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संंस्कृत शिक्षा के विकास के लिए क्या किया जाए ? What should be done for the development of Sanskrit education ?

 संंस्कृत शिक्षा के विकास के लिए क्या किया जाए ?

What should be done for the development of Sanskrit education ?



🙏बान्धवाः। मैं जानता हूं इसे पढ़ने के लिए आपके पास समय नहीं है। आशा करता हूं आप समय निकाल कर इसे अवश्य पढ़ेंगे।

संस्कृत शिक्षा के विकास  के लिए क्या किया जाए ?


◆ शिक्षण संस्थानों में संस्कृत की पढाई का माध्यम संस्कृत होना चाहिए |


◆ प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, तथा उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में संस्कृत अनिवार्य होनी चाहिए | 


◆ संस्कृत में व्यवसाय परक पाठ्यक्रमों का नितान्त अभाव है, संस्कृत शिक्षा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का सृजन कर इस अभाव को दूर किया जाना चाहिए |


◆ संस्कृत शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रम सम्मिलित किए जाएँ जो त्वरित फलदायी हों, यह आधुनिक छात्रों का संस्कृत के प्रति उत्कट रुचि का कारण बन सकता है |

(ग्रामोदय रेडियो FM 90.4 पर मेरा इन्टरव्यू)

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◆ आयुर्वेद शिक्षा का माध्यम पूर्ण रूप से संस्कृत हो |


◆ कम्प्यूटर और संस्कृत के मध्य एक साहचर्य सम्बन्ध स्थापित करने वाला पाठ्यक्रम तैयार किया जाय |


◆ संस्कृत में कुछ ऐसे नये पाठ्यक्रम तैयार किए जाएँ जो संस्कृतनिष्ठ व्यवसायों को प्रदान करने में सक्षम हों |


◆ व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को संस्कृतमय बनाया जाय अथवा उनमें संस्कृत की स्थिति को सुनिश्चित किया जाय |


◆ संस्कृत के कुछ ऐसे डिप्लोमा पाठ्यक्रम तैयार किये जाएँ, जिनसे अल्पावधि में ही छोटे मोटे रोजगार प्राप्त हों सकें |


◆ संस्कृत छात्रों में प्रायः आत्मविश्वास की कमी का भाव देखा जाता है, उसे दूर करने के लिए राष्ट्रिय स्तर पर किन्ही प्रोत्साहन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए |


◆ "सा विद्या या नियुक्तये" जैसे सिद्धान्तों के इस दौर में संस्कृत शिक्षा के साथ Placements का होना अनिवार्य हो चला है, एतदर्थ प्रयास किया जाना चाहिए |


◆ कम से कम संस्कृत शिक्षण संस्थानों में संस्कृत वार्त्तालाप, संस्कृत माध्यम से अध्ययनाध्यापन तथा संस्कृतमय वातावरण की अनिवार्यता होनी चाहिए |


◆ संस्कृत में ऐसे दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित हों जो रोजमर्रा के समाचार प्रकाशित करते हों, जिनमें मनोरञ्जकता समसामयिकी तथा सूचनाएँ व्याप्त रूप में हो, वे अखबार के पन्नों के रूप में केवल संस्कृतनिष्ठ ज्ञान से लदे हुए न हों |


◆ संस्कृत सम्भाषण शिविरों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाय तथा उनमें जनभागीदारी को सुनिश्चित करते हुए प्रतिभागियों की श्रृंखला को सतत् बढाया जाय |


◆ संस्कृत संस्थानों में B.Ed, M.Ed, TGT, PGT, Ph.D, NET, UPSC, State PSC, धर्मगुरू इत्यादि प्रतियोगितापरक तैयारीयाँ निःशुल्क करायी जानी चाहिए |


◆ प्रत्येक संस्कृत शिक्षण संस्थान में करियर काउँसिलिंग प्रकोष्ठ की स्थापना हो, और साथ ही गैर संस्कृत संस्थानों में संस्कृत में रोजगार की सम्भावनाओं का प्रचार किया जाय |


◆ संस्कृत में विज्ञान के तथा विज्ञान में संस्कृत के पाठ्यक्रम स्थापित कर परस्पर तुल्य-पाठ्यचर्या का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए |


◆ किसी एक संस्कृत चैनल का प्रसारण किया जाय तथा साथ ही अन्य चैनलों पर संस्कृत के जनसामान्य को लुभाने वाले शिक्षण से व्यतिरिक्त कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाय |


◆ सरल संस्कृत में एड फिल्में बनाई जाएँ तथा प्रचलित एड फिल्मों का अन्य भाषा की तरह संस्कृत संस्करण भी रिलीज किया जाय |


◆ कस्टमर केयर केन्द्र, रेल्वे सूचना केन्द्र आदि से संस्कृत में अनाउन्समेन्ट की जानी चाहिए |


◆ आधुनिक संगीत से संस्कृत को जोडने हेतु हिन्दी गीतों का संस्कृत अनुवाद कर गाया जाए |


◆ साथ ही 'इण्डियन आयडल' 'सारेगामापा' आदि संगीत कार्यक्रमों में किसी ऐसे एपिसोड के लिए अनुरोध किया जाय जिसमें सारे प्रतिभागी संस्कृत गाने गायें |


◆ सामान्य ज्ञान आदि प्रतियोगिता सम्बन्धी पुस्तकें संस्कृत में उपलब्ध हों |


◆ संस्कृत संस्थानों में प्रति सप्ताह शैक्षिक प्रतियोगिताओं जैसे वादविवाद, भाषण, निबन्धलेखन, अन्त्याक्षरी, शास्त्रार्थस्पर्धा आदि का आयोजन किया जाना चाहिए |


◆ संस्कृत वाङ्मय में आधुनिक विज्ञान कहाँ और कैसे है तथा संस्कृत वाङ्मय में कौन कौन से विषय वर्णित हैं कम से कम इसका संक्षिप्त ज्ञान हर संस्कृताध्यायी को हो जाए एतदर्थ महाविद्यालय स्तर पर एक 'सामान्य वाङ्मय परिचय' नाम से पाठ्यक्रम होना चाहिए | 


◆ एतदर्थ "संस्कृत में विज्ञान" "Scince in Sanskrit" नामक समग्र विषयवस्तु तथा वैदिक वाङ्मय के अनुक्रम से युक्त पुस्तक का निर्माण किया जाना चाहिए |


◆ संस्कृत शिक्षा को Flexible बनाने हेतु प्रदान की जाने वाली मध्यमा/ शास्त्री/ आचार्य आदि उपाधि में विज्ञान के विषय सम्मिलित कर बैकिंग/ रेल्वे हेतु भी अवसर खुला रख कर छात्रों को रोजगारोन्मुख बनाया जाय |


◆ किसी एक एसोसिएशन की स्थापना की जानी चाहिए जिसके पास देश के समस्त शासकीय/ अशासकीय विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय, संस्थान, एकेडमी आदि संस्कृत संस्थाओं के क्रियान्वयन, तात्कालिक स्थिति तथा उसके विकास की समसामयिक स्थिति का ज्ञान हो एवं जो उन्हें संस्कृत सम्भावनाओं के प्रति सूचित करती रहे |


◆ संस्कृत की उपाधियों अथवा उसके पाठ्यक्रम को इस तरह तैयार किया जाय की वह प्रत्येक प्रदेश के तत्तुल्य उपाधियों की समकक्षता प्राप्त कर सके |


◆ देश में संस्कृत शिक्षक/ प्राध्यापक/ आचार्य के जो पद रिक्त हों उन्हें यथाशीघ्र भरा जाय तथा संस्कृत शिक्षक के पद को अन्य विषयाध्यापक से न भरा जाय और न ही संस्कृत भाषा को अन्य विषयाध्यापक से पढवाया जाय |


◆ संस्कृत भाषा में भी दैनिक धारावाहिक (Daily Shop)/ सीरियल तैयार किया जाय अथवा "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" इत्यादि में संस्कृत परिवार की संकल्पना कर सीरियल्स में संस्कृत का प्रवेश कराया जाना चाहिए |


◆ विश्व प्रसिद्ध खेल "क्रिकेट" की कमेन्ट्री संस्कृत में भी की जानी चाहिए |


◆ प्रसिद्ध पुस्तकों का संस्कृत में अनुवाद करके संस्कृत को जनसामान्य तक पहुँचाया जा सकता है |


◆ संस्कृत नुक्कड-नाटकों के द्वारा लोको तक संस्कृत पहुचायी जानी चाहिए |


◆ संस्कृत फीचर फिल्मों का निर्माण किया जाना चाहिए, जिसमें मनोरञ्जक कहानियाँ वर्णित हो एवं जिसकी भाषा सरल सरस और सुबोध हो तथा जो संस्कृत के मधुर और ललित गानों से भरी हो |


◆ प्रत्येक संस्कृत प्रतिष्ठान में संस्कृत सप्ताह के आयोजन की अनिवार्यता की जानी चाहिए |


◆ रेल्वे स्टेशन, बस स्टेण्ड, विमानपत्तन, शासकीय तथा अशासकीय संस्थानों के साईन बोर्ड / होर्डिन्ग्स संस्कृत में भी होने चाहिए |


◆ सार्वजनिक स्थानों पर परस्पर वार्त्तालाप के द्वारा संस्कृतमय वातावरण निर्मित करके लोगों को स्वतः अभिप्रेरित किया जा सकता है |


◆ प्रसिद्धि अर्थात् प्रसिद्ध व्यक्ति/ प्रसिद्ध वस्तु आदि के साथ संस्कृत का समन्वयन कर उसे जनसामान्य में प्रसिद्ध करने का प्रयास किया जाना चाहिए |


◆ शिशु किसी भी भाषा को जल्दी सीख लेते हैं, अतः उनके रुचिकर कार्टून जैसे छोटा भीम, टोम एण्ड जेरी आदि का संस्कृत संस्करण भी तैयार कर प्रसारित किया जाना चाहिए |


◆ आज सोशल मीडिया प्रचार का सर्वोत्कृष्ट साधन बना हुआ है अतः संस्कृत प्रचार के लिए फेसबुक, वाट्सअप, ट्वीटर, मेसेन्जर, इन्स्ताग्राम आदि का भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए |


◆ शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन         संस्कृत में किया जाना चाहिए, क्योंकि आनन्दित करती हुई दृश्य श्रव्य सामग्रियाँ जल्दी अभिप्रेरित करती हैं |


◆ बच्चों को त्वरित अभिप्रेरित करने वाले कामिक्स जैसे चाचा चौधरी, सुपरमेन आदि संस्कृत में भी उपलब्ध होने चाहिए |


◆ संस्कृत की सूक्तिओं/ आख्यानों आदि का आश्रय लेकर प्रत्येक शिक्षण संस्थान में पर्सनालिटी डेवेलपमेन्ट की शिक्षा दी जानी चाहिए |


◆ प्रायः देखा जाता है कि संस्कृत संस्थाएँ अपना प्रचार / अपनी मार्केटिंग नहीं कर पाते, एतदर्थ संस्था   के कर्मिओं को सोशल मीडिया तथा परस्पर सम्पर्क के द्वारा संस्कृत संस्था  का प्रचार किया जाना चाहिए |


◆ आनलाईन संस्कृत शिक्षण के द्वारा संस्कृत प्रचार के साथ ही साथ धनार्जन भी किया जा सकता है |


◆ एण्ड्राएड फोन के इस युग में विभिन्न प्रकार के संस्कृत एप्लीकेशन्स का निर्माण कर गूगल प्ले पर स्थापित किया जाना चाहिए |


◆ आजकल कामेडी का दौर चल रहा है अतः ऐसे संस्कृत हास्य कविसम्मेलनों का आयोजन किया जाना चाहिए जो संस्कृत की सरलता का प्रचार कर सकें क्योंकि भाषा की सरलता/ सुगमता ही कामेडी की जान होती है |


◆ प्रसिद्ध फिल्म स्टार से संस्कृत के प्रमोशन हेतु प्रयत्न किया जाना चाहिए अथवा अमिताभ बच्चन जी आदि के द्वारा फेसबुक आदि पर किए गए संस्कृत सम्बन्धी पोस्ट का हमारे द्वारा शेयर/ लाईक/ कमेन्ट्स से प्रमोशन किया जाना चाहिए |


◆ प्रसिद्ध हिन्दी फिल्मों की डबिंग संस्कृत में की जानी चाहिए क्योंकि आज का युवा वर्ग संस्कृत को भी टिप-टोप देखना चाहता है, और समय   के साथ परिवर्त्तन अनिवार्य हो जाता है |


🙏🙏 जयतु संस्कृतम् | जयतु भारतम् 🙏🙏


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