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सामाजिक संचार माध्यम और संस्कृत पत्रकारिता

सामाजिक संचार माध्यम और संस्कृत पत्रकारिता


                        --- जगदीश डाभी (भाषा शिक्षक, संस्कृत प्रचारक) गुजरात


            आज के टेक्नोलॉजी के युग में सामाजिक संचार माध्यम  एक ऐसा माध्यम है जो प्रत्येक व्यक्ति २४ घण्टे मोबाईल, टेलीविजन, फेसबुक, ट्विटर इत्यादि माध्यमों से जुड़ा रहता है । तब कोई भी सूचना हो या कोई खबर है थोड़ी क्षणों में सैकड़ों लोग तक हम पहूचा सकते है । आज सामाजिक संचार माध्यम जैसे की दूरदर्शन प्रतिदिन संस्कृत समाचार, आकाशवाणी रेडियो पर संस्कृत समाचार, फेसबुक-ट्विटर के जरिये संस्कृत समाचारपत्रों, ई-पेपर, ओनलाईन के स्वरूप में उपलब्ध है । वैसे पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। भारत में यह फलता-फूलता उद्योग है, जो युवाओं के लिए न केवल रोजगार के अवसर उपलब्ध करता है, अपितु चुनौतीपूर्ण कार्यों के माध्यम से यश और प्रतिष्ठा भी प्रदान करता है। संस्कृत पत्रकारिता का क्षेत्र यद्यपि बहुत व्यापक नहीं रहा है, ऐसा कहना आज उचित नहीं है क्योंकि आज संस्कृत पत्रकारिता का क्षेत्रे पर्याप्त सामाग्री विद्यमान है । जो संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण करने वाले लोगों का मार्गदर्शन करने में समर्थ है । आज के दौर में हिन्दी-अंग्रेजी या अन्य भाषाओं की प्रचलित पत्रकारिता के समान संस्कृत पत्रकारिता की भी चर्चा आवश्यक है । जब भी संस्कृत पत्रकारिता की चर्चा होती है तब संस्कृत पत्रकारिता के इतिहास में ई.स. १८६६ में पहली जून काशी से प्रकाशित काशीविद्यासुधानिधि: की चर्चा अवश्य होती है । उस दौर बाद संस्कृत पत्रकारिता क्षेत्रे बहुत बडा परिवर्तन आया जैसे की बहुत सारे समाचारपत्रों, पत्रिकाएं, ईपेपर, दूरदर्शन समाचार, आकाशवाणी समाचार इत्यादि के द्वारा संस्कृत पत्रकारिता को एक नया आयाम मिला । 

            सामाजिक संचार माध्यम जैसे की फेसबुक, ट्विटर पर आज बहुत सारे लोग स्वतंत्र संस्कृत पत्रकारिता करते हैं। सोशल मीडिया पर संगठनात्मक या वैयक्तिक संस्कृत पत्रकारिता का स्वरूप आज थोड़ा विस्तृत रुप से देखने को मिलता है। सामाजिक संचार माध्यम पर संस्कृत से जुड़ी अधिक सामग्री उपलब्ध है । संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार भी व्यापक स्वरूप से हो रहा है । जैसे की फेसबुक पर बहुत सारे फेसबुक पृष्ठ, समूह पर प्रतिदिन संस्कृत समाचार लिखित स्वरूप में कराते है तो यूट्यूब पर भी संस्कृत समाचार तैयार करके कुछ लोग प्रतियोगिता उपलब्ध कराते हैं ।


फेसबुक-ट्विटर :- 


         आजके समय में समाजिक जनसंचार माध्यम और संस्कृत पत्रकारिता के संदर्भ में सोशल मीडिया फेसबुक  पर अधिक लोग स्वयं अन्य भाषाओं के खबरों को संस्कृत में अनुवाद करके प्रतिदिन प्रसारित कर रहें हैं । कुछ समूह, पृष्ठ आदि भी इस कार्य में अपना सहयोग दे रहें है जैसे कि ओनलाईन संस्कृतशिक्षणम् फेसबुक समूह । विभिन्न देश के समाचार के साथ महत्वपूर्ण सूचना भी प्रसारित होते रहते है । आधुनिक समय में सोशल मीडिया का पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान है । सोशल मीडिया पर स्वतंत्र पत्रकारिता में कोई बंधन नहीं है । सोशल मीडिया और संस्कृत पत्रकारिता में सोशल मीडिया पर जब चाहे कोई भी व्यक्ति हजारों लोगों तक अपनी सूचना भेज सकता है । किसी भी सूचना को शीघ्र हजारों लोगों तक पहुंचाने में वर्तमान समय में फेसबुक, ट्विटर अति महत्वपूर्ण माध्यम माना जा सकता है । 


विश्वस्य वृत्तान्त: -


      पत्रकारिता के संदर्भ में यहाँ गुजरात के सुरत शहर से प्रकाशित बदलते युग का सबसे बडा दैनिक संस्कृत समाचारपत्र विश्वस्य वृत्तान्त: भी फिलहाल पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नई दिशा बनकर खडा है । फिलहाल पत्रकारिता क्षेत्रे विश्वस्य वृत्तान्त: का प्रारंभिक समय चल रहा है । विश्वस्य वृत्तान्त: दैनिक समाचारपत्र भी सोशल मीडिया जैसे की फेसबुक, ट्विटर आदि पर प्रतिदिन प्रसारित किया जाता है । बहुत सारे लोगों को वार्ताहर, स्तंभकार के रुप में स्थान देकर दिशा निर्देश कर कर रहा है । नये कविताओं, लेखकों, अनुवादकों, आदि को अपने विचार का आदानप्रदान करने का अवसर दे रहा है । प्रतिदिन भिन्न-भिन्न खबर जैसे कि राजकीय, चलचित्र, खेल, अनुभव, साक्षात्कार इत्यादि जैसे समाचारों के स्थान देकर एक पत्रकारिता का धर्म अदा कर रहा है । कोई भी व्यक्ति को वार्ताहर के रुप में स्थान देकर प्रतिदिन सोशल मीडिया पर छाया रहेता है । यह भी पत्रकारिता के लिये एक नया मापदंड बन सकता है कि किस प्रकार न्यूज तैयार करके लोगों तक सभी प्रकार भी सूचना प्रदान कि जा सकती है । वैसे विश्वस्य वृत्तान्त: कि भाषा अति सरल होती है ऐसा लगता है जैसे आप हिन्दी समाचारपत्र पढ रहें है । कोई भी समाचारपत्र समान्य जन को भी स्पर्श करता है तो हमेशा समाचारपत्र की भाषा लोकभोग्य होनी चाहिए । पत्रकारिता के संदर्भ में यह बात यहाँ महत्वपूर्ण होती है ।


लाभ : - 

        सामाजिक संचार माध्यम का व्याप आज बहुत बढ गया है । इसमें सामाजिक संचार माध्यम को केन्द्र में रखकर संस्कृत पत्रकारिता की बात करें तो हम सोशल मिडिया के जरिये आज किसी भी सूचना का आदानप्रदान करना हो, शिक्षण, मनोरंजन, नये शब्द ये सब संस्कृत में आसानी से और सरल रुप से प्रसारित कर सकते है । संस्कृत समाचार पढकर या सूनकर लोगों भी यह लगता है कि सचमुच संस्कृत भाषा कठिन नहीं अपितु अति सरल है । बदलते समय के साथ आज सामाजिक संचार माध्यम पर संस्कृत में फिल्मों, विज्ञापन, हिन्दी फिल्मों के गीतों और अन्य  गीत भी संस्कृत में उपलब्ध है । जबकि लेखकों, कवियों, पत्रकारों, रचनाकारों को भी अपने-अपने विचार व्यक्त करने अवसर भी संस्कृत पत्रकारिता में उपलब्ध हो रहा है ।

समस्या :- 

        सोशल मीडिया पर संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में आज समस्या यह है कि पाठकों के पास पर्याप्त पत्रकारिता से जुडे संस्कृत शब्दों की जानकारी नहीं एवं क्लिष्ट भाषा के कारण संस्कृत पत्रकारिता को योग्य आयाम नहीं प्राप्त हो रहा । संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में आर्थिक व्यय की बहुत बडी समस्या है । आर्थिक व्यय में कोई सहयोग हेतु आगे नहीं आते और धीरे धीरे बंद करने की कगार पर आ जाते है । इस दिशा में सरकार का सहयोग होना अति आवश्यक है । पाठकों की संख्या बहुत कम होती है । अधिक लोगों को संस्कृत भाषा की जानकारी नहीं होना यह भी तो एक बहुत बडी चुनौती है ।

समाधान :- 

        फिर भी पिछले कुछ साल से संस्कृत भाषा का कद बढ गया है । पत्रकारिता का क्षेत्र मजबूत बनाने के लिये पहले तो पाठकों के लिए संस्कृत समाचार एवं पत्रकारिता से जुडे संस्कृत शब्दों की जानकारी उपलब्ध हो । पत्रकारिता की भाषा अति सरल एवं लोकभोग्य हो । संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में आर्थिक व्यय की बहुत बडी समस्या है तो इस दिशा में सहयोग हेतु सरकार एवं विविध संस्थाओं का सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है । पाठकों की संख्या बढे इस दिशा में थोड़ा प्रचार हो । संस्कृत समाचारपत्रों में केवल संस्कृत साहित्य से जुडी सामग्री ही नहीं परन्तु बदलते समय के साथ सर्व प्रकार की सामग्री आवश्यक है-जैसे कि राजनीति, खेल, धर्म, चलचित्र, आदि । इन समाचारपत्रों में विशेष ध्यान देने योग्य यह है कि उन समाचारपत्रों कि भाषा को अति सरल लोग भोग्य होनी चाहिए । अगर संस्कृत में पत्रकारिता का क्षेत्र और मजबूत करना है तो पहले तो रोजगार पर भी विचार करना आवश्यक है । 

               परन्तु पहले से आज सामाजिक संचार माध्यम पर संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में अधिक व्याप्त देखने को मिलता है । आज गुजरात से प्रकाशित दैनिक संस्कृत समाचारपत्र विश्वस्य वृत्तान्त:, कर्णाटक से प्रकाशित दैनिक ओनलाईन सम्प्रतिवार्ता इसके अलावा ओर भी कई पत्रिकाओं का भी कद बढ गया है । आज महत्वपूर्ण बात यह है कि आज सोशल मिडिया पर संस्कृत का जोरशोर से प्रचार-प्रसार हो रहा है । यह बात कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि आज "सोशल मीडिया पर संस्कृत भाषा छा गई" । फेसबुक पर तो ऐसे बहुत सारे समूह है जो संस्कृत के प्रचार में जुटे है । इसमें ओनलाईन संस्कृतशिक्षणम् फेसबुक समूह सर्वोपरि है । कुछ लोग भिन्न भिन्न भाषाओं के समाचारपत्रों से समाचार संस्कृत में अनुवाद करके या तो विभिन्न सूचनाए प्रतिदिन शेयर करतें रहते है । 

           आमतौर पर हम कह सकते है कि सोशल मिडिया से प्रत्येक व्यक्ति आज चौवीस घण्टों तक जुडा रहता है इसलिये वर्तमान में संस्कृत पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत तेजी से फैल रहा है । आकाशवाणी रेडियो पर सर्वप्रथम संस्कृत समाचार १९७४ में आरंभ हुआ । उसके बाद अधिक इस क्षेत्र में अधिक प्रगति हुई । जैसे कि दूरदर्शन पर संस्कृत समाचार, वार्तावली कार्यक्रम में समाचार, ओनलाईन संस्कृत रेडियो, इतना ही नहीं आज संस्कृत में फिल्मों, हिन्दी फिल्मों एवं अन्य गीतों भी संस्कृत में होने लगे है । वीडियो स्वरूप प्रसारितं होने वाले दूरदर्शन के संस्कृत समाचार हो या वार्तावली हो या संस्कृत यूट्यूब चैनल हो इस क्षेत्र में भी गति प्राप्त हुई है फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के कारण । इस प्रकार सोशल मीडिया के संदर्भ में हम कह सकते है कि संस्कृत पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने वालों के लिये संस्कृत पत्रकारिता का क्षेत्र उज्जवल है ।



संदर्भ :- 

1) संस्कृत पत्रकारिता (श्रीबलदेवानन्द सागर)

2) स्वाधीनता संग्राम में संस्कृतनिष्ठ पत्रकारिता (बलदेवानन्द सागर)

3) संस्कृतभाषी - ब्लॉग (जगदानंद झा)

4) सोशल मीडिया (फेसबुक)



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