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28) संस्कृत वाक्य अभ्यास

 संस्कृत वाक्य अभ्यास 

Sanskrit sentence study





संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।



संस्कृताभ्यास - 4


पाठ (४) द्वितीया विभक्तिः (१)


कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-


इन्द्रः राज्यम् इन्दति = राजा राज्य पर शासन करता है।

वस्त्रस्त्रसेवकः वस्त्रस्त्रं सीव्यति = दर्जी कपड़े सिल रहा है।

पितृव्या कन्थां कन्थति = चाची गुदड़ी सिल रही है।

माता दधि मथ्नाति = मां दही मथ्ज्ञ रही है।

चिन्तकः चित्तं मथ्नाति / मन्थति = विचारक खूब विचार-विमर्श (मन्थन) कर रहा है।

मथनी दधि मथ्नाति = मथनी दही बिलो रही है।

पिता मृतपुत्रं शोचति / शोकति = पिता मृतपुत्र का शोक करता है।

सेविका तण्डुलान् शोधति = सेविका चावल साफ कर रही है।

शोधकः त्रुटीः संशोधयति = शोधक (प्रुफ रीडर) गलतियां छांट रहा है।

ईश्वरः अस्मान् शुन्धति = ईश्वर हमें पवित्र कर रहा है।

ज्ञानं मनः शुच्यति / शुच्यते = ज्ञान मन को शुद्ध करता है।

स्वसा भाण्डानि मार्जयति = बहन पात्रों को मांज रही है।

वसुधा वस्त्रास्त्राणि प्रक्षालयति = वसुधा कपड़े धो रही है।

पितृस्वसा प्राङ्गणं सम्मार्जयति = बुआ आंगन बुहार रही है।

मातृष्वसा गृहं / गेहं सम्मार्ष्टि = मौसी घर बुहार रही है

पविता बुद्धिं पुनाति = पवित्र ईश्वर बुद्धि को निर्मल करता है।

पवनः वातावरणं पवते = वायु वातावरण को शुद्ध करती है।

अग्निहोत्रं गृहं पवित्रयति = हवन घर को पवित्र करता है।

सत्यं चित्तं पवित्रीकरोति = सत्य चित्त को पवित्र करता है।


भोजभूरित्वम् (भोज सम्बन्धित विविध क्रियाएं)


भवति किं चर्वति = आप क्या चबा रही है ?

अहं भूचणकान् चबामि = मैं मूंगफली चबा रही / रहा हूं।

इयं बालिका जंबीररसं पिबति = यह बच्ची नींबूपानी पी रही है।

ज्वरितः गुलिकां निगलति = रुग्ण गोली खा रहा है।

सा बाला आम्रं चूषति = वह लड़की आम चूसती है।

इमे किशोर्यौ शष्कुलीः खादतः = ये दोनों किशोरियां पूड़िया खा रही हैं।

इमाः कन्याः अवलेहम् अवलिहन्ति = ये कन्याएं चटनी चाट रही हैं।

इमौ किशोरौ शाल्यपूपान् अत्तः = ये दोनों किशोर डोसे खा रहे हैं।

इमे कुमाराः वाष्पापूपान् अश्नन्ति = ये सब कुमार इड़ली खा रहे हैं।

पितामहः कृसरां / कृशरां भुङ्क्ते = दादाजी खिचड़ी खा रहे हैं।

पितामही गुलाबजामुनानि जमति = दादी गुलाबजामुन खा रही है।

मातामहः चायं आचमनति = नाना चाय की चुस्कियां ले रहे हैं।

मातामही रोटिकां ग्रसति = नानी एकेक ग्रास रोटी खा रही है।

महिषी घासं घसति = भैंस घास खा रही है।

बलिवर्दः घासं चरति = बैल घास चर रहा है।

वत्सा तृणानि तृणति = बछड़ी तिनके खा रही है।

गौः चवितं रोमन्थायते = गाय खाए हुए की जुगाली कर ही है।

चटका अन्नकणान् उञ्छति = चिड़िया दाने (अन्नकण) चुग रही है।

माता तण्डुलान् उञ्छति = मां चावल बीन रही है।

भक्षकः भक्ष्यं भक्षति = भोजनभट्ट भोजन चट कर रहा है।

अद्मरः लप्सिकां स्वदते = खाऊ लप्सी को स्वाद ले-ले कर खा रहा है।

पाचिका सूपं आस्वादयति / आस्वदते / आस्वादते = पाचिका दाल चख रही है।

शिशुः मोदकं आस्वादयति / आस्वदते / आस्वादयते = छोटा बच्चा लड्डू थोड़ा सा खा रहा है।

अतिथयः आम्ररसं रसयति = अतिथि आम्ररस खा रहे हैं।

भ्रमरः / द्विरेफः पुष्पं रसयति = भौंरा फूल का मकरंद पी रहा है।

तुण्डिलः / तुन्दिलः भोजनं तुण्डति = तोंदवाला (पेटू) भोजन चुराकर खाता है।


इति भोजभूरित्वम्


खर्जूः मां खर्जति = खाज मुझे व्याकुल कर रही है।

व्यथा सर्वान् व्यथति = व्यथा सबको बेचैन करती है।

वटुकं बुभुक्षा बाधते = छोटे बच्चे को भूख सता रही है।

पीड़ा पीड़ितं पीड़यति = दर्द रोगी को दुःख दे रहा है।

रोगः रोगिणं / रोगिणः रुजति = रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।

सन्तापः अस्मान् सन्तापयति = सन्ताप हमें दुःख दे रहा है।

ज्वरः ज्वरिणं ज्वरयति = बुखार रोगी को कष्ट दे रहा है।

कष्टानि युष्मान् कष्टयन्ति = कष्ट तुम्हें पीड़ित कर रहे हैं।

आमयः आमयाविनम् आमयति = रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।

गदः प्राणिनं दुःखयति = रोग प्राणियों को दुःख देता है।

नूतनं वसनं गात्रं कण्डूयति = नया कपड़ा शरीर को काट रहा है।

नूतनं पादत्राणं पादं पीड़यति = नया जूता पैर में चुभ रहा है।

मूषिका मुद्गान् मुष्णाति = चुहिया मूंग चुरा रही है।

चौरः आभूषणानि चोरयति / चोरयते = चोर गहने चुराता है।

लुण्टाकः पदातीन् लुण्टति = लुटेरा पथिकों को लूटता है।

कटुवाक्याणि सर्वान् कण्टन्ति = कड़वे बोल सभी को कांटे की तरह चुभते हैं।

माता भोजनं वण्टति = मां भोजन परोसती है।

परिवेषकः पायसं परिवेषयति = परोसनेवाला खीर परोस रहा है।

जठरः भुक्तं जठति = उदर खाए-पीए अन्नादि को धारण करता / रखता है।

शुण्ठिः श्लेष्म शुण्ठति = सौंठ कफ को सुखाती है।

उद्दण्डः चाकखण्डं खण्डति = शरारती बालक चॉक (श्यामफलक की चूने से बनी लेखनी) के टुकड़े कर रहा है।

काष्ठाहरः काष्ठानि आहरति खण्डति च = लकड़हारा लकड़ियां लाता है और उसे फाड़ता है।

चण्डी प्रतिवेशिनं चण्डति = गुस्सैल महिला पड़ोसी वपर क्रोध कर रही है।

मुण्डकः मुण्डं मुण्डति = नाई सिर मूंड रहा है।

भवान् किं ढुंढति ? = आप क्या ढूंढ रहे है ?

अहं संस्कृत-शब्दान् अन्वेषयामि = मैं संस्कृत भाषा के शब्दों को खोज रहा हूं।

वैज्ञानिकः किं आविष्करोति ? = वैज्ञानिक क्या आविष्कार कर रहा है ?

वैज्ञानिकः नवं विज्ञानं विवृणुते = वैज्ञानिक नई खोज को प्रस्तुत (उद्घाटित) कर रहा है।

गुप्तचरः रहस्यं उद्घाटयति = जासूस रहस्य खोल रहा है।


प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’


अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)

टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)


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सः कान्दविकः अस्ति ।

= वह मिठाईवाला (हलवाई ) है। 


सः मिष्ठान्नानि निर्माति। 

= वह मिठाइयाँ बनाता है। 


सः रसगोलकानि निर्माति , विक्रीणाति च।

= वह रसगुल्ले बनाता है बेचता है। 


सः मोदकानि निर्माति , विक्रीणाति च।

= वह लड्डू बनाता है और बेचता है। 


सः प्रातः कुण्डलिकानि निर्माति। 

= वह सुबह जलेबियाँ बनाता है। 


जनाः प्रेम्णा कुण्डलिकानि खादन्ति। 

= लोग प्रेम से जलेबियाँ खाते हैं। 


अधुना सः लवणीयकं निर्माति। 

= अभी वह नमकीन बना रहा है। 


माषगर्भं निर्माति। 

= कचौड़ी बना रहा है। 


जनेभ्यः माषगर्भः रोचते। 

= लोगों को कचौड़ी पसंद है। 


ह्यः सः मोमकं निर्मितवान्। 

= कल उसने पेड़ा बनाया। 


अद्य सायं सः नारिकेलपाकं निर्मास्यति। 

= आज शाम को वह नारियलपाक बनाएगा।




संस्कृत वाक्याभ्यासः 

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अजित दोभालं तु सर्वे जानन्ति । 

= अजित दोभाल को तो सभी जानते हैं 


सः अस्माकं राष्ट्रीयसुरक्षा-परामर्शदातृ-समित्याः अध्यक्षः अस्ति । 

= वो हमारे राष्ट्रीय सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं 


गतदिने (ह्यः ) तस्य व्याख्यानं श्रृणोमि स्म । 

= कल उनका व्याख्यान सुन रहा था 


यू ट्यूब मध्ये तस्य व्याख्यानं श्रुतं मया । 

= यू ट्यूब में मैंने उनका व्याख्यान सुना 


सः राष्ट्रीय सुरक्षा विषये व्याख्यानं ददाति स्म । 

= वह राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में व्याख्यान दे रहे थे । 


तेन उक्तम् 

= उन्होने कहा 


चीनदेशस्य गुप्तचराः संस्कृतभाषाम् अपि जानन्ति । 

= चीन देश के गुप्तचर (जासूस)  संस्कृत भी जानते हैं 


चीनदेशे अनेके युवकाः संस्कृताध्ययनं कुर्वन्ति । 

= चीन देश में अनेक युवक संस्कृत का अध्ययन करते हैं 


अनन्तरं ते शीघ्रमेव भारतीयाः भाषा: पठितुं शक्नुवन्ति । 

= बाद में वे शीघ्र ही भारतीय भाषाएँ सीख (पढ़) सकते हैं 


अहो , संस्कृतस्य महत्वम् 


संस्कृतं पठित्वा वयं अन्याः भाषा: शीघ्रमेव अवगन्तुं शक्नुमः । 

= संस्कृत पढ़ कर हम शीघ्र ही अन्य भाषाएँ समझ सकते हैं

[9/10, 10:28 AM] जगदीश: डाभी: #onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह


अद्य रजकः न आगतवान्। 

= आज धोबी नहीं आया। 


सः स्वं पुत्रं प्रेषितवान्।

= उसने अपने पुत्र को भेजा। 


मम प्रक्षालितानि वस्त्राणि तेन सह प्रेषितवान्।

= मेरे साफ किये हुए वस्त्र उसके साथ भेज दिये।


रजकस्य पुत्रः मम वस्त्राणि आनयति स्म। 

= धोबी का पुत्र मेरे वस्त्र ला रहा था। 


रजकस्य पुत्रः द्विचक्रिकया आगच्छति स्म। 

= धोबी का पुत्र साइकिल से आ रहा था। 


मार्गे गर्तः आसीत् ।

= रास्ते में गड्ढा था। 


सः बालकः पतितवान्।

= वह बालक गिर गया। 


मम वस्त्राणि अपि पतितानि।

= मेरे कपड़े भी गिर गए। 


तस्य जानौ व्रणः अभवत्। 

= उसकी जांघ पर घाव हो गया। 


रक्तम् अपि प्रवहति स्म। 

= खून भी बह रहा था। 


सः तत्रैव उपविश्य रोदनम् आरब्धवान्। 

= उसने वहीं बैठकर रोना शुरू कर दिया। 


मम पुत्रः मार्गे तं दृष्टवान्। 

= मेरे पुत्र ने रास्ते में उसे देख लिया। 


मम पुत्रः तम् उत्थापितवान्।

= मेरे पुत्र ने उसे उठाया। 


तस्य चिकित्सां कारितवान्। 

= उसकी चिकित्सा करवाई। 


मम वस्त्राणि गृहे आनीतवान्। 

= मेरे वस्त्र घर ले आया। 


केवलं द्वे वस्त्रे एव मलिने जाते।

= केवल दो ही वस्त्र मैले हुए।

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* पुनः पाठयतु।

   = फिर से पढ़ाइये। 


** किमर्थं पुनः ? 

    = फिर से क्यों ?  


* केचन जनाः अनुपस्थिताः आसन्।

   = कुछ लोग अनुपस्थित थे। 


* केचन जनाः नूतनाः सन्ति। 

   = कुछ लोग नए हैं।


** सर्वे अभ्यासं कुर्वन्ति खलु ? 

   = सभी अभ्यास करते हैं न ? 


* आं कुर्वन्ति। 

   = हाँ करते हैं। 


** सर्वेषाम् अभ्यासः न दृश्यते।

   = सबका अभ्यास नहीं दिखता है। 


*  सर्वे केवलं पठन्ति।

   = सब केवल पढ़ते हैं। 


** केवलं पठनेन संस्कृतं न शिक्ष्यते। 

   = केवल पढ़ने से संस्कृत नहीं सीखी जाती है। 


** अभ्यासः अपि आवश्यकः भवति। 

   = अभ्यास भी आवश्यक होता है।


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कथं गच्छानि ? 

= कैसे जाऊँ ? 


यानं तु सः नीतवान्। 

= वाहन तो वह ले गया। 


पदभ्यां गच्छामि।

= पैदल जाता हूँ। 


न...न...मम पार्श्वे भारः अपि अस्ति।

= नहीं ...नहीं ... मेरे पास भार भी है। 


कथं नेष्यामि ? 

= कैसे ले जाऊँगा ? 


प्रतिवेशी अपि गृहे नास्ति।

= पड़ोसी भी घर में नहीं है।


अस्तु, मुख्य मार्गं गच्छामि।

= ठीक है, मेन रोड पर जाता हूँ। 


किमपि हस्तं दर्शयामि। 

= किसी को भी हाथ दिखाता हूँ। 


कदाचित् कोsपि तिष्ठेत् । 

= शायद कोई रुक जाए। 


कदाचित् कोsपि नयेत् । 

= शायद कोई ले चले।


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सरोवरे सिंहः जलं पिबति। 

= सरोवर में शेर पानी पीता है। 


सिंहः लपलप कृत्वा जलं पिबति।

= शेर लपलप करके पानी पीता है। 


सिंहः जिह्वया जलं पिबति। 

= शेर जीभ से पानी पीता है। 


जिह्वां मुखात् बहिः निष्कासयति। 

= जीभ को मुँह से बाहर निकालता है। 


जिह्वायां जलं गृह्णाति। 

= जीभ में पानी लेता है। 


यदा जिह्वा मुखस्य अन्तः गच्छति तदा जलमपि मुखस्य अन्तः गच्छति। 

= जब जीभ मुँह के अंदर जाती है तब पानी भी मुँह के अंदर जाता है। 


जलपानसमये सिंहः अत्र तत्र पश्यति। 

= पानी पीते समय शेर यहाँ वहाँ देखता है।


सिंहेन सह तस्य शावकाः अपि सन्ति। 

= शेर के साथ उसके बच्चे भी हैं। 


सिंहिनी अपि जलम् पातुम् आगच्छति। 

= शेरनी भी पानी पीने आती है। 


जलं पीत्वा ते वनं प्रति गच्छन्ति। 

= पानी पीकर वे वन को जाते हैं।



--- अखिलेश आचार्य


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