संस्कृत वाक्य अभ्यास
Sanskrit sentence study
एतद् एकरुप्यकम् अस्ति ।
= ये एक रूपया है ।
एतानि पञ्चरुप्यकाणि सन्ति
= ये पाँच रुपये हैं ।
एतानि दशरुप्यकाणि सन्ति
= ये दस रूपये हैं
एतानि विंशतिः रुप्यकाणि सन्ति
= ये बीस रुपये हैं ।
पितामहः पौत्रं रुप्यकाणि दर्शयति
= दादाजी पोते को रूपए दिखाते हैं ।
पश्य वत्स , अत्र संस्कृते अपि लिखितम् अस्ति
= देखो बेटा , यहाँ संस्कृत में भी लिखा है ।
अधस्तात् चतुर्थे क्रमे संस्कृत-भाषायां लिखितं वर्तते
= नीचे से चौथे क्रम में संस्कृत भाषा में लिखा है ।
पौत्रः सर्वाणि रुप्यकाणि पश्यति
= पोता सारे नोट देखता है ।
पौत्रः बहु प्रसन्नः भवति
= पोता बहुत खुश होता है ।
सः तस्य मातरं दर्शयति
= वह अपनी माँ को दिखाता है ।
* हे मातः ! पश्यतु सहस्त्र रुप्यकाणि
= ओ माँ , देखिये हजार रुपया ।
अद्य भवन्तः / भवत्यः अपि सर्वाणि रुप्यकाणि पश्यन्तु , दर्शयन्तु
= आज आप भी सभी नोट देखें और दिखाएँ ।
प्रश्नः - कति रुप्यकाणि ?
उत्तरम् - शतं रुप्यकाणि ।
नोट = रुप्यकम्
पञ्च-रुप्यकाणां रुप्यकम् ।
--------
अधुना सर्वत्र अवकरपात्रं दृश्यते।
= अब सब जगह कूड़ादान दिखता है।
आपणिकाः आपणात् बहिः अवकरपात्रं स्थापयन्ति।
= दुकानदार दूकान से बाहर कूड़ेदान को रखते हैं।
गृहस्वामिनः अपि गृहेषु अवकरपात्रं स्थापयन्ति।
= घरों के मालिक घरों में कूड़ादान रखते हैं।
उच्छिष्ठम् अन्नं पशूनां कृते पृथक स्थापयन्ति।
= जूठा भोजन पशुओं के लिये अलग रखते हैं।
अवशिष्ठम् अवकरम् अवकरपात्रे क्षिपन्ति।
= बाकी बचा कचरा कूड़ेदान में फेंकते हैं।
कर्गदानि क्षिपन्ति।
= कागज फेंकते हैं।
कूपीः क्षिपन्ति।
= बोतलें फेंकते हैं।
बालकाः अपि ज्येष्ठानाम् अनुकरणं कुर्वन्ति।
= बच्चे भी बड़ों का अनुकरण करते हैं।
प्रातःसायं अवकरपात्रं रिक्तं क्रियते।
= सुबह शाम कूड़ादान खाली किया जाता है।
स्वच्छता सर्वेभ्यः रोचते।
= स्वच्छता सबको पसन्द है।
----------
एका भगिनी दूरवाणीं कृतवती।
= एक बहन ने फोन किया ।
"अहं संस्कृतं नहीं जानती हूँ।
अहं चाहती हूँ।
क्या करोमि ? "
तस्याः सम्वादं श्रुत्वा आनन्दः जातः ।
= उसका सम्वाद सुनकर खुशी मिली ।
यथा अहं पंजाबी भाषायां वक्तुं प्रयत्नं करोमि।
= जैसे मैं पंजाबी बोलने का प्रयत्न करता हूँ।
" अहं त्वाडे नाल वार्तालापं करोमि। "
( 👆मम पंजाबी )
अहं मराठी भाषायां वक्तुं प्रयत्नं करोमि।
= मैं मराठी बोलने का प्रयत्न करता हूँ।
तुमचा नांव किम् ?
( 👆मम मराठी )
तथैव सा अपि संस्कृते वक्तुं यत्नं कृतवती।
= वैसे ही उसने संस्कृत में बोलने का यत्न किया।
यः यत्नं करोति सः एव सफलतां प्राप्नोति।
= जो यत्न करता है वही सफलता पाता है।
यः निःसंकोचं वदति सः एव सफलः भवति।
= जो निःसंकोच बोलता है वह ही सफल होता है ।
----------
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
संस्कृताभ्यास - 3
पाठ (३) प्रथमा विभक्ति
= शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)
कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-
शब्दः शब्दयति = शब्द बोल रहा है।
श्वानः / शुनी श्वनति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
भषी / भषः भषति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
शुनकः / शुनकी बुक्कति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
गर्दभः / गर्दभी गर्दति = गधा / गधी रेंकती है।
रासभः रासते = गधा रेंकता है।
गर्दभः ह्रेषते = गधा रेंकता है।
अश्वः ह्रेषते = घोड़ा हिनहिनाता है।
हेषी ह्रेषते = घोड़ी हिनहिनाती है।
रेभः / हस्ती रेभते = हाथी चिंघाड़ता है।
गजः गजति = हाथी चिंघाड़ता है।
गजवः गजन्ति = कंगन बज रहे हैं।
सिंहः गर्जति = शेर गरजता है।
मेघाः गर्जन्ति = मेघ (काले बादल) गरजते हैं।
मक्षिकाः गुञ्जन्ति = मक्खियां भिनभिना रही हैं।
भ्रमरः गुञ्जति = भौंरा गुजन कर रहा है।
शब्दः गुञ्जति = शब्द गूंज रहा है।
कपोतः गोजति / गुजति = कबुतर गुटरगूँ करता है।
नायकः गुञ्जति = अभिनेता सीटी बजा रहा है।
वाष्पस्थाली गुञ्जति = कूकर सीटी बजा रहा है।
दुष्टा म्रुञ्जति = दुष्ट महिला गाली बक रही है।
निन्दकः निन्दति / म्रुजति = निन्दक निन्दा करता है।
पठिता पठति = पाठक पढ़ता है।
छात्रः भणति = विद्यार्थी पढ़ता है।
रणवीरः रणति = योद्धा ललकार रहा है।
रोगी कणति = रोगी कष्ट से कराह रहा है।
माला केणति = माला चिढ़ाती है।
कुणपः कुणति / कोणति = दुष्ट / चांडाल झगड़ता है।
चणकः चणति = चना बज रहा है। (बन्द डिब्बे में चने रख हिलाने पर होने वाली आवाज)
धणः धणति = गाय-भैस का समूह आवाज कर रहा है।
वणः / सम्मर्दः वणति = भीड़ / मानव समुदाय शोर मचा रहा है।
फणी फणति = सांप फुत्कारता है।
वीणा क्वणति = वीणा बज रही है।
कोऽपि ध्वनति = कोई बोल रहा है।
शब्दः प्रतिध्वनति = शब्द प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है।
मनुष्यः वदति = आदमी बोल रहा है।
वक्ता वक्ति = वक्ता बोलता है।
प्रवक्त्री प्रवक्ति = प्रवाचिका प्रवचन करती है।
उपदेशकः उपदिशति = उपदेष्टा उपदेश कर रहा है।
मोजी मोजति = मनमौजी मौज कर रहा है / गुनगुना रहा है।
परिहासी परिहसति = मजाकिया मजाक कर रहा है।
जल्पी जल्पति = गप्पी गपशप कर रहा है।
वावदूकः वावदीति = बातूनी खूब बातें बना रहा है।
वाचालः लपति / लालपीति = बकवादी बकवास कर रहा है।
भक्तः जपति = भक्त ईश्वरनाम को जपता है।
अन्तेवासिनी रटति = छात्रा रट रही है / कण्ठस्थ कर रही है।
हठिनी रटति = जिद्दी बालिका किसी बात पर जिद कर रही है।
गायिका गायति = गायिका गा रही है।
गाथिका गाथयति = कथावाचिका कथा सुना रही है।
कथाकारः कथयति = कथावाचक कथा सुना रहा है।
छिन्नसंशयः कायति = जिसका संशय दूर हो गया है ऐसा व्यक्ति (संशय दूर करनेवाले की) प्रशंसा करता है।
स्तोता स्तौति = स्तुति करनेवाला स्तुति करता है।
प्रशंसकः प्रशंसते = प्रशंसा करनेवाला प्रशंसा कर रहा है।
कविः कवते = कवि कविता करता है।
लेखकः लिखति = लेखक लिखता है।
सभाध्यक्षः उद्गिरति = सभाध्यक्ष अपने उद्गार व्यक्त करता है।
बहुभोजी / घस्मरः उद्गिरति = खाऊराम डकार दे रहा है।
तेकः तेकते = डकारनेवाला डकार रहा है।
स्थूलः नासते = मोटा व्यक्ति खर्राटे भरता है।
बालः हिक्कति = बच्चा हिचकी ले रहा है।
नूपुरः निनदति = पायल बज रही है।
नदी नदति = नदी कल-कल आवाज करती बहती है।
घण्टिका घण्टयति = घण्टिका बज रही है।
माणवकः पटपटायते / पटपटायति = बालक किसी वस्तु से पटपट ऐसी ध्वनि करता है।
जलं टपटपायते / टपटपायति = पानी की टपटप ध्वनि सुनाई दे रही है।
घटी / घटिका टनटनायते / टनटनायति = घड़ी टनटन बज रही है।
आसन्दिका ठकठकायते / ठकठकायति = कुर्सी ठकठक बज रही है।
ज्वलत् काष्ठं चटचटायते / चटचटायति = जलती लकड़ी चटचट आवाज कर रही है।
मूषिका खटपटायते / खटपटायति = चुहिया खटपट कर रही है।
आगन्तुकः खटखटायते / खटखटायति = आगन्तुक दरवाजा खटखट बजा रहा है।
बकः / वरटः बकबकायते / बकबकायति = बगुला / बत्तख बकबक ऐसी आवाज करता है।
काकः काकायते / काकायति = कौआ कांव-कांव करता है।
घोटकः हिनहिनायति / हिनहिनायते = घोड़ा हिनहिनाता है।
मक्षिका भिनभिनायते / भिनभिनायति = मक्खी भिनभिना रही है।
मशकः गुनगुनायते / गुनगुनायति = मच्छर गुनगुना रहा है।
कुक्कटः कुक्कायते / कुक्कायति = मुर्गा बांग दे रहा है।
चटका चींचायते / चींचायति = चिड़िया चीं-चीं करती है।
मूषकः चूंचायते / चूंचायति = चूहा चूं-चूं करता है।
कोकिलः कूजति = कोयल बोलती है।
वयांसि वाश्यन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।
खगाः कलन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।
वाशिः वाश्यन्ते = अग्नि धू-धू कर जल रही है।
प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’
अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)
टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)
------
एका माता तस्याः सप्तवर्षीयं पुत्रं शास्ति
= एक माँ अपने सात वर्ष के बेटे को सिखाती है ।
हे वत्स ! स्वकीयानि अन्तः-वस्त्राणि स्वयमेव प्रक्षालनीयानि
= बेटा , अपने under garments अपने आप धोने चाहिये ।
पुत्रः अपृच्छत्
= पुत्र ने पूछा
पुत्रः - कथं प्रक्षालयानि ?
= कैसे धोऊँ ?
माता - वस्त्राणि आर्द्राणि भवन्ति तदनन्तरं
= कपड़े गीले हो जाएँ उसके बाद
वस्त्रेषु फेनकं मर्दय
= कपड़ों पर साबुन मलो
घर्षकेन वस्त्राणि घर्षय
= ब्रश से कपड़ों को घिसो
अनन्तरं स्वच्छ जलेन वस्त्राणि प्रक्षालय
= बाद में साफ पानी से कपड़े धो लो ।
अनन्तरं रज्जो: उपरि वस्त्राणि लम्बय
= बाद में रस्सी पर कपड़े लटका दो ।
अलम् , अधिकं किमपि न करणीयम्
= बस अधिक कुछ भी नहीं करना है
प्रक्षालितम् , आर्द्रितम् , भूतम् ।
= धोया भिगोया हो गया ।
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
पत्नी - बहिः क्षिपतु ।
= बाहर फेंक दीजिये ।
पतिः - किम् ?
= क्या ?
पत्नी - एतद् अवकरम् ....
= ये कचरा .....
( किञ्चिद् काल अनन्तरम्
= थोड़ी देर बाद )
पतिः - क्षिप्तवान् ।
= फेंक दिया ।
पत्नी - कुत्र ?
= कहाँ ?
पतिः - बहिः ....
= बाहर ....
( पत्नी बहिः गत्वा पश्यति
= पत्नी बाहर जाकर फेंकती है )
पत्नी - अत्र न क्षेपणीयम् आसीत्
= यहाँ नहीं फेंकना था ।
पतिः - तर्हि कुत्र क्षेपणीयम् आसीत् ?
= तो फिर कहाँ फेंकना था ?
पत्नी - ओह ... नगरपालिकायाः अवकरपात्रे ।
= नगरपालिका के कूड़ेदान में ।
पतिः - अस्तु , तत्र क्षिपामि ।
= ठीक है , वहाँ फेंकता हूँ ।
( पतिः नगरपालिकायाः अवकरपात्रे अवकरं क्षिपति।
= पति नगरपालिका के कूड़ेदान में कूड़ा फेंकता है )
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
पत्नी - सेविका तु न आगतवती।
= सेविका तो नहीं आई।
- पात्राणि कः प्रक्षालयिष्यति ?
= बर्तन कौन धोएगा ?
- अद्य मम विद्यालयं शिक्षणाधिकारी आगामिष्यति।
= आज मेरे विद्यालय में शिक्षणाधिकारी आएँगे।
पतिः - कति सन्ति पात्राणि ?
= कितने बर्तन हैं ?
- ओह , केवलं विंशतिः खलु।
= ओह , केवल बीस न ।
- अष्ट तु चमसाः सन्ति।
= आठ तो चम्मच हैं।
- चत्वारः चषकाः ।
= चार गिलास।
- तिस्रः स्थालिकाः सन्ति।
= तीन थालियाँ हैं।
- अन्यानि पात्राणि लघूनि एव।
= अन्य पात्र छोटे ही हैं।
- आवां द्वौ प्रक्षालयितुं शक्नुवः।
= हम दोनों धो सकते हैं।
पत्नी - सेविका कदा आगमिष्यति ?
= सेविका कब आएगी ?
पतिः - अधुना तु सेवकः आगतः ।
= अभी तो सेवक आ गया है।
- आगच्छ , पात्राणि प्रक्षालयावः।
= आओ , बर्तन धोते हैं ।
😀😃😃😃
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
~~~~~~~~~~~~
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
नन्ना रे नन्ना रे नन्ना रे नन्ना रे ।
एकः लघु-बालकः गीतं गायति ।
= एक छोटा बच्चा गाना गाता है ।
तेन सह एका लघ्वी-बालिका अपि गायति
= उसके साथ एक छोटी बच्ची भी गाती है ।
द्वौ गीत्वा गीत्वा नृत्यं कुरुतः ।
= दोनों गा गा कर नाचते हैं ।
द्वौ केवलम् एकाम् एव पंक्तिम् जानीतः ।
= दोनों एक ही पंक्ति जानते हैं ।
वारं वारं तामेव पंक्तिम् रटतः ।
= बार बार उसी पंक्ति को रटते हैं ।
परिवार-जनाः द्वयोः नृत्यं पश्यन्ति
= परिवार के लोग दोनों का नृत्य देखते हैं ।
सर्वे जनाः मुदिताः भवन्ति ।
= सभी लोग खुश होते हैं ।
तयोः बालसुलभं नृत्यं सर्वेभ्यः अरोचत्
= उन दोनों का बालसुलभ नृत्य सभी को पसन्द आया ।
अहो सुमधुरं गायनम्
अहो मनोहरं नृत्यम् ।
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
~~~~~~~~~~~~
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
सः मिहिरः अस्ति
= वह मिहिर है ।
मिहिरः खगोलशास्त्री (खगोलविद्) अस्ति
= मिहिर खगोलशास्त्री है ।
गतरात्रौ सः एकस्मिन् ग्रामे आसीत्
= कल रात वह एक गाँव में था ।
सः बालकान् आकाशे तारकाः दर्शयति
= वह बच्चों को आकाश में तारे दिखाता है ।
पश्यत बालकाः ! तत्र सप्तर्षि-तारकाः सन्ति
= देखो बच्चों , वहाँ सप्तर्षि तारे हैं ।
तेषां समीपे ध्रुव तारा अस्ति ।
= उनके पास में ध्रुव तारा है ।
पश्यत , तद् लघु तारकम् अरुन्धति तारकम् अस्ति ।
= देखो , वो छोटा तारा अरुन्धति तारा है ।
बहु दीव्यते सः अस्ति शुक्र ग्रहः ।
= बहुत चमक रहा है वह शुक्र ग्रह है ।
सर्वे तारकाः इतः कोटिशः प्रकाशवर्षाणि दूरे सन्ति ।
= सभी तारे यहाँ से करोड़ों प्रकाशवर्ष दूर हैं
इतः तारकाः लघु: दृश्यन्ते
= यहाँ से तारे छोटे दिखते हैं ।
वस्तुतः ते सर्वे बहु विशालाः सन्ति
= सच में वे सभी बहुत बड़े हैं ।
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
पत्नी - एतद् अपि क्षिपतु ।
= ये भी फेंक दीजिये
पतिः - अद्य पुनः ....
=आज फिर से ....
पत्नी - आम् , अद्य आवश्यकानि पत्राणि क्षेपणीयानि सन्ति।
= हाँ , आज अनावश्यक पत्र फेंकने हैं
पतिः - कुत्र क्षिपाणि ? नगरपालिकायाः अवकरपात्रे खलु ?
= कहाँ फेंकूँ , नगरपालिका के कूड़ेदान में क्या ?
पत्नी - नैव , समुद्रे क्षिपतु ।
= नहीं , समुद्र में फेंकिये।
पतिः - किमर्थं समुद्रे ???
= समुद्र में क्यों ???
पत्नी - एतद् अवकरः नास्ति।
= ये कूड़ा नहीं है।
- सर्वेषां निमंत्रणपत्रिकाः सन्ति।
= सबकी निमंत्रणपत्रिकाएँ हैं।
सर्वे प्रेम्णा आहूतवन्तः ।
= सबने प्रेम से बुलाया था।
पतिः - एवं वा ? , अहं समुद्रे क्षिप्स्यामि।
= ऐसा क्या ? मैं समुद्र में फेंक दूँगा।
अहं समुद्रं प्रति गच्छामि।
= मैं समुद्र की ओर जाता हूँ।
ओ३म्
मित्राणि !!! भो: मित्राणि !!!
श्रुतम् ??
= सुना ??
प्रधानमन्त्री महोदयः अस्माकं छात्रावासम् आगच्छति।
= प्रधानमंत्री महोदय हमारे छात्रावास आ रहे हैं।
प्रधानमन्त्रिणे स्वच्छता बहु रोचते।
= प्रधानमंत्री को स्वच्छता बहुत पसंद है।
मेहुल ! त्वं दीर्घां स्वच्छां कुरु ।
= मेहुल ! तुम गलिहारा साफ करो।
तव गौतमगणस्य छात्राः सहयोगं करिष्यन्ति।
= तुम्हारे गौतम गण के छात्र सहयोग करेंगे।
किरीट ! अत्र पश्य , ऊर्णनाभस्य जालानि सन्ति।
= किरीट ! यहाँ देखो , मकड़ी के जाले हैं।
तव कणादगणस्य छात्राः एतद् कार्यं करिष्यन्ति।
= तुम्हारे कणाद गण के छात्र ये काम करेंगे।
नलिन ! त्वं छात्रावासात् बहिः आगच्छ ।
= नलिन ! तुम छात्रावास से बाहर आओ।
अत्र पश्य , जनाः अत्रैव निष्ठीवनं कुर्वन्ति।
= यहाँ देखो , लोग यहीं पर थूकते हैं।
तव कपिल गणस्य छात्राः भित्तिं स्वच्छां करिष्यन्ति।
= तुम्हारे कपिल गण के छात्र दीवाल साफ करेंगे।
मम वसिष्ठगणस्य छात्राः छात्रावासे सुशोभनं करिष्यन्ति।
= मेरे वसिष्ठ गण के छात्र सुशोभन करेंगे।
#onlineसंस्कृतशिक्षणम्_फेसबुक_समूह
तस्य केशाः पतन्ति।
= उसके बाल गिर रहे हैं।
सः यदा स्नानं करोति तदा केशाः भ्रष्टाः भवन्ति।
= वह जब नहाता है तब बाल झड़ते हैं।
प्रतिदिनं केशाः क्षरन्ति।
= हररोज़ बाल झड़ रहे हैं।
भोजनसमये स्थालिकायां केशाः पतन्ति।
= भोजन के समय थाली में बाल गिरते हैं।
मार्गे तस्य युतके अपि केशाः आगच्छन्ति।
= रास्ते में उसकी शर्ट पर भी बाल आ जाते हैं।
अधुना सः शिरसि रिष्टकस्य लेपनं करोति।
= अभी वह सिर पर रीठे का लेप कर रहा है।
आमलकस्य अपि सेवनं करोति।
= आँवले का भी सेवन करता है।
यदाकदा दधिना केशान् पौडी जनपदस्य फलस्वाडी नामक आदर्श संस्कृत ग्रामे संस्कृतमासोपलक्ष्ये आयोजित कार्यक्रम: ।
= कभी कभी दही से बाल धोता है।
यथा वैद्येन उक्तं तथैव सः करोति।
= जैसा वैद्य ने कहा वैसा वह कर रहा है।
तस्य केशाः सुदृढ़ाः भविष्यन्ति इति अहं मन्ये।
= उसके बाल मजबूत हो जाएँगे ऐसा मैं मानता हूँ।
---- अखिलेश आचार्य
संस्कृत वाक्य अभ्यास - 30 Click Here
0 टिप्पणियाँ
धन्यवाद:/thank-you
Emoji