चढ़ जाता है। 

        - तृतीयः नदीतटम् गच्छति । 
        = तीसरा नदी किनारे जाता है 

माता - चतुर्थः किं करोति ? 
        = चौथा क्या करता है ? 

पुत्रः - चतुर्थः शिष्य: फलं न खादति। 
        = चौथा शिष्य फल नहीं खाता है । 

       सः गुरुम् अवदत् 
       = उसने गुरु जी से कहा 

        ईश्वरः सर्वत्र अस्ति। 
        = ईश्वर सब जगह है ।

        अतः अहं फलं कथं खादानि ? 
         = तो मैं फल कैसे खाऊँ ? 

माता - बहु उत्तमा कथा आसीत् ।
        = बहुत अच्छी कहानी थी ।


सरितायाः देवरः रुग्णः अस्ति। 
= सरिता का देवर बीमार है। 

सा गृहे प्राथमिकोपचारं करोति। 
= वह घर में प्राथमिक उपचार करती है। 

सा देवराय त्रिशून-गुलिकां ददाति।
= वह देवर को त्रिशून गोली देती है। 

ऊष्णं जलं पाययति। 
= गरम पानी पिलाती है। 

दिनद्वयम् अभवत्  देवरः स्वस्थः न जातः। 
= दो दिन हो गए देवर स्वस्थ नहीं हुआ है। 

सरिता शीघ्रमेव यानं बहिः निष्कासयति। 
= सरिता शीघ्र ही गाड़ी बाहर निकालती है। 

सा देवरं याने उपावेशयति। 
= वह देवर को गाड़ी में बिठाती है। 

सा वैद्यसमीपं नयति। 
= वह वैद्य के पास ले जाती है। 

वैद्यः देवरस्य नाड़ीपरीक्षणं करोति। 
= वैद्य देवर की नाड़ी का परीक्षण करता है। 

वैद्यः देवराय विरेचनं ददाति। 
= वैद्य देवर को विरेचन देता है। 

होराद्वये एव देवरस्य उदरं स्वच्छं भवति। 
= दो घंटे में ही देवर का पेट साफ हो जाता है। 

देवरः स्वस्थः भवति। 
= देवर स्वस्थ हो जाता है। 

देवरः भ्रातृजायायाः चरणस्पर्शं करोति। 
= देवर भाभी के चरण छूता है। 

🙏🙏🙏
पुत्रः - अम्ब ! अद्य विद्यालयः न गन्तव्यः अस्ति। 
       = माँ ! आज विद्यालय नहीं जाना है 

माता - तर्हि गृहे एव अध्ययनं कुरु। 
        = तो फिर घर में अध्ययन करो। 

       - व्यर्थमेव समयः न यापनीयः । 
       = बेकार में समय नहीं गँवाना चाहिये। 

पुत्रः - अम्ब ! अहं श्लोकान् कण्ठस्थान् करोमि। 
       = माँ मैं श्लोक कंठस्थ कर रहा हूँ ।

माता - बहु शोभनम् । 
        = बहुत अच्छा ।

        - प्रातवेलायाः सदुपयोगं करोषि त्वम् ।
       = प्रात: वेला का तुम सदुपयोग कर रहे हो।

पुत्रः - ददातु , अहं जलं पूरयामि। 
       = दीजिये मैं पानी भरता हूँ।

       गीत्वा गीत्वा जलं पूरयिष्यामि 
       = गा गा के पानी भरूँगा । 

       - श्लोकान् अपि कण्ठस्थान् करिष्यामि। 
       = श्लोक भी कण्ठस्थ करूँगा। 

        - भवत्याः अपि कार्यं भविष्यति। 
        = आपका भी काम हो जाएगा। 

माता - उत्तमम् वत्स !



संस्कृताभ्यासः 
 
*भूतकाल*

अहं पीतवान् / पीतवती 
= मैंने पी लिया / मैंने पिया 

अहं क्रोधं पीतवान् / पीतवती
= मैंने क्रोध पी लिया।

अहं तु प्रातःकाले एव पीतवान् / पीतवती
= मैंने तो सुबह ही पी लिया

सरिता दशमूलारिष्टं  पीतवती।
= सरिता ने दशमूल काढ़ा पिया।

रूपेशः गोमूत्रं पीतवान् ।
= रूपेश ने गोमूत्र पिया।

गङ्गायां स्नानं कृत्वा सः गङ्गाजलं पीतवान्
= गङ्गा में स्नान करके उसने गंगाजल पिया।

उषा पानकं पीतवती।
= उषा ने शरबत पिया।

बालिका शनैःशनैः दुग्धं पीतवती।
= बालिका ने धीरे धीरे दूध पिया।

रात्रौ मशकः मम रक्तं पीतवान्।
= रात में मच्छर ने मेरा खून पिया।

*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*

*तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।*

।। जयतु संस्कृतम् ।।  जयतु भारतम् ।।

--- अखिलेश आचार्य


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