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27) संस्कृत वाक्य अभ्यास

 संस्कृत वाक्य अभ्यास

Sanskrit sentence study





संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।




संस्कृताभ्यास - 5

पाठ (५) द्वितीया विभक्तिः (२)


कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-


तक्षकः काष्ठं तक्षति = बढ़ई लकड़ी छील रहा है।

पक्त्री अलाबूं त्वचयति = पाचिका लौकी छील रही है।

वानरः कदलीफलं त्वचयति = बन्दर केले का छिलका उतार रहा है।

पक्ता वृन्ताकं कृन्तति = रसोइया बैंगन काट रहा है।

मूषकः कर्गलानि कृन्तति = चूहा कागज काट रहा है।

पचः शाकं कर्त्तयति = पाचक सब्जी काट रहा है।

पचा वटकान् तलति = पाचिका वड़े तल रही है।

पक् रोटिकां वेल्लति = पाचक / पाचिका रोटी बेल रही है।

भगिनी चूर्णं गुम्फति = बहन आटा गूंथ रही है।

पेष्टा गोधूमान् पिंशति = पीसनेवाला गेहूं पीस रहा है।

पेषणी कटिजान् पिनष्टि = चक्की मक्का पीस रही है।

क्षोत्ता माषान् क्षुणत्ति = कूटनेवाला उड़द कूट रहा है।

शिल्पी कुट्टिमं कुट्टयति = मिस्त्री स्त्री फर्श को कूट रहा है।

कान्दविकः क्वथितालून् मृद्नाति = हलवाई उबले हुए आलुओं को मसल रहा है।

दुग्धविक्रेता दुग्धे जलं मेलयति = दूध बेचनेवाला दूध में पानी मिला रहा है।

घर्षकः गृञ्जनानि घर्षति = घिसनेवाला गाजर घिस रहा है।

मातुलानी मातुलुङ्गानि निष्पीडयति = मामी मुसम्बी निचोड़ रही है।

कुम्भकारः कुम्भं करोति = कुम्हार घड़ा बनाता है।

तन्तुवायः तन्तुं वयति = जुलाहा धागे बुन रहा है।

दिनकरः दिनं करोति = सूर्य दिन को करता है। (अर्थात् सूर्य के कारण दिन होता है।)

भास्करः भासं करोति = सूर्य प्रकाश को देता है।

दिवाकरः दिवां करोति = सूर्य दिन को करता है।

प्रभाकरः प्रभां करोति = सूर्य प्रकाश करता है।

अहस्करः अहः करोति = सूर्य दिन करता है।

विभाकरः विभां करोति = सूर्य प्रकाश करता है।

निशाकरः निशां करोति = चन्द्रमा रात्रि करता है।

लिपिकरः लिपिं / प्रतिलिपिं करोति = लिपिक प्रतिलिपी करता है।

कर्मकरः कर्म करोति = सेवक कार्य करता है।

क्षेत्रकरः क्षेत्रं करोति = किसान खेत का काम कर रहा है।

किङ्करः किमिति करोति = नौकर क्या करूं ऐसा पूछता है।

शंकरः शं करोति = शंकर (कल्याण करनेवाला) कल्याण करता है।

पूजार्हः पूजां अर्हति = भक्त पूजा के योग्य है।

आदरार्हः आदरं अर्हति = आदरणीय व्यक्ति आदर के योग्य है।

मालार्हः मालां अर्हति = पूज्य व्यक्ति माला द्वारा स्वागतयोग्य है।

गोदः गां ददाति = गाय दान करनेवाला गाय देता है।

पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते = मोजा एड़ी की रक्षा करता है।

अङ्गुलित्रम् अङगुलीः त्रायते = दस्ताना ऊंगलियों की रक्षा करता है।

मधुपः मधु पिबति = भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।

मधुकरः मधु करोति = भौंरा शहद बनाता है।

शास्त्र स्त्रज्ञः शास्त्रं स्त्रं जानाति = शास्त्र स्त्रज्ञ शास्त्र स्त्र जानता है।

शीधुपी शीधु पिबति = शराबी महिला मदिरापान करती है।

सुरापी सुरां पिबति = शराबी महिला मदिरापान करती है।

तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि = आलसी तोंद थपथपा रहा है।

सामगी साम गायति = सामगान करनेवाली सामगान करती है।

न्यायकारी न्यायं करोति = न्यायकारी न्याय करता है।

दयाकरः दयां करोति = दयालु दया करता है।

सर्वाधारः सर्वान् आधरति = सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।

सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि = सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।

सर्वज्ञः सर्वं जानाति = सर्वज्ञ सब कुछ / सब को जानता है।

अल्पज्ञः अल्पं जानाति = अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।

सुखकरः सुखं करोति = सुखी सुख करता है।

सुखदः सुखं ददाति = सुखदाता सुख देता है।

दुःखकरः दुःखं करोति = दुःखी दुःख करता है।

दुःखदः दुःखं ददाति = दुःखदाता दुःख देता है।

कथाकारः कथां करोति = कथाकार कथा करता है।

श्लोककारः श्लोकं करोति = श्लोककार श्लोक बनाता है।

चाटुकारः चाटु करोति = चापलूस चापलूसी करता है।

सूत्रकारः सूत्रं करोति = सूत्रकार सूत्र बनाता है।

कलहकारः कलहं करोति = झगड़ालू झगड़ा करता है।

वैरकारः वैरं करोति = वैरी वैर करता है।

शकृत्करः शकृत् करोति = बछड़ा शौच करता है।

आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति = स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।

धर्मधरः धर्मं धरति = धार्मिक धर्म को धारण करता है।

सत्यपालः सत्यं पालयति = सत्यपाल सत्य का पालन करता है।

गोपालः गां पालयति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।

गोपः गां पाति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।

गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति = गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।

धरणीधरः धरणीं धरति = पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।

अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति = कम्पवा अंगों को हिलाता है।

जनमेजयः जनान् एजयति = जनमेजय लोगों को हिलाता है।

मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति = मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।

शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति = शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।

सञ्जयः सर्वं सञ्जयति = संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।

नासिकन्धमः नासिकां धमति = खर्राटे भरनेवाला खर्राटे (नीन्द) भर रहा है।

मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति = मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।

अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति = अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।


प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’


अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)

टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)



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यत्र ज्ञानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् ।

= जहाँ ज्ञान नहीं मिलता  वहाँ नहीं जाना चाहिये। 


यत्र शान्तिः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र सम्मानं न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र संस्कारः न मिलति तत्र न गन्तव्यम् । 


यत्र संस्कृतं मिलति तत्र अवश्यमेव गन्तव्यम्। 


यत्र = जहाँ  


तत्र = वहाँ 


न मिलति = नहीं मिलता है 


गन्तव्यम् = जाना चाहिये ।


न गन्तव्यम् = नहीं जाना चाहिये ।


अवश्यमेव = जरूर 


( अधुना भवन्तः अपि लिखन्तु )




संस्कृत वाक्याभ्यासः  

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ऋषिदेवः  रविवासरे मौनव्रतं पालयति ।

= ऋषिदेव  रविवार को मौनव्रत पालता है 


रविवासरे सः एकम् अपि शब्दं न वदति ।

= रविवार को वह एक भी शब्द नहीं बोलता है ।


सः केवलं लिखति ।

= वह केवल लिखता है 


सः यत्किमपि वक्तुम् इच्छति 

= वह जो कुछ भी बोलना चाहता है 


तद् सर्वं लिखित्वा एव सूचयति ।

= वह सब लिखकर के ही सूचित करता है 


सः सर्वं संस्कृत-भाषायामेव लिखति 

= वह सब कुछ संस्कृत भाषा में ही लिखता है । 


तस्य पुत्रः विभुः उच्चैः तस्य लेखं पठति ।

= उसका बेटा विभु जोर से उसका लेख पढ़ता है 


पठित्वा शीघ्रमेव वस्तूनि आनयति ।

= पढ़कर जल्दी से वस्तुएँ लाता है 


विभुः अपि संस्कृतं जानाति ।

= विभु भी संस्कृत जानता है 


विभुः आज्ञाकारी बालकः अस्ति ।

= विभु आज्ञाकारी बालक है


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संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।



संस्कृताभ्यास - 6


पाठ (६) द्वितीया विभक्तिः (३) (द्विकर्मक धातुएं)


१. दुह्


अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी का दूध दुहता है।

गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का दूध दुहा।

वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान् शास्त्र से सार निकाले।

अग्निवाय्वादित्याङ्गिराः ईश्वरं वेदान् दुदुहुः = अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा ने ईश्वर से वेदों को प्राप्त किया।

भ्रष्टाचारिणः शासकाः प्रजां धनं धोक्ष्यन्ति = भ्रष्टाचारी शासक प्रजा के धन का दोहन (शोषण) करेंगे।

ऐश्वर्यप्रियाः पृथिवीं रत्नानि दोग्धारः = ऐय्याश लोग धरती से रत्नों को निकालेंगे।

रुग्णां गां दुग्धं मा दोग्धु = बीमार गाय का दूध मत निकालो।


२. याच्


सः सर्वकारं भूमिं याचति = वह सरकार से भूमि मांगता है।

अहं मित्रं लक्षरुप्यकाणि अयाचिषम् = मैंने मित्र से एक लाख रुपए मांगे।

पीडिता प्रजा दयालुं दयां याचिष्यति = दुःखी प्रजा दयालु ईश्वर से दया मांगेगी।

दुःखिणः न्यायालयं न्यायं याचेयुः = दुःखी लोग न्यायालय से न्याय की मांग करें।

सर्वदं प्रभुं किं याचे ? = सबकुछ के दाता ईश्वर से मैं क्या मांगूं ?

ईश्वरं मेधां याचतु = ईश्वर से मेधाबुद्धि की याचना करो।

ययातिः पुत्रान् यौवनं ययाच = ययाति ने पुत्रों से यौवन मांगा।


३. भिक्ष


पुरा ब्रह्मचारिणः गृहस्थं भिक्षां याचते स्म = प्राचीनकाल में ब्रह्मचारी गृहस्थियों से भिक्षा मांगते थे।

वधूः श्वश्रूं दयां अभिक्षिष्ट = बहू ने सास से दया की भीख मांगी।

कौत्सः दिलीपं धनं बिभिक्षे = कौत्स ने दिलीप से धन मांगा।

भिक्षुकः यात्रिणं रुप्यकं बिक्षिष्यते = भिखारी यात्रियों से रुपए की भीख मांगेगा।

संन्यासी सम्पन्नान् भिक्षां भिक्षेत् = संन्यासी सम्पन्न लोगों से भिक्षा मांगे।

विदुषः परामर्शं भिक्षताम् = विद्वानों से सलाह मांगो।


४. पच्


त्वं गोधूमान् संयावं पचसि = तू गेहूं का हलुआ पका रहा / रही है।

युवां गृञ्जनानि संयावं पचतम् = तुम दोनों गाजर का हलुआ पकाओ।

यूयम् अलाबूं संयावम् अपाक्त = तुम सब ने लौकी का हलुआ पकाया।

अहं मुद्गान् संयावं पक्ष्यामि = मैं मूंग का हलुआ पकाऊंगा / पकाऊंगी।

आवां चणकचूर्णं संयावं पचेव = हम दोनों को बेसन का हलुआ पकाना चाहिए।

वयं कटिजान् पायसं पक्तास्मः = हम सब मक्के की खीर पकाएंगे।

सा पीयूषं पैयूषम् अपचत् = उस लड़की ने सद्यः ब्याही गाय के दूध से खीस पकाया।

ते दुग्धं किलाटं पचेते = वे दोनों लड़कियां दूध से खोया बना रहीं हैं।

ताः आमलकानि मिष्टपाकं पचन्ताम् = वे सब महिलाएं आंवले का मुरब्बा बनाएं।

एषा चणकचूर्णं चित्रापूपान् पक्ष्यते = यह बालिका बेसन के चीले पकाएगी।

एते गोधूमचूणम् अङ्गारकर्कटीः पचेयाताम् = ये दोनों बालिकाएं गेहूं के आटे की बाटियां पकाएं।

एताः तण्डुलचूर्णं पर्पटीः अपचन्त = इन सब बालिकाओं ने चावल के आटे के पापड़ बनाए।


५. दण्ड


मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।

यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।

व्यभिचारिणीं श्वखादनं दण्डयतु = व्यभिचारिणी महिला को कुत्तों से नुचवाओ।

व्यभिचारिणं तप्तायसशयनं दण्डयिष्यति = (राजा) व्यभिचारी पुरुष को गरम लोहे के पलंग पर सुलाके मारने का दण्ड देगा।

देशद्रोहिणं सर्ववेदसम् अदण्डयत् = (न्यायाधीश ने) देशद्रोही का सर्वस्व छीन लेने का दण्ड दिया।

गुरुद्रोहिणं मृत्युदण्डम् अदिदण्डत् = गुरुद्रोही को मृत्युदण्ड दिया।


६. रुध्


गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाला में रोकता है।

अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् = घुड़साल-सेवक घोड़ों को घुडसाल में रोकता है।

सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने शत्रुओं को सीमा पर रोक दिया।

रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।

वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगा।


७. प्रच्छ्


पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।

माला मोहनं क्षेमकुशलं अप्राक्षीत् = माला ने मोहन से कुशल-मंगल पूछा।

गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।

विवाहकाङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।

पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।


८. चि


पादपान् पुष्पाणि चिनोति = (माली) पौधों से फूलों को चुनता है।

होलिकापर्वी किंशुकं किंशुकानि अचैषीत् = होली मनानेवाले ने ढाक से टेसू को चुना था।

मञ्जुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।

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अद्यैव = आज ही 


अद्यैव अमेरिकी-उपग्रहस्य प्रक्षेपणं भविष्यति 

= आज ही अमेरिकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा ।


सः अद्यैव यजुर्वेदं क्रेष्यति 

= वह आज ही यजुर्वेद खरीदेगा 


हे पुत्र ! तव कार्यम् अद्यैव कुरु 

= बेटा , तुम्हारा काम आज ही करो 


आम् अहम् अद्यैव करिष्यामि

= हाँ मैं आज ही करूँगा ।


सः अद्यैव चायम् अत्यजत् 

= उसने आज ही चाय छोड़ दी । 


अद्यैव अहं त्वां स्मरामि स्म 

= आज ही मैं तुमको याद कर रहा था । 


अधुनैव = अभी ही , अभी अभी 


सः अधुनैव इतः प्रस्थानम् अकरोत् 

= उसने अभी अभी यहाँ से प्रस्थान किया ।


अधुनैव तव कृते केसरयुक्तं दुग्धं निर्मामि 

= अभी ही तुम्हारे लिये केसर वाला दूध बनाता / बनाती हूँ ।


अधुनैव तव पिता आगमिष्यति

= अभी तुम्हारे पिताजी आ जाएँगे 


आम् मातः ! अहम् अधुनैव स्नानं करोमि 

= हाँ माँ , मैं अभी ही स्नान करता हूँ । 


अधुनैव अहं सूचनां प्राप्तवान् 

= अभी अभी मैंने सूचना पाई ।


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सः कदा विरंस्यति 

= वह कब रुकेगा। 


द्विहोरातः सः व्यायामं करोति। 

= दो घंटे से व्यायाम कर रहा है। 


पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः अकूर्दत।

= पंद्रह मिनट तक वह कूदा। 


अर्धहोरा पर्यन्तं सः अधावत्।

= आधा घंटे तक वह दौड़ा। 


पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः दण्डम् अकरोत्।

= पन्द्रह मिनट तक उसने दण्ड किये। 


पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः  हस्तौ चालितवान्।

= पन्द्रह मिनट तक उसने दोनों हाथ चलाए।


पञ्चदश निमेष पर्यन्तं सः  मुद्गरम् अधुनोत् 

= पन्द्रह मिनट तक उसने मुद्गर घुमाया।


अधुना सः आसनानि करोति। 

= अभी वह आसन कर रहा है। 


अर्धहोरा अभवत्।

= आधा घंटा हो गया। 


विविधानि आसनानि कुर्वन् अस्ति सः।

= वह विविध आसन कर रहा है। 


तस्य शरीरात् प्रस्वेदः निर्गच्छति।

= उसके शरीर से पसीना निकल रहा है। 


अधुना कदाचित् विरमेत्।

= अब शायद रुक जाए।


अधुना सः शवासनं करोति। 

= अभी वह शवासन कर रहा है।



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वयं सर्वे लाहौर-नगरस्य नाम श्रुतवन्तः।

= हम सबने लाहौर नगर का नाम सुना है। 


लवकुशाभ्यां तस्य निर्माणं कृतम्।

= लवकुश द्वारा उसका निर्माण किया गया। 


आधुनिकस्य लाहौरस्य निर्माणं केन कृतं तद् वयं न जानीमः।

= आधुनिक लाहौर का निर्माण किसने किया वह हम नहीं जानते। 


सर गंगाराम नाम्नः एकः अभियन्ता आसीत्। 

= सर गंगाराम नाम के एक इंजीनियर थे। 


तस्य जन्म 1851 तमे वर्षे अभवत्। 

= उनका जन्म 1851 के वर्ष में हुआ था। 

( एक सहस्र अष्ट शतं एक पञ्चाशत् ) 


सः मरुभूमौ कृषिकार्यम् आरब्धवान्। 

= उन्होंने मरुभूमि पर खेती शुरू की। 


सः यत्किमपि धनम् अर्जयति स्म तस्य सदुपयोगं लाहौरस्य विकासाय एव करोति स्म। 

= वह जो कुछ भी धन कमाते थे उसका सदुपयोग लाहौर के विकास के लिये ही करते थे। 


लाहौर नगरे मुख्य पत्रालयः, लाहौर संग्रहालयः , मेयो महाविद्यालयः , गंगाराम चिकित्सालयः इत्यादीनां भवनानां निर्माणं  तेनैव कृतम्।

= लाहौर नगर में मुख्य डाकघर , लाहौर संग्रहालय, मेयो कॉलेज गंगाराम चिकित्सालय, आदि भवनों का निर्माण उन्होंने ही किया। 


विद्युत्उत्पादन केन्द्रस्य निर्माणम् अपि तेनैव कृतम्। 

= बिजली उत्पन्न करने के केंद्र का भी निर्माण उन्होंने किया। 


पठानकोटतः अमृतसर पर्यन्तं रेलमार्गस्य निर्माणम् अपि सः एव कृतवान् आसीत्।

= पठानकोट से अमृतसर तक रेलमार्ग का निर्माण भी उन्होंने ही किया था। 


दिल्ही-नगरे अपि सर गंगाराम चिकित्सालयः वर्तते।

= दिल्ली में भी सर गंगाराम अस्पताल है। 


लाहौर नगरे अधुना अपि सर गंगारामस्य समाधिः विद्यते।

= लाहौर में आज भी सर गंगाराम की समाधि है।


वयं सर गंगारामं वन्दामहे।

= हम सर गंगाराम को वन्दन करते हैं। 


दुःखस्य विषयः लाहौर अधुना पाकिस्थाने अस्ति। 

= दुख का विषय है लाहौर अब पाकिस्तान में है।


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बदलूरामस्य नाम भवन्तः न श्रुतवन्तः स्युः। 

= बदलूराम का नाम आपने नहीं सुना होगा। 

 

द्वितीयविश्वयुद्धे असमसैन्यदलस्य सैनिकाः ब्रिटिश पक्षतः युद्धयन्ते स्म। 

= द्वितीय विश्वयुद्ध में असम रेजिमेंट के सैनिक ब्रिटिश की तरफ से लड़ रहे थे। 


जापानस्य सैनिकैः सह युद्धं कुर्वन्तः आसन्।

= जापान के सैनिकों के साथ युद्ध कर रहे थे। 


तस्मिन् युद्धे बदलूराम नामकः एकः सैनिकः वीरगतिं प्राप्तवान्। 

= उस युद्ध में बदलूराम नाम का एक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुआ। 


बदलूरामस्य शवं ते भूम्याः अधः निखनितवन्तः। 

= बदलूराम का शव उन्होंने भूमि के नीचे दफना दिया। 


तथापि ते बदलूरामस्य नाम आवलितः न निष्कासितवन्तः। 

= फिर भी उन्होंने बदलूराम का नाम सूचि से नहीं निकाला। 


अतएव ब्रिटिशसैनिकाः बदलूरामस्य कृते अपि अन्नं प्रेषयन्ति स्म।

= अतः ब्रिटिश सैनिक बदलूराम के लिये भी राशन भेजते थे। 


जापानेन सह युद्धम् अवर्धत।

= जापान के साथ युद्ध बढ़ गया। 


अतः अन्नस्य आपूर्तिः न भवति स्म। 

= अतः अन्न की आपूर्ति नहीं हो रही थी। 


अतएव असमसैनिकाः बदलूरामस्य अन्नं खादित्वा युद्धं कृतवन्तः। 

= अतः असम सैनिकों ने बदलूराम का राशन खा कर युद्ध किया। 


जापानस्य पराजयः अभवत्। 

= जापान की पराजय हुई। 


यदा ब्रिटिश जनाः तान् पृष्टवन्तः - " कुतः अन्नं लभन्ते स्म?"

= जब ब्रिटीशरों ने उनसे पूछा - " कहाँ से अन्न पाते थे ? 


तदा ते सर्वे बदलूरामस्य नाम उक्तवन्तः। 

= तब उन सबने बदलूराम का नाम लिया। 


बदलूरामस्य सम्पूर्णां वार्ताम् उक्तवन्तः। 

= बदलूराम की सारी कहानी कही। 


अधुना असमसैनिकानां प्रयाणगीतं बदलूरामस्य नाम्ना अस्ति। 

= अब असम सैनिकों का प्रयाणगीत बदलूराम के नाम पर है। 


"बदलूरामस्य देहः भूम्याः अधः अस्ति। 

वयं तस्मात् कारणात् भोजनं प्राप्नुमः।" 

= बदलूराम का बदन जमीन के नीचे है .. हम उसके कारण भोजन को पाते हैं। 


तद् गीतं भवन्तः अपि श्रृण्वन्तु। 

= वो गीत आप भी सुनिये।



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मातुलानी - संजय ! उत्तिष्ठ ।

             = संजय , उठो ।


             - संजयः तु अत्र नास्ति।

             = संजय तो यहाँ नहीं है। 


             - शीघ्रमेव उत्थितवान् ।

             = जल्दी उठ गया वह। 


             - एषः तु अत्र ध्यानं करोति।

             = ये तो यहाँ ध्यान कर रहा है। 


             - संजयः ध्यानं करोति !!!  आश्चर्यम् 

            = संजय ध्यान कर रहा है , आश्चर्य । 


( संजयः यदा उत्थास्यति तदा प्रक्ष्यामि।

  = संजय जब उठता है तब पूछती हूँ। )


मातुलानी - त्वं कदा आरभ्य ध्यानं करोषि ? 

          = तुम कब से ध्यान करने लगे। 


संजयः - गतमासे अहं संस्कारशिबिरं गतवान्। 

         = पिछले महीने मैं संस्कार शिबिर गया था। 


         तत्र ते योगध्यानस्य अभ्यासं कारितवन्तः ।

        = वहाँ उन्होंने योग ध्यान का अभ्यास कराया।        


मातुलानी - संजय !! त्वं तु श्रेष्ठः जातः। 

             = तुम तो सुधर गए।


संस्कृत वाक्याभ्यासः 

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सा भगिनी मार्गे प्रतिदिनं मिलति । 

= वह बहन हररोज रास्ते में मिलती है 


मां दृष्ट्वा हसति । 

= मुझे देखकर हँसती है 


अहं स्कूटरयाने भवामि । 

= मैं स्कूटर पर होता हूँ । 


सा पादाभ्यां चलमाना भवति 

= वह पैदल चल रही  होती  है । 


अद्य सा मार्गे स्थितवती । 

= आज वह रास्ते में रुक गई 


सा उक्तवती । 

= वह बोली 


" भवान् स्मरति वा ? " 

= आपको याद है ? 


" दश वर्षेभ्यः पूर्वं मम पुत्रस्य यज्ञोपवीतं भवान् एव कारितवान् " 

= दस वर्ष पहले मेरे बेटे का यज्ञोपवीत आपने कराया था 


" सः अधुना वित्तकोषे अधिकारी अस्ति। " 

= वह अब बैंक में ऑफिसर है 


तस्याः वार्तां श्रुत्वा अहं बहु प्रसन्न: अभवम् । 

= उसकी बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ ।


---- अखिलेश आचार्य

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