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29) संस्कृत वाक्य अभ्यास

 संस्कृत वाक्य अभ्यास

Sanskrit sentence study






एतद् एकरुप्यकम् अस्ति ।

= ये एक रूपया है । 


एतानि पञ्चरुप्यकाणि सन्ति

= ये पाँच रुपये हैं । 


एतानि दशरुप्यकाणि सन्ति 

= ये दस रूपये हैं  


एतानि विंशतिः रुप्यकाणि सन्ति 

= ये बीस रुपये हैं । 


पितामहः पौत्रं रुप्यकाणि दर्शयति 

= दादाजी पोते को रूपए दिखाते हैं । 


पश्य वत्स , अत्र संस्कृते अपि लिखितम् अस्ति 

= देखो बेटा , यहाँ संस्कृत में भी लिखा है । 


अधस्तात् चतुर्थे क्रमे संस्कृत-भाषायां लिखितं वर्तते 

= नीचे से चौथे क्रम में संस्कृत भाषा में लिखा है ।  


पौत्रः सर्वाणि रुप्यकाणि पश्यति 

= पोता सारे नोट देखता है । 


पौत्रः बहु प्रसन्नः भवति 

= पोता बहुत खुश होता है । 


सः तस्य मातरं दर्शयति 

= वह अपनी माँ को दिखाता है । 


* हे मातः !  पश्यतु  सहस्त्र रुप्यकाणि 

  = ओ माँ , देखिये हजार रुपया ।


अद्य भवन्तः / भवत्यः अपि सर्वाणि रुप्यकाणि पश्यन्तु , दर्शयन्तु 


= आज आप भी सभी नोट देखें और दिखाएँ । 


प्रश्नः  -  कति रुप्यकाणि ?  


उत्तरम्  - शतं रुप्यकाणि ।  


नोट = रुप्यकम् 


पञ्च-रुप्यकाणां रुप्यकम् ।



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अधुना सर्वत्र अवकरपात्रं दृश्यते।

= अब सब जगह कूड़ादान दिखता है। 


आपणिकाः आपणात् बहिः अवकरपात्रं स्थापयन्ति।

= दुकानदार दूकान से बाहर कूड़ेदान को रखते हैं। 


गृहस्वामिनः अपि गृहेषु अवकरपात्रं स्थापयन्ति।

= घरों के मालिक घरों में कूड़ादान रखते हैं। 


उच्छिष्ठम् अन्नं पशूनां कृते पृथक स्थापयन्ति।

= जूठा भोजन पशुओं के लिये अलग रखते हैं।


अवशिष्ठम् अवकरम् अवकरपात्रे क्षिपन्ति।

= बाकी बचा कचरा कूड़ेदान में फेंकते हैं। 


कर्गदानि क्षिपन्ति।

= कागज फेंकते हैं। 


कूपीः क्षिपन्ति। 

= बोतलें फेंकते हैं। 


बालकाः अपि ज्येष्ठानाम् अनुकरणं कुर्वन्ति।

= बच्चे भी बड़ों का अनुकरण करते हैं। 


प्रातःसायं अवकरपात्रं रिक्तं क्रियते।

= सुबह शाम कूड़ादान खाली किया जाता है। 


स्वच्छता सर्वेभ्यः रोचते।

= स्वच्छता सबको पसन्द है।


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एका भगिनी दूरवाणीं कृतवती। 

= एक बहन ने फोन किया ।


"अहं संस्कृतं नहीं जानती हूँ। 


अहं चाहती हूँ। 


क्या करोमि ? " 


तस्याः सम्वादं श्रुत्वा आनन्दः जातः । 

= उसका सम्वाद सुनकर खुशी मिली । 


यथा अहं पंजाबी भाषायां वक्तुं प्रयत्नं करोमि। 

= जैसे मैं पंजाबी बोलने का प्रयत्न करता हूँ। 


" अहं त्वाडे नाल वार्तालापं करोमि। " 

( 👆मम पंजाबी ) 

अहं मराठी भाषायां वक्तुं प्रयत्नं करोमि। 

= मैं मराठी बोलने का प्रयत्न करता हूँ।


तुमचा नांव किम् ? 

( 👆मम मराठी ) 


तथैव सा अपि संस्कृते वक्तुं यत्नं कृतवती। 

= वैसे ही उसने संस्कृत में बोलने का यत्न किया। 


यः यत्नं करोति सः एव सफलतां प्राप्नोति। 

= जो यत्न करता है वही सफलता पाता है। 


यः निःसंकोचं वदति सः एव सफलः भवति। 

= जो निःसंकोच बोलता है वह ही सफल होता है ।


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संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।


संस्कृताभ्यास - 3


पाठ (३) प्रथमा विभक्ति 


= शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)


कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-


शब्दः शब्दयति = शब्द बोल रहा है।

श्वानः / शुनी श्वनति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।

भषी / भषः भषति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।

शुनकः / शुनकी बुक्कति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।

गर्दभः / गर्दभी गर्दति = गधा / गधी रेंकती है।

रासभः रासते = गधा रेंकता है।

गर्दभः ह्रेषते = गधा रेंकता है।

अश्वः ह्रेषते = घोड़ा हिनहिनाता है।

हेषी ह्रेषते = घोड़ी हिनहिनाती है।

रेभः / हस्ती रेभते = हाथी चिंघाड़ता है।

गजः गजति = हाथी चिंघाड़ता है।

गजवः गजन्ति = कंगन बज रहे हैं।

सिंहः गर्जति = शेर गरजता है।

मेघाः गर्जन्ति = मेघ (काले बादल) गरजते हैं।

मक्षिकाः गुञ्जन्ति = मक्खियां भिनभिना रही हैं।

भ्रमरः गुञ्जति = भौंरा गुजन कर रहा है।

शब्दः गुञ्जति = शब्द गूंज रहा है।

कपोतः गोजति / गुजति = कबुतर गुटरगूँ करता है।

नायकः गुञ्जति = अभिनेता सीटी बजा रहा है।

वाष्पस्थाली गुञ्जति = कूकर सीटी बजा रहा है।

दुष्टा म्रुञ्जति = दुष्ट महिला गाली बक रही है।

निन्दकः निन्दति / म्रुजति = निन्दक निन्दा करता है।

पठिता पठति = पाठक पढ़ता है।

छात्रः भणति = विद्यार्थी पढ़ता है।

रणवीरः रणति = योद्धा ललकार रहा है।

रोगी कणति = रोगी कष्ट से कराह रहा है।

माला केणति = माला चिढ़ाती है।

कुणपः कुणति / कोणति = दुष्ट / चांडाल झगड़ता है।

चणकः चणति = चना बज रहा है। (बन्द डिब्बे में चने रख हिलाने पर होने वाली आवाज)

धणः धणति = गाय-भैस का समूह आवाज कर रहा है।

वणः / सम्मर्दः वणति = भीड़ / मानव समुदाय शोर मचा रहा है।

फणी फणति = सांप फुत्कारता है।

वीणा क्वणति = वीणा बज रही है।

कोऽपि ध्वनति = कोई बोल रहा है।

शब्दः प्रतिध्वनति = शब्द प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है।

मनुष्यः वदति = आदमी बोल रहा है।

वक्ता वक्ति = वक्ता बोलता है।

प्रवक्त्री प्रवक्ति = प्रवाचिका प्रवचन करती है।

उपदेशकः उपदिशति = उपदेष्टा उपदेश कर रहा है।

मोजी मोजति = मनमौजी मौज कर रहा है / गुनगुना रहा है।

परिहासी परिहसति = मजाकिया मजाक कर रहा है।

जल्पी जल्पति = गप्पी गपशप कर रहा है।

वावदूकः वावदीति = बातूनी खूब बातें बना रहा है।

वाचालः लपति / लालपीति = बकवादी बकवास कर रहा है।

भक्तः जपति = भक्त ईश्वरनाम को जपता है।

अन्तेवासिनी रटति = छात्रा रट रही है / कण्ठस्थ कर रही है।

हठिनी रटति = जिद्दी बालिका किसी बात पर जिद कर रही है।

गायिका गायति = गायिका गा रही है।

गाथिका गाथयति = कथावाचिका कथा सुना रही है।

कथाकारः कथयति = कथावाचक कथा सुना रहा है।

छिन्नसंशयः कायति = जिसका संशय दूर हो गया है ऐसा व्यक्ति (संशय दूर करनेवाले की) प्रशंसा करता है।

स्तोता स्तौति = स्तुति करनेवाला स्तुति करता है।

प्रशंसकः प्रशंसते = प्रशंसा करनेवाला प्रशंसा कर रहा है।

कविः कवते = कवि कविता करता है।

लेखकः लिखति = लेखक लिखता है।

सभाध्यक्षः उद्गिरति = सभाध्यक्ष अपने उद्गार व्यक्त करता है।

बहुभोजी / घस्मरः उद्गिरति = खाऊराम डकार दे रहा है।

तेकः तेकते = डकारनेवाला डकार रहा है।

स्थूलः नासते = मोटा व्यक्ति खर्राटे भरता है।

बालः हिक्कति = बच्चा हिचकी ले रहा है।

नूपुरः निनदति = पायल बज रही है।

नदी नदति = नदी कल-कल आवाज करती बहती है।

घण्टिका घण्टयति = घण्टिका बज रही है।

माणवकः पटपटायते / पटपटायति = बालक किसी वस्तु से पटपट ऐसी ध्वनि करता है।

जलं टपटपायते / टपटपायति = पानी की टपटप ध्वनि सुनाई दे रही है।

घटी / घटिका टनटनायते / टनटनायति = घड़ी टनटन बज रही है।

आसन्दिका ठकठकायते / ठकठकायति = कुर्सी ठकठक बज रही है।

ज्वलत् काष्ठं चटचटायते / चटचटायति = जलती लकड़ी चटचट आवाज कर रही है।

मूषिका खटपटायते / खटपटायति = चुहिया खटपट कर रही है।

आगन्तुकः खटखटायते / खटखटायति = आगन्तुक दरवाजा खटखट बजा रहा है।

बकः / वरटः बकबकायते / बकबकायति = बगुला / बत्तख बकबक ऐसी आवाज करता है।

काकः काकायते / काकायति = कौआ कांव-कांव करता है।

घोटकः हिनहिनायति / हिनहिनायते = घोड़ा हिनहिनाता है।

मक्षिका भिनभिनायते / भिनभिनायति = मक्खी भिनभिना रही है।

मशकः गुनगुनायते / गुनगुनायति = मच्छर गुनगुना रहा है।

कुक्कटः कुक्कायते / कुक्कायति = मुर्गा बांग दे रहा है।

चटका चींचायते / चींचायति = चिड़िया चीं-चीं करती है।

मूषकः चूंचायते / चूंचायति = चूहा चूं-चूं करता है।

कोकिलः कूजति = कोयल बोलती है।

वयांसि वाश्यन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।

खगाः कलन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।

वाशिः वाश्यन्ते = अग्नि धू-धू कर जल रही है।


प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’


अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)

टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)

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एका माता तस्याः सप्तवर्षीयं पुत्रं शास्ति 

= एक माँ अपने सात वर्ष के बेटे को सिखाती है । 


हे वत्स !  स्वकीयानि अन्तः-वस्त्राणि स्वयमेव प्रक्षालनीयानि 

= बेटा , अपने under garments  अपने आप धोने चाहिये । 


पुत्रः अपृच्छत् 

= पुत्र ने पूछा 


पुत्रः  - कथं प्रक्षालयानि  ? 

        = कैसे धोऊँ ? 


माता -  वस्त्राणि आर्द्राणि भवन्ति तदनन्तरं 

       = कपड़े गीले हो जाएँ उसके बाद 


वस्त्रेषु फेनकं मर्दय

= कपड़ों पर साबुन मलो


घर्षकेन वस्त्राणि घर्षय 

= ब्रश से कपड़ों को घिसो 


अनन्तरं स्वच्छ जलेन वस्त्राणि प्रक्षालय 

= बाद में साफ पानी से कपड़े धो लो । 


अनन्तरं रज्जो: उपरि वस्त्राणि लम्बय 

= बाद में रस्सी पर कपड़े लटका दो । 


अलम् , अधिकं किमपि न करणीयम् 

= बस अधिक कुछ भी नहीं करना है 


प्रक्षालितम् , आर्द्रितम् , भूतम् ।

= धोया भिगोया हो गया ।

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पत्नी -  बहिः क्षिपतु । 

        = बाहर फेंक दीजिये ।


पतिः - किम् ? 

       = क्या ? 


पत्नी - एतद् अवकरम् .... 

       = ये कचरा ..... 


( किञ्चिद् काल अनन्तरम् 

   = थोड़ी देर बाद ) 


पतिः  - क्षिप्तवान् ।

      =  फेंक दिया ।


पत्नी - कुत्र ? 

      = कहाँ ? 


पतिः -  बहिः .... 

       = बाहर .... 


( पत्नी बहिः गत्वा पश्यति 

   = पत्नी बाहर जाकर फेंकती है ) 


पत्नी - अत्र न क्षेपणीयम् आसीत् 

        = यहाँ नहीं फेंकना था ।


पतिः  -  तर्हि कुत्र क्षेपणीयम् आसीत् ? 

        = तो फिर कहाँ फेंकना था ? 


पत्नी - ओह ... नगरपालिकायाः अवकरपात्रे ।

        = नगरपालिका के कूड़ेदान में ।


पतिः - अस्तु , तत्र क्षिपामि ।

        = ठीक है , वहाँ फेंकता हूँ । 


( पतिः  नगरपालिकायाः अवकरपात्रे अवकरं क्षिपति। 

   = पति नगरपालिका के कूड़ेदान में कूड़ा फेंकता है )


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पत्नी - सेविका तु न आगतवती।

        = सेविका तो नहीं आई। 


        - पात्राणि कः प्रक्षालयिष्यति ? 

        = बर्तन कौन धोएगा ? 


        - अद्य मम विद्यालयं शिक्षणाधिकारी  आगामिष्यति। 

        = आज मेरे विद्यालय में शिक्षणाधिकारी आएँगे। 


पतिः - कति सन्ति पात्राणि ? 

        = कितने बर्तन हैं ? 


        - ओह , केवलं विंशतिः खलु। 

        = ओह , केवल बीस न ।


        - अष्ट तु चमसाः सन्ति। 

        = आठ तो चम्मच हैं। 


        - चत्वारः चषकाः । 

        = चार गिलास। 


        - तिस्रः स्थालिकाः सन्ति। 

        = तीन थालियाँ हैं। 


        - अन्यानि पात्राणि  लघूनि एव। 

        = अन्य पात्र छोटे ही हैं। 


        - आवां द्वौ प्रक्षालयितुं शक्नुवः।

        = हम दोनों धो सकते हैं।


पत्नी - सेविका कदा आगमिष्यति ? 

        = सेविका कब आएगी ? 


पतिः - अधुना तु सेवकः आगतः ।

        = अभी तो सेवक आ गया है। 


        - आगच्छ , पात्राणि प्रक्षालयावः।

        = आओ , बर्तन धोते हैं । 


😀😃😃😃


संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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नन्ना रे नन्ना रे नन्ना रे नन्ना रे । 


एकः  लघु-बालकः गीतं गायति ।

= एक छोटा बच्चा गाना गाता है । 


तेन सह एका लघ्वी-बालिका अपि गायति 

= उसके साथ एक छोटी बच्ची भी गाती है । 


द्वौ गीत्वा गीत्वा नृत्यं कुरुतः ।

= दोनों गा गा कर नाचते हैं ।  


द्वौ केवलम् एकाम् एव पंक्तिम् जानीतः ।

= दोनों एक ही पंक्ति जानते हैं ।


वारं वारं तामेव पंक्तिम् रटतः ।

= बार बार उसी पंक्ति को रटते हैं । 


परिवार-जनाः  द्वयोः नृत्यं पश्यन्ति 

= परिवार के लोग दोनों का नृत्य देखते हैं । 


सर्वे जनाः मुदिताः भवन्ति ।

= सभी लोग खुश होते हैं ।  


तयोः बालसुलभं नृत्यं सर्वेभ्यः अरोचत् 

= उन दोनों का बालसुलभ नृत्य सभी को पसन्द आया । 


अहो सुमधुरं गायनम्  


अहो मनोहरं नृत्यम् ।



संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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सः मिहिरः अस्ति

= वह मिहिर है । 


मिहिरः खगोलशास्त्री (खगोलविद्) अस्ति 

= मिहिर खगोलशास्त्री है । 


गतरात्रौ सः एकस्मिन् ग्रामे आसीत् 

= कल रात वह एक गाँव में था । 


सः बालकान् आकाशे तारकाः दर्शयति 

= वह बच्चों को आकाश में तारे दिखाता है । 


पश्यत बालकाः ! तत्र सप्तर्षि-तारकाः सन्ति 

= देखो बच्चों , वहाँ सप्तर्षि तारे हैं । 


तेषां समीपे ध्रुव तारा अस्ति ।

= उनके पास में ध्रुव तारा है  ।


पश्यत , तद् लघु तारकम् अरुन्धति  तारकम् अस्ति ।

= देखो , वो छोटा तारा अरुन्धति तारा है । 


बहु दीव्यते सः अस्ति शुक्र ग्रहः ।

= बहुत चमक रहा है वह शुक्र ग्रह है । 


सर्वे तारकाः इतः कोटिशः प्रकाशवर्षाणि दूरे सन्ति । 

= सभी तारे यहाँ से करोड़ों प्रकाशवर्ष दूर हैं 


इतः तारकाः लघु: दृश्यन्ते 

= यहाँ से तारे छोटे दिखते हैं । 


वस्तुतः ते सर्वे बहु विशालाः सन्ति 

= सच में वे सभी बहुत बड़े हैं ।


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पत्नी - एतद् अपि क्षिपतु ।

         = ये भी फेंक दीजिये 


पतिः - अद्य पुनः ....

         =आज फिर से .... 


पत्नी - आम् , अद्य आवश्यकानि पत्राणि क्षेपणीयानि सन्ति।

         = हाँ , आज अनावश्यक पत्र फेंकने हैं

   


पतिः - कुत्र क्षिपाणि ?  नगरपालिकायाः अवकरपात्रे खलु ? 

         = कहाँ फेंकूँ , नगरपालिका के कूड़ेदान में क्या ? 


पत्नी - नैव , समुद्रे क्षिपतु ।

         = नहीं , समुद्र में फेंकिये। 


पतिः - किमर्थं समुद्रे ??? 

         = समुद्र में क्यों ???


पत्नी - एतद् अवकरः नास्ति। 

        = ये कूड़ा नहीं है। 


         - सर्वेषां निमंत्रणपत्रिकाः सन्ति। 

        = सबकी निमंत्रणपत्रिकाएँ हैं। 


         सर्वे प्रेम्णा आहूतवन्तः ।

         = सबने प्रेम से बुलाया था। 


पतिः - एवं वा ? , अहं समुद्रे क्षिप्स्यामि। 

        = ऐसा क्या ? मैं समुद्र में फेंक दूँगा। 


         अहं समुद्रं प्रति गच्छामि। 

        = मैं समुद्र की ओर जाता हूँ।



ओ३म् 


मित्राणि !!! भो: मित्राणि !!! 


श्रुतम् ?? 

= सुना ?? 


प्रधानमन्त्री महोदयः अस्माकं छात्रावासम् आगच्छति। 

= प्रधानमंत्री महोदय हमारे छात्रावास आ रहे हैं। 


प्रधानमन्त्रिणे स्वच्छता बहु रोचते।

= प्रधानमंत्री को स्वच्छता बहुत पसंद है। 


मेहुल ! त्वं दीर्घां स्वच्छां कुरु ।

= मेहुल ! तुम गलिहारा साफ करो। 


तव गौतमगणस्य छात्राः सहयोगं करिष्यन्ति।

= तुम्हारे गौतम गण के छात्र सहयोग करेंगे। 


किरीट ! अत्र पश्य , ऊर्णनाभस्य जालानि सन्ति। 

= किरीट ! यहाँ देखो , मकड़ी के जाले हैं। 


तव कणादगणस्य छात्राः एतद् कार्यं करिष्यन्ति। 

= तुम्हारे कणाद गण के छात्र ये काम करेंगे। 


नलिन ! त्वं छात्रावासात् बहिः आगच्छ ।

= नलिन ! तुम छात्रावास से बाहर आओ। 


अत्र पश्य , जनाः अत्रैव निष्ठीवनं कुर्वन्ति।

= यहाँ देखो , लोग यहीं पर थूकते हैं। 


तव कपिल गणस्य छात्राः भित्तिं स्वच्छां करिष्यन्ति। 

= तुम्हारे कपिल गण के छात्र दीवाल साफ  करेंगे। 


मम वसिष्ठगणस्य छात्राः छात्रावासे सुशोभनं करिष्यन्ति। 

= मेरे वसिष्ठ गण के छात्र सुशोभन करेंगे।


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तस्य केशाः पतन्ति। 

= उसके बाल गिर रहे हैं।


सः यदा स्नानं करोति तदा केशाः भ्रष्टाः भवन्ति। 

= वह जब नहाता है तब बाल झड़ते हैं।


प्रतिदिनं केशाः क्षरन्ति।

= हररोज़ बाल झड़ रहे हैं। 


भोजनसमये स्थालिकायां केशाः पतन्ति।

= भोजन के समय थाली में बाल गिरते हैं। 


मार्गे तस्य युतके अपि केशाः आगच्छन्ति।

= रास्ते में उसकी शर्ट पर भी बाल आ जाते हैं। 


अधुना सः शिरसि रिष्टकस्य लेपनं करोति।

= अभी वह सिर पर रीठे का लेप कर रहा है। 


आमलकस्य अपि सेवनं करोति।

= आँवले का भी सेवन करता है। 


यदाकदा दधिना केशान् पौडी जनपदस्य फलस्वाडी नामक आदर्श संस्कृत ग्रामे संस्कृतमासोपलक्ष्ये आयोजित कार्यक्रम: ।

= कभी कभी दही से बाल धोता है। 


यथा वैद्येन उक्तं तथैव सः करोति। 

= जैसा वैद्य ने कहा वैसा वह कर रहा है। 


तस्य केशाः सुदृढ़ाः भविष्यन्ति इति अहं मन्ये।

= उसके बाल मजबूत हो जाएँगे ऐसा मैं मानता हूँ।



---- अखिलेश आचार्य


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