स्वागतम्

 आइए सरल विधि से संस्कृत में बात करना सीखें । यहाँ 👇🏻 क्लिक किजिए और प्रतिदिन क्रमशः एक एक पाठ का अभ्यास किजिए 👇🏻

Click here क्लिक क्लिक 



26) संस्कृत वाक्य अभ्यास

 संस्कृत वाक्य अभ्यास



Sanskrit sentence study



द्वादश-वर्षाणि पर्यन्तं सः कारावासे आसीत् ।

= बारह वर्ष तक वह जेल में था ।


सः भयकरः अपराधी अस्ति।

= वह खतरनाक अपराधी है 


सः आतंकवादी सदृशः अस्ति 

= वह आतंकवादी जैसा है 


अधुना सः कारागारात् मुक्तः जातः ।

= अब वह जेल से मुक्त हो गया है 


यदा सः कारागारात् बहिः आगतवान् 

= जब वह जेल से बहार आया 


तदा धूर्ताः राजनेतारः तस्य स्वागतम् अकुर्वन् ।

= तब धूर्त राजनेताओं ने उसका स्वागत किया 


सीवानस्य सर्वे जनाः भयभीताः सन्ति ।

= सीवान में सभी लोग भयभीत हैं


----------------


चन्द्रयानम् इतः कदा गतम् ?

= चन्द्रयान यहाँ से कब गया ? 


द्वाभ्यां मासाभ्यां पूर्वं गतम् ।

= दो महिने पहले गया ।


कुतः गतम् ? 

= कहाँ से गया ? 


गतं न अपितु प्रेषितम् ।

= गया नहीं अपितु भेजा गया। 


कुतः प्रेषितम् ? 

= कहाँ से भेजा गया ? 


श्रीहरिकोटातः प्रेषितम् ।

= श्रीहरिकोटा से भेजा गया।


ततः कुत्रः प्रेषितम् ? 

= वहाँ से कहाँ भेजा ? 


ततः अवकाशे प्रेषितम् ।

= वहाँ से अवकाश में भेजा गया। 


अवकाशात् कुत्र गतम् ? 

= अवकाश से कहाँ गया ? 


अवकाशात् चन्द्रयानं चन्द्रमा उपरि अवतरितम्। 

= अवकाश से चन्द्रयान चंद्रमा पर उतरा। 


चन्द्रयानं चन्द्रस्य परिक्रमापथि भ्रमति। 

= चन्द्रयान चन्द्र के परिक्रमा पथ पर घूम रहा है। 


ततः कदा प्रत्यागमिष्यति ? 

= वहाँ से कब वापस आएगा ? 


ओह न , ततः न प्रत्यागमिष्यति। 

= ओह नहीं , वहाँ से नहीं लौटेगा। 


तत्रैव भ्रमिष्यति। 

= वहीं घूमता रहेगा। 


-------------


अहं यानं चालयामि। 

= मैं वाहन चला रहा हूँ। 


मम यानस्य अग्रे एकं यानं चलति। 

= मेरे वाहन के आगे एक वाहन चल रहा है। 


मम यानस्य पृष्ठे अपि एकं यानं चलति।

= मेरे वाहन के पीछे भी एक वाहन चल रहा है। 


मम अग्रे यद् यानं चलति तद् लङ्घितुम् इच्छामि। 

= मेरे आगे जो वाहन चल रहा है उसे ओवरटेक करना चाहता हूँ।


मम पृष्ठे यद् यानं चलति तद् मां लङ्घितुम् इच्छति।

= मेरे पीछे जो वाहन चल रहा है वह मुझे ओवरटेक करना चाहता है। 


मम अग्रे यद् यानम् अस्ति तद् यानं ...... 

मेरे आगे जो वाहन है वह वाहन ..... 


 कदाचित् मन्दं चलति ... 

= कभी धीमा चलता है .... 


कदाचित् शीघ्रं चलति ...

= कभी तेज चलता है .... 


कदाचित् वक्रं चलति ...

= कभी टेढ़ा चलता है .... 


कदाचित् ऋजु: चलति ...

= कभी सीधा चलता है ....


कथम् अहं लङ्घितुं शक्नोमि। 

= कैसे मैं ओवरटेक कर सकता हूँ।



संस्कृत वाक्याभ्यासः  

~~~~~~~~~~~~~~ 



तेन उक्तम् ।

= उसने कहा 


अवश्यमेव आगच्छतु ।

= अवश्य आईयेगा 


तया अपि उक्तम् ।

= उसने भी कहा 


अवश्यमेव आगच्छतु ।

= अवश्य आईयेगा 


अहम् उभयत्र न गतवान् ।

= मैं दोनों जगह नहीं गया 


अहम् अन्यत्र गतवान् ।

= मैं और कहीं गया 


अद्य द्वयोः गृहं गच्छामि । 

= आज दोनों के घर जा रहा हूँ ।


दूरवाण्या सूचितवान् अहम् ।

= दूरवाणी से मैंने सूचित कर दिया है


------------


एका बालिका गणेशमण्डपं गच्छति। 

= एक बच्ची गणेशमंडप जाती है। 


तत्र सा जनान् पूजनं कुर्वतः पश्यति।

= वहाँ वह लोगों को पूजा करते हुए देखती है।


सा अपश्यत् ।

= उसने देखा। 


सर्वे किमपि न किमपि याचन्ते। 

= सभी कुछ न कुछ माँग रहे हैं। 


सा अपि तत्र गत्वा तिष्ठति। 

= वह भी वहाँ जाकर खड़ी हो जाती है। 


सा प्रार्थयते। 

= वह प्रार्थना करती है। 


" भवान् तु गणनायकः अस्ति।" 

= आप तो गणनायक हैं। 


" मम पितरं जानाति स्यात्।" 

= मेरे पिता को जानते होंगे। 


"सः मद्यपानं करोति।"

= वो शराब पीते हैं। 


" गृहम् आगत्य मम मातरं ताड़यति।" 

= घर आकर मेरी माँ को मारते हैं। 


"गृहे धनाभावः अस्ति।" 

= घर में धन का अभाव है। 


"अतः अहं विद्यालयात् आगत्य गृहेषु कार्यं करोमि।"

= इसलिये मैं विद्यालय से आकर घरों में काम करती हूँ। 


"अहं पठितुम् इच्छामि।" 

= मैं पढ़ना चाहती हूँ। 


"मम गृहे शान्तिम् इच्छामि।"

= मेरे घर में शान्ति चाहती हूँ।  


"मम पिता मद्यपानं त्यजेत् इति अहम् इच्छामि।"

= मेरे पिता मद्यपान छोड़ दें यह मैं चाहती हूँ। 


"मम इच्छापूर्तिः भवति तदा अहं बालकेभ्यः मोदकानि दास्यामि।"

= मेरी इच्छापूर्ति होगी तो मैं बच्चों को लड्डू दूँगी। 


"बालकेषु अपि भवान् अस्ति एव।"

= बच्चों में भी आप हैं ही। 


सा बालिका बहु श्रद्धया प्रार्थनां कृतवती।

= उस बच्ची ने बहुत श्रद्धा से प्रार्थना की।



-------------


संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।


#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


संस्कृताभ्यास - 7


पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४) 

(अधि + शीङ्, अधि + स्था, अधि + आस्, अधि + वस्, आङ् + वस्, अनु + वस्, उप + वस्, अभि+नि+विश् इन धातुओं के आधार की कर्म संज्ञा होती है और कर्म संज्ञा होने से द्वितीया विभक्ति होती है।)


खट्वाम् अधिशेते = खाट पर सोता है।

शिशुः दोलाम् अध्यशयिष्ट = शिशु पालने में सो गया।

हिंदोलां शयिष्यते माणवः = बच्चा झूले में सोएगा।

हिंदोलां शयीत = झूले में सोवे।

अहं ग्रामं अधितिष्ठामि = मैं गांव में रहती / रहता हूं।

भवान् ह्यः कुत्र अध्यस्थात् = कल आप कहां ठहरे थे..?

श्वः आवां धर्मशालाम् अधिस्थास्यावः = कल हम दोनों धर्मशाला में रहेंगे।

त्वं पान्थशालाम् अधितिष्ठेः = तुम्हें होटल में ठहरना चाहिए।

वृद्धा मृदुपर्यङ्कं अध्यास्ते = बुढिया सोफे पर बैठी है।

ज्येष्ठतातः आसन्दिकाम् अध्यासिष्यते = ताऊजी कुर्सी पर बैठेंगे।

ज्येष्ठाम्बा चतुष्पादिकाम् अध्यासिष्ट = ताई चौकी पर बैठी थी।

अनुजः त्रिपादिकाम् अध्यास्ताम् = छोटा भाई तिपाई पर बैठे।

अनुजा संवेशम् अध्यासीत् = छोटी बहन स्टूल पर बैठे।

अग्रजः फलकम् अध्यास्त = बड़े भैया मेज पर बैठे।

प्रधानमन्त्री दिल्लीम् अधिवसति = प्रधानमन्त्री दिल्ली में रहते हैं।

ब्रह्मचारिण्यः गुरुकुलम् अध्यवात्सीत् = ब्रह्मचारिणियां गुरुकुल में रहीं।

दम्पति भाटकगृहं अधिवत्स्यति = पति-पत्नी किराए के घर में रहेंगे।

महिष्यः अन्तःपुरम् आवसति = रानियां रनिवास में रहती हैं।

महिष्यः प्राङ्गणं आवसन् = भैंस आंगन में रहती थी।

तापसः पर्णशालाम् आवसेत् = तपस्वी झोपड़ी में रहे / रहना चाहिए।

वानप्रस्थिनी कुटीम् आवसतु = वानप्रस्थ-दीक्षिता-महिला कुटिया में रहे।

ग्रामीणाः ग्रामम् अनुवसन्ति = ग्रामीण गांव में रहते हैं।

नागराः नगरं उपवसन्ति = नागरिक नगर में रहते हैं।

नागरकाः नगरम् एव उपवसन्ति = नगर में रहनवाले दुष्ट / प्रवीण लोग भी नगर ही में रहते हैं। 

मृगाः वनमेव अनुवसेयुः = जंगली पशु जंगल में ही रहने चाहिएं।

आरण्याः अरण्यम् उपवसन्तु = जंगली पशु अरण्य में रहें।

सिंहः गुहाम् अभिनिविशते = शेर गुफा में प्रवेश कर रहा है।

व्यालः बिलम् अभिन्यविशत = सांप बिल में घुस गया।

काकः कुलायम् अभिनिवेक्ष्यते = कौआ घोसले में प्रवेश करेगा।

वायसः नीडम् अभिन्यविष्ट = कौआ घोसले में घुस गया।


(क्रुध् व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)


जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है।

स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने सास पर गुस्सा किया।

चण्डा भर्त्तारम् अभिचण्डेत् = क्रोधी महिला अपने पति पर गुस्सा कर सकती है।

कान्ता कान्तं प्रतिकोपिष्यति = पत्नी पति पर गुस्सा करेगी।

भामिनी पतिम् अभ्यभामिष्ट = गुस्सैल पत्नी ने अपने पति पर गुस्सा किया।

दुष्टः भ्रातरम् अभिद्रुह्यति = दुष्ट व्यक्ति भाई से द्रोह करता है।

राष्ट्रद्रोहिणः राष्ट्रम् अभिद्रोहिष्यन्ति = राष्ट्रद्रोही लोग राष्ट्र के प्रति द्रोह करेंगे।

विधर्मी धर्मम् अभ्यद्रुहत् = विधर्मी (अधार्मिक) ने धर्म से द्रोह किया।

कौरवाः पाण्डवान् अभिदुद्रुहुः = कौरवों ने पाण्डवों से द्रोह किया।

ननान्दा भ्रातृजायाम् अभिद्रुह्येत् = ननन्द भाभी से द्रोह कर सकती है।


(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है, वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्मसंज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)


गत्यर्थक


पुत्रः पाठशालां गच्छति = पुत्र पाठशाला जाता है।

पिता पुत्रं पाठशालां गमयति = बाप बेटे को पाठशाला भेज रहा है।


दुहिता विश्वविद्यालयं गमिष्यति = पुत्री कॉलेज जाएगी।

माता दुहितरं विश्वविद्यालयं गमयिष्यति = मां बेटी को कॉलेज भेजेगी।


औरसः पुत्रः विदेशम् अगमत् = सगा बेटा विदेश गया।

जननी औरसं पुत्रं विदेशम् अजीगमत् = माता ने सगे बेटे को विदेश भेजा।


पौत्री महाविद्यालयं गच्छेत् = पोती को उच्च विद्यालय में जाना चाहिए।

पितामहः पौत्रीं महाविद्यालयं गमयेत् = दादा को पोती महाविद्यालय में भेजनी चाहिए।


सेवकः आपणं प्रेष्यति = सेवक दुकान पर जाता है।

स्वामी सेवकं आपणं प्रेषयति = स्वामी सेवक को दुकान पर भेजता है।


वत्सा व्रजं व्रजति = बछड़ी गोशाला में जा रही है।

वत्सां व्रजं व्राजयति = बछड़ी को गोशाला में भेज रहा है।


अजा अजिरम् अजति = बकरी बाड़े में जा रही है।

अजां अजिरम् आजयति = बकरी को बाड़े में भेज रहा है।


जामाता प्रकोष्ठं प्रविशति = दामाद कमरे में प्रवेश करता है।

जामातरं प्रकोष्ठं प्रवेशयति = दामाद को कमरे में प्रवेश करवाता है।


यतिः मठं याति = यति मठ में जा रहा है।

यतिं मठं यापयन्ति = यति को मठ की ओर भेज रहे हैं।


वानप्रस्थी वनम् आगच्छति = वानप्रस्थी वन में आ रहा है।

वानप्रस्थिनं वनम् आगमयति = वानप्रस्थी को वन में भेज रहा है।


ज्ञानार्थक


समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति = समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।

समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति = समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।


छात्रः धर्म बुध्यते = छात्र धर्म को जानता है।

छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति = छात्रवत्सल गुरु छात्र को धर्म का बोध कराता है।


छात्रा सदाचारं वेत्ति = छात्रा सदाचार को जानती है।

छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति = छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।


प्राकृतः जनः न्यायं बोधति = आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।

बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति = विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।


श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति = श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।

वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति = वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।


दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत् = दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।

विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत् = विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।


छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञास्यन्ति = छात्राएं ऋषिकृत ग्रन्थों को जानेंगी।

आचार्या छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञापयिष्यति = आचार्या छात्राओं को आर्षग्रन्थों को जनाएंगी।


सर्वे दर्शनानि जानीयुः = सभी को दर्शनविद्या जाननी चाहिए।

विद्वांसः सर्वान् दर्शनानि ज्ञापयेयुः = विद्वान् लोग सभी को दर्शनशास्त्र स्त्र जनाएं।


प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’


अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)

टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)


------

वद वद = बोलो बोलो 

श्रृणु श्रृणु = सुनो सुनो

पठ पठ = पढ़ो पढ़ो 

लिख लिख = लिखो लिखो 

चल चल = चलो चलो 

गच्छ गच्छ = जाओ जाओ 

धाव धाव = दौड़ो दौड़ो 

क्रीड़ क्रीड़ = खेलो खेलो 

पश्य पश्य = देखो देखो 

खाद खाद = खाओ खाओ

पिब पिब = पीओ पीओ 

देहि देहि = दे दो दे दो 

नय नय = ले जाओ ले जाओ 

आनय आनय =  लाओ लाओ 

हस हस  = हँसो हँसो 

कुरु कुरु  = करो करो 

आगच्छ आगच्छ = आओ आओ 

उपविश उपविश = बैठो बैठो

[9/28, 10:19 PM] जगदीश: डाभी: #onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


सः अत्रिः अस्ति। 

= वह अत्रि है। 


अत्रिः संस्कृतशिक्षकः अस्ति। 

= अत्रि संस्कृत शिक्षक है। 


ह्यः अत्रिणा सह वार्तालापः अभवत्।

= कल अत्रि के साथ बातचीत हुई। 


सः गढ़सीसा ग्रामे राजकीय-विद्यालये पाठयति। 

= वह गढ़सीसा गाँव में सरकारी स्कूल में पढ़ाता है। 


( गढ़सीसा ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति 

  = गढ़सीसा गाँव कच्छ जिले में है )


यदा अत्रिः बालकः आसीत् तदा अहं तं मिलितवान्।

= जब अत्रि बालक था तब मैं उसे मिला था। 


तदानीं गागोदर ग्रामे मिलितवान् । 

= तब गागोदर गाँव में मिला था। 


( गागोदर  ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति 

  = गागोदर गाँव कच्छ जिले में है )


नवलशङ्करः राजगोरः तस्य पिता अस्ति।

= नवलशंकर राजगोर उसके पिता हैं। 


नवलशङ्करः कथाकारः अस्ति। 

= नवलशंकर जी कथाकार हैं। 


नवलशङ्करः संस्कृतज्ञः अस्ति। 

= नवलशङ्कर जी संस्कृतज्ञ हैं। 


अत्रिः मया सह संस्कृतभाषायाम् एव वार्तालापं कृतवान्। 

= अत्रि ने मेरे साथ संस्कृत में ही बात की।


संस्कृत वाक्याभ्यासः 

~~~~~~~~~~~~~~~ 

#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


अजित दोभालं तु सर्वे जानन्ति । 

= अजित दोभाल को तो सभी जानते हैं 


सः अस्माकं राष्ट्रीयसुरक्षा-परामर्शदातृ-समित्याः अध्यक्षः अस्ति । 

= वो हमारे राष्ट्रीय सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं 


गतदिने (ह्यः ) तस्य व्याख्यानं श्रृणोमि स्म । 

= कल उनका व्याख्यान सुन रहा था 


यू ट्यूब मध्ये तस्य व्याख्यानं श्रुतं मया । 

= यू ट्यूब में मैंने उनका व्याख्यान सुना 


सः राष्ट्रीय सुरक्षा विषये व्याख्यानं ददाति स्म । 

= वह राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में व्याख्यान दे रहे थे । 


तेन उक्तम् 

= उन्होने कहा 


चीनदेशस्य गुप्तचराः संस्कृतभाषाम् अपि जानन्ति । 

= चीन देश के गुप्तचर (जासूस)  संस्कृत भी जानते हैं 


चीनदेशे अनेके युवकाः संस्कृताध्ययनं कुर्वन्ति । 

= चीन देश में अनेक युवक संस्कृत का अध्ययन करते हैं 


अनन्तरं ते शीघ्रमेव भारतीयाः भाषा: पठितुं शक्नुवन्ति । 

= बाद में वे शीघ्र ही भारतीय भाषाएँ सीख (पढ़) सकते हैं 


अहो , संस्कृतस्य महत्वम् 


संस्कृतं पठित्वा वयं अन्याः भाषा: शीघ्रमेव अवगन्तुं शक्नुमः । 

= संस्कृत पढ़ कर हम शीघ्र ही अन्य भाषाएँ समझ सकते हैं


#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


सः कान्दविकः अस्ति ।

= वह मिठाईवाला (हलवाई ) है। 


सः मिष्ठान्नानि निर्माति। 

= वह मिठाइयाँ बनाता है। 


सः रसगोलकानि निर्माति , विक्रीणाति च।

= वह रसगुल्ले बनाता है बेचता है। 


सः मोदकानि निर्माति , विक्रीणाति च।

= वह लड्डू बनाता है और बेचता है। 


सः प्रातः कुण्डलिकानि निर्माति। 

= वह सुबह जलेबियाँ बनाता है। 


जनाः प्रेम्णा कुण्डलिकानि खादन्ति। 

= लोग प्रेम से जलेबियाँ खाते हैं। 


अधुना सः लवणीयकं निर्माति। 

= अभी वह नमकीन बना रहा है। 


माषगर्भं निर्माति। 

= कचौड़ी बना रहा है। 


जनेभ्यः माषगर्भः रोचते। 

= लोगों को कचौड़ी पसंद है। 


ह्यः सः मोमकं निर्मितवान्। 

= कल उसने पेड़ा बनाया। 


अद्य सायं सः नारिकेलपाकं निर्मास्यति। 

= आज शाम को वह नारियलपाक बनाएगा।



अद्य रजकः न आगतवान्। 

= आज धोबी नहीं आया। 


सः स्वं पुत्रं प्रेषितवान्।

= उसने अपने पुत्र को भेजा। 


मम प्रक्षालितानि वस्त्राणि तेन सह प्रेषितवान्।

= मेरे साफ किये हुए वस्त्र उसके साथ भेज दिये।


रजकस्य पुत्रः मम वस्त्राणि आनयति स्म। 

= धोबी का पुत्र मेरे वस्त्र ला रहा था। 


रजकस्य पुत्रः द्विचक्रिकया आगच्छति स्म। 

= धोबी का पुत्र साइकिल से आ रहा था। 


मार्गे गर्तः आसीत् ।

= रास्ते में गड्ढा था। 


सः बालकः पतितवान्।

= वह बालक गिर गया। 


मम वस्त्राणि अपि पतितानि।

= मेरे कपड़े भी गिर गए। 


तस्य जानौ व्रणः अभवत्। 

= उसकी जांघ पर घाव हो गया। 


रक्तम् अपि प्रवहति स्म। 

= खून भी बह रहा था। 


सः तत्रैव उपविश्य रोदनम् आरब्धवान्। 

= उसने वहीं बैठकर रोना शुरू कर दिया। 


मम पुत्रः मार्गे तं दृष्टवान्। 

= मेरे पुत्र ने रास्ते में उसे देख लिया। 


मम पुत्रः तम् उत्थापितवान्।

= मेरे पुत्र ने उसे उठाया। 


तस्य चिकित्सां कारितवान्। 

= उसकी चिकित्सा करवाई। 


मम वस्त्राणि गृहे आनीतवान्। 

= मेरे वस्त्र घर ले आया। 


केवलं द्वे वस्त्रे एव मलिने जाते।

= केवल दो ही वस्त्र मैले हुए।



यत्र ज्ञानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।

= जहाँ ज्ञान नहीं मिलता  वहाँ नहीं जाना चाहिये। 


यत्र शान्तिः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र सम्मानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र संस्कारः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र संस्कृतं मिलति तत्र अवश्यमेव गन्तव्यम्। 


यत्र = जहाँ  


तत्र = वहाँ 


न मिलति = नहीं मिलता है 


गन्तव्यम् = जाना चाहिये ।


न गन्तव्यम् = नहीं जाना चाहिये ।


अवश्यमेव = जरूर 


( अधुना भवन्तः अपि लिखन्तु )


#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


अहं यानं चालयामि। 

= मैं वाहन चला रहा हूँ। 


मम यानस्य अग्रे एकं यानं चलति। 

= मेरे वाहन के आगे एक वाहन चल रहा है। 


मम यानस्य पृष्ठे अपि एकं यानं चलति।

= मेरे वाहन के पीछे भी एक वाहन चल रहा है। 


मम अग्रे यद् यानं चलति तद् लङ्घितुम् इच्छामि। 

= मेरे आगे जो वाहन चल रहा है उसे ओवरटेक करना चाहता हूँ।


मम पृष्ठे यद् यानं चलति तद् मां लङ्घितुम् इच्छति।

= मेरे पीछे जो वाहन चल रहा है वह मुझे ओवरटेक करना चाहता है। 


मम अग्रे यद् यानम् अस्ति तद् यानं ...... 

मेरे आगे जो वाहन है वह वाहन ..... 


 कदाचित् मन्दं चलति ... 

= कभी धीमा चलता है .... 


कदाचित् शीघ्रं चलति ...

= कभी तेज चलता है .... 


कदाचित् वक्रं चलति ...

= कभी टेढ़ा चलता है .... 


कदाचित् ऋजु: चलति ...

= कभी सीधा चलता है ....


कथम् अहं लङ्घितुं शक्नोमि। 

= कैसे मैं ओवरटेक कर सकता हूँ।



#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


चन्द्रयानम् इतः कदा गतम् ?

= चन्द्रयान यहाँ से कब गया ? 


द्वाभ्यां मासाभ्यां पूर्वं गतम् ।

= दो महिने पहले गया ।


कुतः गतम् ? 

= कहाँ से गया ? 


गतं न अपितु प्रेषितम् ।

= गया नहीं अपितु भेजा गया। 


कुतः प्रेषितम् ? 

= कहाँ से भेजा गया ? 


श्रीहरिकोटातः प्रेषितम् ।

= श्रीहरिकोटा से भेजा गया।


ततः कुत्रः प्रेषितम् ? 

= वहाँ से कहाँ भेजा ? 


ततः अवकाशे प्रेषितम् ।

= वहाँ से अवकाश में भेजा गया। 


अवकाशात् कुत्र गतम् ? 

= अवकाश से कहाँ गया ? 


अवकाशात् चन्द्रयानं चन्द्रमा उपरि अवतरितम्। 

= अवकाश से चन्द्रयान चंद्रमा पर उतरा। 


चन्द्रयानं चन्द्रस्य परिक्रमापथि भ्रमति। 

= चन्द्रयान चन्द्र के परिक्रमा पथ पर घूम रहा है। 


ततः कदा प्रत्यागमिष्यति ? 

= वहाँ से कब वापस आएगा ? 


ओह न , ततः न प्रत्यागमिष्यति। 

= ओह नहीं , वहाँ से नहीं लौटेगा। 


तत्रैव भ्रमिष्यति। 

= वहीं घूमता रहेगा। 


😄😃🇮🇳🇮🇳


संस्कृत वाक्याभ्यासः  

~~~~~~~~~~~~~~

#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


द्वादश-वर्षाणि पर्यन्तं सः कारावासे आसीत् ।

= बारह वर्ष तक वह जेल में था ।


सः भयकरः अपराधी अस्ति।

= वह खतरनाक अपराधी है 


सः आतंकवादी सदृशः अस्ति 

= वह आतंकवादी जैसा है 


अधुना सः कारागारात् मुक्तः जातः ।

= अब वह जेल से मुक्त हो गया है 


यदा सः कारागारात् बहिः आगतवान् 

= जब वह जेल से बहार आया 


तदा धूर्ताः राजनेतारः तस्य स्वागतम् अकुर्वन् ।

= तब धूर्त राजनेताओं ने उसका स्वागत किया 


सीवानस्य सर्वे जनाः भयभीताः सन्ति ।

= सीवान में सभी लोग भयभीत हैं



#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


पौत्री आगत्य पश्यति। 

= पोती आकर देखती है। 


पौत्री - पितामही शेते ।

       =  दादीजी सो रही हैं। 


       कथम् एतस्यै औषधं  ददानि।

       = इनको औषधि कैसे दूँ ?


      माता उक्तवती नववादने पितामह्यै औषधं देहि।

      = माँ ने कहा था नौ बजे दादीजी को औषधि देना। 


      अहं सपाद नववादने दास्यामि। 

      = मैं सवा नौ बजे दूँगी। 


( सपाद नववादने पुनः पौत्री पश्यति ) 


पौत्री - पितामही गाढनिद्रायां स्वपिति।

       = दादीजी तो गहरी नींद में सो रही हैं। 


       सा शयनं करोतु नाम। 

       = इनको सोने दो । 


       रात्रौ मां कथां श्रावितवती। 

       = रात को मुझे कथा सुनाई। 


       रात्रौ पितामही बहु कासते स्म। 

       = रात में दादीजी बहुत खाँस रही थीं। 


       औषधं दशवादने दास्यामि। 

       = औषधि दस बजे दूँगी। 


       अधुना तु सुखेन निद्राति। 

       = अभी तो सुख से सो रही हैं। 


       माता विद्यालयतः द्वादशवादने आगमिष्यति। 

       = माँ विद्यालय से बारह बजे आएँगी। 


       तावद् दास्यामि। 

       = तब तक दे दूँगी।



----- अखिलेश आचार्य


संस्कृत वाक्य अभ्यास - 27 Click Here 




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ