संस्कृत वाक्य अभ्यास
Sanskrit sentence study
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
संस्कृताभ्यास - 5
पाठ (५) द्वितीया विभक्तिः (२)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-
तक्षकः काष्ठं तक्षति = बढ़ई लकड़ी छील रहा है।
पक्त्री अलाबूं त्वचयति = पाचिका लौकी छील रही है।
वानरः कदलीफलं त्वचयति = बन्दर केले का छिलका उतार रहा है।
पक्ता वृन्ताकं कृन्तति = रसोइया बैंगन काट रहा है।
मूषकः कर्गलानि कृन्तति = चूहा कागज काट रहा है।
पचः शाकं कर्त्तयति = पाचक सब्जी काट रहा है।
पचा वटकान् तलति = पाचिका वड़े तल रही है।
पक् रोटिकां वेल्लति = पाचक / पाचिका रोटी बेल रही है।
भगिनी चूर्णं गुम्फति = बहन आटा गूंथ रही है।
पेष्टा गोधूमान् पिंशति = पीसनेवाला गेहूं पीस रहा है।
पेषणी कटिजान् पिनष्टि = चक्की मक्का पीस रही है।
क्षोत्ता माषान् क्षुणत्ति = कूटनेवाला उड़द कूट रहा है।
शिल्पी कुट्टिमं कुट्टयति = मिस्त्री स्त्री फर्श को कूट रहा है।
कान्दविकः क्वथितालून् मृद्नाति = हलवाई उबले हुए आलुओं को मसल रहा है।
दुग्धविक्रेता दुग्धे जलं मेलयति = दूध बेचनेवाला दूध में पानी मिला रहा है।
घर्षकः गृञ्जनानि घर्षति = घिसनेवाला गाजर घिस रहा है।
मातुलानी मातुलुङ्गानि निष्पीडयति = मामी मुसम्बी निचोड़ रही है।
कुम्भकारः कुम्भं करोति = कुम्हार घड़ा बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुं वयति = जुलाहा धागे बुन रहा है।
दिनकरः दिनं करोति = सूर्य दिन को करता है। (अर्थात् सूर्य के कारण दिन होता है।)
भास्करः भासं करोति = सूर्य प्रकाश को देता है।
दिवाकरः दिवां करोति = सूर्य दिन को करता है।
प्रभाकरः प्रभां करोति = सूर्य प्रकाश करता है।
अहस्करः अहः करोति = सूर्य दिन करता है।
विभाकरः विभां करोति = सूर्य प्रकाश करता है।
निशाकरः निशां करोति = चन्द्रमा रात्रि करता है।
लिपिकरः लिपिं / प्रतिलिपिं करोति = लिपिक प्रतिलिपी करता है।
कर्मकरः कर्म करोति = सेवक कार्य करता है।
क्षेत्रकरः क्षेत्रं करोति = किसान खेत का काम कर रहा है।
किङ्करः किमिति करोति = नौकर क्या करूं ऐसा पूछता है।
शंकरः शं करोति = शंकर (कल्याण करनेवाला) कल्याण करता है।
पूजार्हः पूजां अर्हति = भक्त पूजा के योग्य है।
आदरार्हः आदरं अर्हति = आदरणीय व्यक्ति आदर के योग्य है।
मालार्हः मालां अर्हति = पूज्य व्यक्ति माला द्वारा स्वागतयोग्य है।
गोदः गां ददाति = गाय दान करनेवाला गाय देता है।
पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते = मोजा एड़ी की रक्षा करता है।
अङ्गुलित्रम् अङगुलीः त्रायते = दस्ताना ऊंगलियों की रक्षा करता है।
मधुपः मधु पिबति = भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।
मधुकरः मधु करोति = भौंरा शहद बनाता है।
शास्त्र स्त्रज्ञः शास्त्रं स्त्रं जानाति = शास्त्र स्त्रज्ञ शास्त्र स्त्र जानता है।
शीधुपी शीधु पिबति = शराबी महिला मदिरापान करती है।
सुरापी सुरां पिबति = शराबी महिला मदिरापान करती है।
तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि = आलसी तोंद थपथपा रहा है।
सामगी साम गायति = सामगान करनेवाली सामगान करती है।
न्यायकारी न्यायं करोति = न्यायकारी न्याय करता है।
दयाकरः दयां करोति = दयालु दया करता है।
सर्वाधारः सर्वान् आधरति = सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।
सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि = सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।
सर्वज्ञः सर्वं जानाति = सर्वज्ञ सब कुछ / सब को जानता है।
अल्पज्ञः अल्पं जानाति = अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।
सुखकरः सुखं करोति = सुखी सुख करता है।
सुखदः सुखं ददाति = सुखदाता सुख देता है।
दुःखकरः दुःखं करोति = दुःखी दुःख करता है।
दुःखदः दुःखं ददाति = दुःखदाता दुःख देता है।
कथाकारः कथां करोति = कथाकार कथा करता है।
श्लोककारः श्लोकं करोति = श्लोककार श्लोक बनाता है।
चाटुकारः चाटु करोति = चापलूस चापलूसी करता है।
सूत्रकारः सूत्रं करोति = सूत्रकार सूत्र बनाता है।
कलहकारः कलहं करोति = झगड़ालू झगड़ा करता है।
वैरकारः वैरं करोति = वैरी वैर करता है।
शकृत्करः शकृत् करोति = बछड़ा शौच करता है।
आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति = स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।
धर्मधरः धर्मं धरति = धार्मिक धर्म को धारण करता है।
सत्यपालः सत्यं पालयति = सत्यपाल सत्य का पालन करता है।
गोपालः गां पालयति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोपः गां पाति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
धरणीधरः धरणीं धरति = पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।
अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति = कम्पवा अंगों को हिलाता है।
जनमेजयः जनान् एजयति = जनमेजय लोगों को हिलाता है।
मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति = मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।
शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति = शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।
सञ्जयः सर्वं सञ्जयति = संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।
नासिकन्धमः नासिकां धमति = खर्राटे भरनेवाला खर्राटे (नीन्द) भर रहा है।
मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति = मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।
अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति = अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।
प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’
अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)
टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)
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यत्र ज्ञानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।
= जहाँ ज्ञान नहीं मिलता वहाँ नहीं जाना चाहिये।
यत्र शान्तिः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।
यत्र सम्मानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।
यत्र संस्कारः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।
यत्र संस्कृतं मिलति तत्र अवश्यमेव गन्तव्यम्।
यत्र = जहाँ
तत्र = वहाँ
न मिलति = नहीं मिलता है
गन्तव्यम् = जाना चाहिये ।
न गन्तव्यम् = नहीं जाना चाहिये ।
अवश्यमेव = जरूर
( अधुना भवन्तः अपि लिखन्तु )
संस्कृत वाक्याभ्यासः
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ऋषिदेवः रविवासरे मौनव्रतं पालयति ।
= ऋषिदेव रविवार को मौनव्रत पालता है
रविवासरे सः एकम् अपि शब्दं न वदति ।
= रविवार को वह एक भी शब्द नहीं बोलता है ।
सः केवलं लिखति ।
= वह केवल लिखता है
सः यत्किमपि वक्तुम् इच्छति
= वह जो कुछ भी बोलना चाहता है
तद् सर्वं लिखित्वा एव सूचयति ।
= वह सब लिखकर के ही सूचित करता है
सः सर्वं संस्कृत-भाषायामेव लिखति
= वह सब कुछ संस्कृत भाषा में ही लिखता है ।
तस्य पुत्रः विभुः उच्चैः तस्य लेखं पठति ।
= उसका बेटा विभु जोर से उसका लेख पढ़ता है
पठित्वा शीघ्रमेव वस्तूनि आनयति ।
= पढ़कर जल्दी से वस्तुएँ लाता है
विभुः अपि संस्कृतं जानाति ।
= विभु भी संस्कृत जानता है
विभुः आज्ञाकारी बालकः अस्ति ।
= विभु आज्ञाकारी बालक है
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संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
संस्कृताभ्यास - 6
पाठ (६) द्वितीया विभक्तिः (३) (द्विकर्मक धातुएं)
१. दुह्
अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी का दूध दुहता है।
गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का दूध दुहा।
वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान् शास्त्र से सार निकाले।
अग्निवाय्वादित्याङ्गिराः ईश्वरं वेदान् दुदुहुः = अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा ने ईश्वर से वेदों को प्राप्त किया।
भ्रष्टाचारिणः शासकाः प्रजां धनं धोक्ष्यन्ति = भ्रष्टाचारी शासक प्रजा के धन का दोहन (शोषण) करेंगे।
ऐश्वर्यप्रियाः पृथिवीं रत्नानि दोग्धारः = ऐय्याश लोग धरती से रत्नों को निकालेंगे।
रुग्णां गां दुग्धं मा दोग्धु = बीमार गाय का दूध मत निकालो।
२. याच्
सः सर्वकारं भूमिं याचति = वह सरकार से भूमि मांगता है।
अहं मित्रं लक्षरुप्यकाणि अयाचिषम् = मैंने मित्र से एक लाख रुपए मांगे।
पीडिता प्रजा दयालुं दयां याचिष्यति = दुःखी प्रजा दयालु ईश्वर से दया मांगेगी।
दुःखिणः न्यायालयं न्यायं याचेयुः = दुःखी लोग न्यायालय से न्याय की मांग करें।
सर्वदं प्रभुं किं याचे ? = सबकुछ के दाता ईश्वर से मैं क्या मांगूं ?
ईश्वरं मेधां याचतु = ईश्वर से मेधाबुद्धि की याचना करो।
ययातिः पुत्रान् यौवनं ययाच = ययाति ने पुत्रों से यौवन मांगा।
३. भिक्ष
पुरा ब्रह्मचारिणः गृहस्थं भिक्षां याचते स्म = प्राचीनकाल में ब्रह्मचारी गृहस्थियों से भिक्षा मांगते थे।
वधूः श्वश्रूं दयां अभिक्षिष्ट = बहू ने सास से दया की भीख मांगी।
कौत्सः दिलीपं धनं बिभिक्षे = कौत्स ने दिलीप से धन मांगा।
भिक्षुकः यात्रिणं रुप्यकं बिक्षिष्यते = भिखारी यात्रियों से रुपए की भीख मांगेगा।
संन्यासी सम्पन्नान् भिक्षां भिक्षेत् = संन्यासी सम्पन्न लोगों से भिक्षा मांगे।
विदुषः परामर्शं भिक्षताम् = विद्वानों से सलाह मांगो।
४. पच्
त्वं गोधूमान् संयावं पचसि = तू गेहूं का हलुआ पका रहा / रही है।
युवां गृञ्जनानि संयावं पचतम् = तुम दोनों गाजर का हलुआ पकाओ।
यूयम् अलाबूं संयावम् अपाक्त = तुम सब ने लौकी का हलुआ पकाया।
अहं मुद्गान् संयावं पक्ष्यामि = मैं मूंग का हलुआ पकाऊंगा / पकाऊंगी।
आवां चणकचूर्णं संयावं पचेव = हम दोनों को बेसन का हलुआ पकाना चाहिए।
वयं कटिजान् पायसं पक्तास्मः = हम सब मक्के की खीर पकाएंगे।
सा पीयूषं पैयूषम् अपचत् = उस लड़की ने सद्यः ब्याही गाय के दूध से खीस पकाया।
ते दुग्धं किलाटं पचेते = वे दोनों लड़कियां दूध से खोया बना रहीं हैं।
ताः आमलकानि मिष्टपाकं पचन्ताम् = वे सब महिलाएं आंवले का मुरब्बा बनाएं।
एषा चणकचूर्णं चित्रापूपान् पक्ष्यते = यह बालिका बेसन के चीले पकाएगी।
एते गोधूमचूणम् अङ्गारकर्कटीः पचेयाताम् = ये दोनों बालिकाएं गेहूं के आटे की बाटियां पकाएं।
एताः तण्डुलचूर्णं पर्पटीः अपचन्त = इन सब बालिकाओं ने चावल के आटे के पापड़ बनाए।
५. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
व्यभिचारिणीं श्वखादनं दण्डयतु = व्यभिचारिणी महिला को कुत्तों से नुचवाओ।
व्यभिचारिणं तप्तायसशयनं दण्डयिष्यति = (राजा) व्यभिचारी पुरुष को गरम लोहे के पलंग पर सुलाके मारने का दण्ड देगा।
देशद्रोहिणं सर्ववेदसम् अदण्डयत् = (न्यायाधीश ने) देशद्रोही का सर्वस्व छीन लेने का दण्ड दिया।
गुरुद्रोहिणं मृत्युदण्डम् अदिदण्डत् = गुरुद्रोही को मृत्युदण्ड दिया।
६. रुध्
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाला में रोकता है।
अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् = घुड़साल-सेवक घोड़ों को घुडसाल में रोकता है।
सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने शत्रुओं को सीमा पर रोक दिया।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगा।
७. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।
माला मोहनं क्षेमकुशलं अप्राक्षीत् = माला ने मोहन से कुशल-मंगल पूछा।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।
विवाहकाङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
८. चि
पादपान् पुष्पाणि चिनोति = (माली) पौधों से फूलों को चुनता है।
होलिकापर्वी किंशुकं किंशुकानि अचैषीत् = होली मनानेवाले ने ढाक से टेसू को चुना था।
मञ्जुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
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अद्यैव = आज ही
अद्यैव अमेरिकी-उपग्रहस्य प्रक्षेपणं भविष्यति
= आज ही अमेरिकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा ।
सः अद्यैव यजुर्वेदं क्रेष्यति
= वह आज ही यजुर्वेद खरीदेगा
हे पुत्र ! तव कार्यम् अद्यैव कुरु
= बेटा , तुम्हारा काम आज ही करो
आम् अहम् अद्यैव करिष्यामि
= हाँ मैं आज ही करूँगा ।
सः अद्यैव चायम् अत्यजत्
= उसने आज ही चाय छोड़ दी ।
अद्यैव अहं त्वां स्मरामि स्म
= आज ही मैं तुमको याद कर रहा था ।
अधुनैव = अभी ही , अभी अभी
सः अधुनैव इतः प्रस्थानम् अकरोत्
= उसने अभी अभी यहाँ से प्रस्थान किया ।
अधुनैव तव कृते केसरयुक्तं दुग्धं निर्मामि
= अभी ही तुम्हारे लिये केसर वाला दूध बनाता / बनाती हूँ ।
अधुनैव तव पिता आगमिष्यति
= अभी तुम्हारे पिताजी आ जाएँगे
आम् मातः ! अहम् अधुनैव स्नानं करोमि
= हाँ माँ , मैं अभी ही स्नान करता हूँ ।
अधुनैव अहं सूचनां प्राप्तवान्
= अभी अभी मैंने सूचना पाई ।
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सः कदा विरंस्यति
= वह कब रुकेगा।
द्विहोरातः सः व्यायामं करोति।
= दो घंटे से व्यायाम कर रहा है।
पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः अकूर्दत।
= पंद्रह मिनट तक वह कूदा।
अर्धहोरा पर्यन्तं सः अधावत्।
= आधा घंटे तक वह दौड़ा।
पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः दण्डम् अकरोत्।
= पन्द्रह मिनट तक उसने दण्ड किये।
पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः हस्तौ चालितवान्।
= पन्द्रह मिनट तक उसने दोनों हाथ चलाए।
पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः मुद्गरम् अधुनोत्
= पन्द्रह मिनट तक उसने मुद्गर घुमाया।
अधुना सः आसनानि करोति।
= अभी वह आसन कर रहा है।
अर्धहोरा अभवत्।
= आधा घंटा हो गया।
विविधानि आसनानि कुर्वन् अस्ति सः।
= वह विविध आसन कर रहा है।
तस्य शरीरात् प्रस्वेदः निर्गच्छति।
= उसके शरीर से पसीना निकल रहा है।
अधुना कदाचित् विरमेत्।
= अब शायद रुक जाए।
अधुना सः शवासनं करोति।
= अभी वह शवासन कर रहा है।
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वयं सर्वे लाहौर-नगरस्य नाम श्रुतवन्तः।
= हम सबने लाहौर नगर का नाम सुना है।
लवकुशाभ्यां तस्य निर्माणं कृतम्।
= लवकुश द्वारा उसका निर्माण किया गया।
आधुनिकस्य लाहौरस्य निर्माणं केन कृतं तद् वयं न जानीमः।
= आधुनिक लाहौर का निर्माण किसने किया वह हम नहीं जानते।
सर गंगाराम नाम्नः एकः अभियन्ता आसीत्।
= सर गंगाराम नाम के एक इंजीनियर थे।
तस्य जन्म 1851 तमे वर्षे अभवत्।
= उनका जन्म 1851 के वर्ष में हुआ था।
( एक सहस्र अष्ट शतं एक पञ्चाशत् )
सः मरुभूमौ कृषिकार्यम् आरब्धवान्।
= उन्होंने मरुभूमि पर खेती शुरू की।
सः यत्किमपि धनम् अर्जयति स्म तस्य सदुपयोगं लाहौरस्य विकासाय एव करोति स्म।
= वह जो कुछ भी धन कमाते थे उसका सदुपयोग लाहौर के विकास के लिये ही करते थे।
लाहौर नगरे मुख्य पत्रालयः, लाहौर संग्रहालयः , मेयो महाविद्यालयः , गंगाराम चिकित्सालयः इत्यादीनां भवनानां निर्माणं तेनैव कृतम्।
= लाहौर नगर में मुख्य डाकघर , लाहौर संग्रहालय, मेयो कॉलेज गंगाराम चिकित्सालय, आदि भवनों का निर्माण उन्होंने ही किया।
विद्युत्उत्पादन केन्द्रस्य निर्माणम् अपि तेनैव कृतम्।
= बिजली उत्पन्न करने के केंद्र का भी निर्माण उन्होंने किया।
पठानकोटतः अमृतसर पर्यन्तं रेलमार्गस्य निर्माणम् अपि सः एव कृतवान् आसीत्।
= पठानकोट से अमृतसर तक रेलमार्ग का निर्माण भी उन्होंने ही किया था।
दिल्ही-नगरे अपि सर गंगाराम चिकित्सालयः वर्तते।
= दिल्ली में भी सर गंगाराम अस्पताल है।
लाहौर नगरे अधुना अपि सर गंगारामस्य समाधिः विद्यते।
= लाहौर में आज भी सर गंगाराम की समाधि है।
वयं सर गंगारामं वन्दामहे।
= हम सर गंगाराम को वन्दन करते हैं।
दुःखस्य विषयः लाहौर अधुना पाकिस्थाने अस्ति।
= दुख का विषय है लाहौर अब पाकिस्तान में है।
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
बदलूरामस्य नाम भवन्तः न श्रुतवन्तः स्युः।
= बदलूराम का नाम आपने नहीं सुना होगा।
द्वितीयविश्वयुद्धे असमसैन्यदलस्य सैनिकाः ब्रिटिश पक्षतः युद्धयन्ते स्म।
= द्वितीय विश्वयुद्ध में असम रेजिमेंट के सैनिक ब्रिटिश की तरफ से लड़ रहे थे।
जापानस्य सैनिकैः सह युद्धं कुर्वन्तः आसन्।
= जापान के सैनिकों के साथ युद्ध कर रहे थे।
तस्मिन् युद्धे बदलूराम नामकः एकः सैनिकः वीरगतिं प्राप्तवान्।
= उस युद्ध में बदलूराम नाम का एक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुआ।
बदलूरामस्य शवं ते भूम्याः अधः निखनितवन्तः।
= बदलूराम का शव उन्होंने भूमि के नीचे दफना दिया।
तथापि ते बदलूरामस्य नाम आवलितः न निष्कासितवन्तः।
= फिर भी उन्होंने बदलूराम का नाम सूचि से नहीं निकाला।
अतएव ब्रिटिशसैनिकाः बदलूरामस्य कृते अपि अन्नं प्रेषयन्ति स्म।
= अतः ब्रिटिश सैनिक बदलूराम के लिये भी राशन भेजते थे।
जापानेन सह युद्धम् अवर्धत।
= जापान के साथ युद्ध बढ़ गया।
अतः अन्नस्य आपूर्तिः न भवति स्म।
= अतः अन्न की आपूर्ति नहीं हो रही थी।
अतएव असमसैनिकाः बदलूरामस्य अन्नं खादित्वा युद्धं कृतवन्तः।
= अतः असम सैनिकों ने बदलूराम का राशन खा कर युद्ध किया।
जापानस्य पराजयः अभवत्।
= जापान की पराजय हुई।
यदा ब्रिटिश जनाः तान् पृष्टवन्तः - " कुतः अन्नं लभन्ते स्म?"
= जब ब्रिटीशरों ने उनसे पूछा - " कहाँ से अन्न पाते थे ?
तदा ते सर्वे बदलूरामस्य नाम उक्तवन्तः।
= तब उन सबने बदलूराम का नाम लिया।
बदलूरामस्य सम्पूर्णां वार्ताम् उक्तवन्तः।
= बदलूराम की सारी कहानी कही।
अधुना असमसैनिकानां प्रयाणगीतं बदलूरामस्य नाम्ना अस्ति।
= अब असम सैनिकों का प्रयाणगीत बदलूराम के नाम पर है।
"बदलूरामस्य देहः भूम्याः अधः अस्ति।
वयं तस्मात् कारणात् भोजनं प्राप्नुमः।"
= बदलूराम का बदन जमीन के नीचे है .. हम उसके कारण भोजन को पाते हैं।
तद् गीतं भवन्तः अपि श्रृण्वन्तु।
= वो गीत आप भी सुनिये।
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
मातुलानी - संजय ! उत्तिष्ठ ।
= संजय , उठो ।
- संजयः तु अत्र नास्ति।
= संजय तो यहाँ नहीं है।
- शीघ्रमेव उत्थितवान् ।
= जल्दी उठ गया वह।
- एषः तु अत्र ध्यानं करोति।
= ये तो यहाँ ध्यान कर रहा है।
- संजयः ध्यानं करोति !!! आश्चर्यम्
= संजय ध्यान कर रहा है , आश्चर्य ।
( संजयः यदा उत्थास्यति तदा प्रक्ष्यामि।
= संजय जब उठता है तब पूछती हूँ। )
मातुलानी - त्वं कदा आरभ्य ध्यानं करोषि ?
= तुम कब से ध्यान करने लगे।
संजयः - गतमासे अहं संस्कारशिबिरं गतवान्।
= पिछले महीने मैं संस्कार शिबिर गया था।
तत्र ते योगध्यानस्य अभ्यासं कारितवन्तः ।
= वहाँ उन्होंने योग ध्यान का अभ्यास कराया।
मातुलानी - संजय !! त्वं तु श्रेष्ठः जातः।
= तुम तो सुधर गए।
संस्कृत वाक्याभ्यासः
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#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
सा भगिनी मार्गे प्रतिदिनं मिलति ।
= वह बहन हररोज रास्ते में मिलती है
मां दृष्ट्वा हसति ।
= मुझे देखकर हँसती है
अहं स्कूटरयाने भवामि ।
= मैं स्कूटर पर होता हूँ ।
सा पादाभ्यां चलमाना भवति
= वह पैदल चल रही होती है ।
अद्य सा मार्गे स्थितवती ।
= आज वह रास्ते में रुक गई
सा उक्तवती ।
= वह बोली
" भवान् स्मरति वा ? "
= आपको याद है ?
" दश वर्षेभ्यः पूर्वं मम पुत्रस्य यज्ञोपवीतं भवान् एव कारितवान् "
= दस वर्ष पहले मेरे बेटे का यज्ञोपवीत आपने कराया था
" सः अधुना वित्तकोषे अधिकारी अस्ति। "
= वह अब बैंक में ऑफिसर है
तस्याः वार्तां श्रुत्वा अहं बहु प्रसन्न: अभवम् ।
= उसकी बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ ।
---- अखिलेश आचार्य
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