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संस्कृत स्वयं शिक्षक/sanskrit swayam shikshak/पाठ - 1/lesson - 1

Shripad Damodar Satwalekar 

(पं० श्रीपाद दामोदर सातवलेकर) जी रचित

संस्कृत स्वयं शिक्षक



 पाठ_1

Lesson - 1


    नीचे कुछ संस्कृत शब्द और उनके अर्थ दिए हुए हैं। फिर उनके वाक्य बनाये हैं।

                                      शब्द


सः - यह               

त्वम् - तू          

अहम् - मैं         

     

गच्छति - वह जाता है।

गच्छसि - तू जाता है।

गच्छामि मैं जाता हूँ।


                                      वाक्य


अहं गच्छामि मैं जाता हूं।

 त्वं गच्छसि तू जाता है। 

सः गच्छति वह जाता है।

   

         पाठक यहां ध्यान रखें कि संस्कृत वाक्यों का भाषा में अर्थ शब्द के क्रम से ही दिया गया है।


                                      शब्द


कुत्र - कहा।       

यत्र-जहां। 

अत्र - यहां ।

तत्र - वहां ।

सर्वत्र -  सब स्थान पर ।

किम् - क्या।


                                       वाक्य


1. त्वं कुत्र गच्छसि ? 

- तू कहां जाता है ?

2. यत्र सः गच्छति ।

- जहां यह जाता है। 

3. अहं तत्र गच्छामि ।

- मैं वहां जाता हूं।

4. सः कुत्र गच्छति ? 

- वह कहां जाता है ? 

5. यत्र अहं गच्छामि ।

- जहां मैं जाता हूं।

6. त्वं सर्वत्र गच्छसि  ।

- तू सब स्थान पर जाता है।

7. किं सः गच्छति ? 

- क्या वह जाता है ?

8. सः गच्छति किम् ? 

- वह जाता है क्या ? 

9. सः कुत्र गच्छति ? 

- वह कहा जाता है ?

10. यत्र त्वं गच्छसि 

- जहां तू जाता है। 

11. त्वं गच्छसि किम् ? 

- तू जाता है क्या ?

12. अहं सर्वत्र गच्छामि 

- मैं सब स्थान पर जाता हूं। 

 

           पाठकों को ये सब वाक्य ध्यान में रखने चाहिए। यदि दो पाठक साथ-साथ पढ़ते हों, तो एक-दूसरे से संस्कृत तथा हिन्दी के वाक्य उच्चारण करके अर्थ पूछने चाहिए, और दूसरे को चाहिए कि वह अर्थ बताए। परन्तु यदि अकेला ही पड़ता हो तो उसे प्रथम ऊंची आवाज में प्रत्येक वाक्य दस बार उच्चारण करके तत्पश्चात् संस्कृत वाक्यों की ओर दृष्टि देकर उनका अर्थ भाषा के वाक्यों की ओर दृष्टि न देते हुए मन से लगाने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसा दो-तीन बार करने से सब वाक्य याद हो सकते हैं।

           जो पाठक इन वाक्यों की ओर ध्यान देंगे उनको उक्त शब्दों से कई अन्य वाक्य स्वयं रचने की योग्यता आएगी और पता लगेगा कि थोड़े-से शब्दों से कितनी बातचीत हो सकती है।


                                  शब्द


न - नहीं।          

अस्ति -  है।     

कः - कौन।        

नास्ति - नहीं है।


                                   वाक्य


1. अहं न गच्छामि ।

- मैं नहीं जाता हूँ। 

2. त्वं न गच्छसि ।

- तू नहीं जाता है।

3. सः न गच्छति ।

- वह नहीं जाता है। 

4. अहं तत्र न गच्छामि ।

- मैं वहां नहीं जाता हूँ।

5. त्वं सर्वत्र न गच्छसि 

- तू सब स्थान पर नहीं जाता है।

6. किं सः न गच्छति ।

- क्या वह नहीं जाता है।

7. यत्र त्वं न गच्छसि ।

- जहां तू नहीं जाता है। 

8. त्वं न गच्छसि किम् ? 

- तू नहीं जाता है क्या ?

9. अहं सर्वत्र न गच्छामि ।

- मैं सब स्थान पर नहीं जाता हूँ। 


      सूचना----


         पाठक यह देख सकते हैं कि केवल एक 'न' (नकार) के उपयोग से कितने नये उपयोगी वाक्य बन गए हैं। अब 'क' शब्द का उपयोग देखिए


1. क: तत्र गच्छति ? 

- कौन यहां जाता है ? 

2. कः सर्वत्र गच्छति ?

- कौन सब स्थान पर जाता है ?

3. तत्र कः न गच्छति ।

- वहां कौन नहीं जाता ? 

4. कः सर्वत्र न गच्छति ?

- कौन सब स्थान पर नहीं जाता ?

5. कः तत्र अस्ति ?

- कौन वहां है ? 

6. तत्र कः अस्ति ?

- वहां कौन है ?

7. अस्ति कः तत्र ?

- है कौन वहाँ ?


  पाठ - 2 (Lesson - 2) --- Click Here


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