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30) संस्कृत वाक्य अभ्यास

 संस्कृत वाक्य अभ्यास

Sanskrit sentence study





रात्रौ एक वादने जागरितवान्।

= रात एक बजे जागा ।


मुखं प्रक्षाल्य स्वस्थः अभवम्। 

= मुख साफ कर के स्वस्थ हो गया। 


अनन्तरं चन्द्रयानस्य अवतरणप्रक्रियायाः दर्शनम् आरब्धवान्।

= बाद में चन्द्रयान की लैंडिंग प्रक्रिया को देखना शुरू किया। 


प्रधानमंत्री महोदयः अपि इसरो केन्द्रं प्राविशत्। 

= प्रधानमंत्री महोदय भी इसरो केंद्र में प्रविष्ट हुए। 


विविधानां विद्यालयानां छात्राः अपि तत्र उपविष्टाः आसन्। 

= विविध विद्यालयों के छात्र भी वहाँ बैठे थे। 


अवतरणयानस्य गतिः मन्दा क्रियते स्म। 

= लैंडर की गति को धीमा किया जा रहा था। 


शनैः शनैः अवतरणयानस्य गतिः मन्दा कृता। 

= धीरे धीरे लैंडर की गति धीमी की गई। 


अवतरणयानं शनैःशनैः चन्द्रमसि अवतरति स्म। 

= लैंडर धीरे धीरे उतर रहा था

 

सर्वे वैज्ञानिकाः इसरो-नियंत्रणकक्षतः यानस्य संचालनं कुर्वन्ति स्म। 

= सभी वैज्ञानिक इसरो नियंत्रण कक्ष से यान का संचालन कर रहे थे। 


तदनीमेव सर्वे स्तब्धाः अभवन्। 

= तभी सारे स्तब्ध रह गए। 


अवतरणयानेन सह सम्पर्कः समाप्तः जातः। 

= लैंडर के साथ संपर्क कट गया। 


परिक्रमायानं सुरक्षितम् अस्ति। 

= ऑर्बिटर सुरक्षित है। 


तावती सफलता वैज्ञानिकैः प्राप्ता। 

= उतनी सफलता वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त की गई। 


वैज्ञानिकाः पुनः प्रयासं करिष्यन्ति। 

= वैज्ञानिक पुनः प्रयास करेंगे। 


अवश्यमेव सफलतां प्राप्स्यन्ति।

= अवश्य ही सफलता पायेंगे।


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सर्वे समाचारपत्रं पठन्ति।

= सभी समाचारपत्र पढ़ रहे हैं। 


एकः उत्थाय पठति।

= एक खड़ा होकर पढ़ रहा है। 


अन्यः उपविश्य पठति।

= दूसरा बैठकर पढ़ रहा है। 


केचन जनाः याचित्वा पठन्ति।

= कुछ लोग माँगकर पढ़ते हैं। 


यदा कोsपि समाचारपत्रं याचते ...

= जब कोई समाचार पत्र माँगता है ... 


तदा वाचकः एकं पृष्ठं तस्मै ददाति ।

= तब पढ़ने वाला व्यक्ति एक पृष्ठ उसे देता है। 


एकः वृद्धः काचेन समाचारपत्रं पठति।

= एक वृद्ध ग्लास द्वारा समाचार पत्र पढ़ रहा है। 


एकः छात्रः केवलं मुख्यं समाचारम् एव पठति। 

= एक छात्र केवल मुख्य समाचार ही पढ़ता है। 


अपरः छात्रः सम्पूर्णं समाचारपत्रं पठति। 

= दूसरा छात्र पूरा समाचारपत्र पढ़ता है। 


एकः तु केवलं खेलसमाचारम् एव पठति।

= एक तो केवल खेल समाचार ही पढ़ता है। 


एका युवती समाचारपत्रे स्वचित्रं दृष्ट्वा मोदते।

= एक युवती समाचारपत्र में अपना चित्र देखकर खुश होती है। 


सा युवती श्लोकस्पर्धायां प्रथमं पुरस्कारं प्राप्तवती।

= उस युवती ने श्लोक स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार पाया। 


बहवः जनाः "विश्वस्य वृत्तान्त:" पठन्ति।

= बहुत से लोग "विश्वस्य वृत्तान्त:" पढ़ते हैं।

 


संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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कार्तिकः बेंगलूरे निवसति

= कार्तिक बेंगलूर में रहता है । 


सः बेंगलूरे सेतुनिर्माण-कार्ये संलग्नः अस्ति 

= वह बेंगलूर में पुल बनाने के काम में लगा है 


नगरस्य यातायात-व्यवस्था सुगमा भवेत् 

= नगर की यातायात व्यवस्था सुगम हो 


तदर्थम् सः पारसेतुं निर्माति 

= इसके लिये वह ओवरब्रिज बनाता है 


तस्मिन् कार्ये सः एकाकी नास्ति ।

= उस काम में वह अकेला नहीं है । 


अन्ये अपि कर्मकराः सन्ति 

= अन्य कर्मचारी भी हैं । 


कार्तिकः अभियन्ता अस्ति 

= कार्तिक इंजिनियर है । 


सेतो: संरचनां (प्रारूपम्) कार्तिकः एव निर्माति 

= पुल की डिजाइन कार्तिक ही बनाता है । 


निर्माणस्थले सः कर्मकरेभ्यः निर्देशं ददाति 

= निर्माण के स्थान पर वह कर्मचारियों को निर्देश देता है । 

( कर्मकर्तृभ्यः  = कर्मचारियों को )


कार्यस्य निरक्षणं सः प्रतिदिनं करोति 

= काम का निरिक्षण वह हर रोज करता है । 


कार्तिकेयः श्रेष्ठः अभियन्ता अस्ति 

= कार्तिकेय अच्छा इंजिनियर है ।



संस्कृत वाक्याभ्यासः  

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पुनः पुनः 


आम् , पुनः पुनः  


कुरु अभ्यासं पुनः पुनः ।


प्रातः संस्कृत अभ्यासम् 


सायं अपि कुरु वार्तालापम् 


यदा यदा करोषि सम्वादम् 


श्रृणु श्रावय च केवलं संस्कृतम् ।


बार बार ..... 


हाँ , बार बार ..... 


करिये अभ्यास बार बार 


प्रातः संस्कृत का अभ्यास 


सायं भी संस्कृत वार्तालाप 


जब जब करें सम्वाद 


सुनें सुनाएँ  केवल संस्कृतम् ।


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संस्कृतं वद आधुनिको भव।

वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।



संस्कृताभ्यास - 2


पाठ (२) प्रथमा विभक्ति 


= गतिवैविध्यम् (विविध गतियां)

कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-


सर्पः सर्पति = सांप सरकता है।

कीटः रिंगति = कीड़ा रेंगता है।

हठिनी बाला लुण्ठति = जिद्दी लड़की लोटती है।

तरणिः तरति = नाव तैरती है।

प्लवः प्लवते = बेड़ा तैरता है।

मण्डूकः उत्प्लवते = मेंढक कूद-कूद कर चलता है।

माला उत्प्लवते / उत्पतति = माला उछलती है।

अवगाहकः अवगाहते = गोताखोर डुबकी लगाता है।

भ्रमरः भ्रमति = भौंरा घूम-घूमकर उड़ता है।

शलभः शलति = पतंगा स्थिर होकर उड़ता है।

मार्जारः चोपति = बिल्ली चुपके से चलती है।

मृगः धावति = हिरण दौड़ता है।

चित्रकः जवति = चीता वेग से दौड़ता है।

वायुः वाति = हवा बह रही है।

वात्या वाति = आंधी चल रही है।

नदी प्रवहति = नदी बह रही है।

निर्झरः कलहति = झरना कल-कल बह रहा है।

बसयानं चलति = बस चल रही है।

ऑटोयानं गच्छति = ऑटोरिक्क्षा जा रही है।

वानरः कूर्दते = बंदर कूद रहा है।

वस्त्रं स्त्रं सरति = कपड़ा सरक रहा है।

सौम्या स्खलति = सौम्या फिसल रही है।

खञ्जा खञ्जति = लंगड़ी लड़की (पंगु) लंगड़ाकर चलती है।

पर्पिकः पर्पति = पंगु बैसाखी से चलता है।

हयः हयति = घोड़ा दौड़ रहा है।

शोणा शोणति = लाल घोड़ी दौड़ रही है।

अजा अजति = बकरी चल रही है।

वाजी विक्रमते = घोड़ा (ब्याह आदि में) नाच रहा है।

पथिकः पथति = पथिक रास्ते पर चल रहा है।

घृतं द्रवति = घी पिघल रहा है।

नगरं ध्वंसते = नगर तहस-नहस हो रहा है।

शाखा त्रुटति = पेड़ की शाखा टूट रही है / टूट कर गिर रही है।

विटपः कम्पते = टहनी कांप रही है।

शरीरं / ग्रात्रं वेपते = शरीर / शरीरावयव कांप रहा है।

दीपशिखा एजते = दिए की लौ कांप रही है।

धरणिः ध्रजति = भूमि कांप रही है।

ध्वजा ध्वजति = झंड़ा लहरा रहा है।

ग्रहः घूर्णते = ग्रह अपने कीली पर घूम रहा है।

अज्ञानी दन्द्रम्यते = अज्ञानी भटक रहा है।

प्रेङ्खा प्रेङ्खते = झूला झूल रहा है।

दोला दोलयते = हिंडोला / पालना झूल रहा है।

चित्तं दोलयते = मन बेचैन हो रहा है।

दर्शकः दोलयते = बैठा हुआ दर्शक दाएं-बाएं हिल रहा है।

आत्मा अतति = जीवात्मा (एक शरीर से दूसरे शरीर में) सतत घूमता है। 

यन्त्रम् अतति = मशीन लगातार चल रही है। 

निरुद्यमिनी अटति / अटाट्यते = निठल्ला व्यक्ति इधर – उधर भटक रहा है। 

गौः व्रजति = गाय समूह में चलति है।

परिव्राजकः परिव्रजति = परिव्राजक (=संन्यासी) चारों और भ्रमण करता है।

वैरागी प्रव्रजति = वैरागी सबकुछ त्यागकर (=संन्यास लेकर) जा रहा है।

आतङ्की प्रव्रजति = आतङ्कवादी निर्वासित होकर जा रहा है।


प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’


अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)

टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)


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सा करण्डकं रिक्तं करोति।

= वह टोकरी खाली करती है। 


अनन्तरं करण्डकं स्वच्छं करोति। 

= उसके बाद टोकरी साफ करती है। 


करण्डके एकं स्वच्छं वस्त्रं प्रसारयति।

= टोकरी में साफ कपड़ा बिछाती है। 


अनन्तरं करण्डके सेवफलानि स्थापयति।

= उसके बाद टोकरी में सेव रखती है।


करण्डकं शिरसि उन्नयति।

= टोकरी सिर पर उठाती है। 


आपणं गच्छति। 

= बाजार जाती है। 


आपणे एकस्मिन् कोणे उपविशति।

= बाजार में एक कोने में  बैठती है। 


सा सेवफलं विक्रीणाति। 

= वह सेव बेचती है।


सा यानि सेवफलानि विक्रीणाति तानि बहु मधुराणि सन्ति।

= वह जो सेव बेचती है वो बहुत मीठे हैं।  


तस्याः स्वभावः अपि बहु मधुरः अस्ति।

= उसका स्वभाव भी बहुत मीठा है।


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भोः मित्र ! अत्र अवकरं मा क्षिप । 

= ओ मित्र ! यहाँ कूड़ा मत फेंको। 

અરે મિત્ર ! અહીં કચરો ન નાખો.


यथा अस्ति तव गृहं स्वच्छम् 

= जैसे तुम्हारा घर स्वच्छ है। 

જેવી રીતે તારું ઘર સ્વચ્છ છે.


तथैव भवेत् मम गृहं स्वच्छम् 

= वैसे ही हो स्वच्छ घर मेरा। 

તેવી રીતે સ્વચ્છ હોય મારું ઘર.


पश्य , तत्र अस्ति अवकरपात्रम् ।

= देखो , वहाँ है कूड़ेदान । 

જો, ત્યાં છે કચરાપેટી.


नगरपालिकायाः अस्ति अवकरपात्रम् । 

= नगरपालिका का है कूड़ेदान। 

નગરપાલિકાની છે કચરાપેટી.


वीथिः अस्ति सर्वेषाम् ।

= गली तो सबकी है।

બજાર તો બધાની છે.


मा कुरु, मा कुरु मार्गम् अस्वच्छम्।

= मत करो , मत करो रास्ते को अस्वच्छ। 

ન કરો, ન કરો રસ્તાને અસ્વચ્છ.


स्वच्छतायां नास्ति किमपि कष्टम्।

= स्वच्छता में कोई कष्ट नहीं है। 

સ્વચ્છતામાં કોઈ તકલીફ નથી.


उत्थापय तव सर्वम् अवकरम्। 

= उठा लो सारा कूड़ा तुम्हारा। 

ઉપાડી લે તારો બધો કચરો.


नय , नय इतः सर्वम् अवकरम्। 

= ले जाओ यहाँ से सारा कूड़ा। 

લઈ જા અહીંથી બધો કચરો.


क्षिप क्षिप अवकरपात्रे अवकरम्। 

= फेंको कूड़ेदान में कूड़ा।

નાખી દે કચરાપેટીમાં કચરો.



तव पार्श्वे केवलम् अर्धहोरायाः ( अर्धघण्टायाः) समयः अस्ति। 

= तुम्हारे पास केवल आधा घंटे का समय है। 


रेलयानं सार्ध अष्टवादने अस्ति। 

= रेल साढ़े आठ बजे है। 


अधुना पादोन अष्टवादनं जातम्।

= अभी पौने आठ हो गए हैं।


रेलस्थानकं गन्तव्यम् अस्ति।

= रेलवे स्टेशन जाना है। 


रेलस्थानकं प्राप्तव्यम् अस्ति।

= रेलवे स्टेशन पहुँचना है। 


विंशतिः निमेषात्मकः मार्गः अस्ति।

= बीस मिनट का रास्ता है। 


तव यानपेटिका अपि अधुना सिद्धा नास्ति।

= तुम्हारी बैग भी तैयार नहीं है। 


शीघ्रं शीघ्रं वस्तूनि स्थापय।

= जल्दी जल्दी वस्तुएँ रखो। 


सर्वं स्मृत्वा स्थापय।

= सब याद करके रखो। 


तव अल्पाहारः सिद्ध: अस्ति।

= तुम्हारा  नाश्ता तैयार है।


शीघ्रम् अल्पाहारं कुरु।

= जल्दी से नाश्ता कर लो।


अष्टवादने गृहात् प्रस्थानं करिष्यामः।

= आठ बजे घर से चल देंगे।


संस्कृत वाक्याभ्यासः  

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पत्नी -  श्रृणोति वा ? 

        = सुनते हैं ?


         विनय दुग्धं न पिबति ।

         = विनय  दूध नहीं पी रहा है 


        किञ्चित् तर्जयतु ।

        = थोड़ा डांटिये 


पतिः - किमर्थं वत्स ! 

       = क्यों बेटा 


        दुग्धं किमर्थं न पिबसि त्वम् ? 

       = तुम दूध क्यों नहीं पी रहे हो ?


      दुग्धं न रोचते वा ? 

      = दूध पसन्द नहीं है क्या ? 


विनयः - तात ! दुग्धं तु रोचते मह्यम् ।

        = मुझे दूध तो पसंद है 


         - गोपालः धेनुं सूचिऔषधं मारयति ।

         = गोपाल गाय को इन्जेक्शन मारता है 


         - तद् मह्यं न रोचते ।

         = वो मुझे पसंद नहीं है ।




मम गृहे विद्युत्मापकम् अस्ति। 

= मेरे घर बिजली का मीटर है। 


प्रतिमासं एकः अधिकारी मम गृहम् आगच्छति। 

= हर महीने एक अधिकारी मेरे घर आता है। 


सः विद्युत्मापकं  द्रष्टुम् आगच्छति।

= वह बिजली का मीटर देखने आता है। 


सः स्वकोशात् करदीपं निष्कासयति।

= वह अपनी जेब से टॉर्च निकालता है। 


विद्युत्मापके अङ्कान् पठति।

= मीटर में आंकड़े पढ़ता है।


शुल्कपत्रे अङ्कान् लिखति। 

= बिलबुक में आंकड़े लिखता है ।


मम गृहस्य शुल्कपत्रं मह्यं ददाति।

= मेरे घर का बिल मुझे देता है। 


अनन्तरं सः अन्यद् गृहं गच्छति।

= बाद में वह अन्य घर जाता है। 


विद्युत्शुल्कं तु समये एव देयम् ।

= बिजली का बिल तो समय पर देना चाहिये।


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सः दिनदर्शिकां दर्शयति। 

= वह कलेंडर दिखाता है। 


* पश्यतु , प्रथमतः पञ्चदशदिनाङ्क पर्यन्तम् अहं छात्रावासे न आसम् । 

= देखिये , पहली से पंद्रह तारीख तक मैं छात्रावास में नहीं था। 


षोडशदिनाङ्के मम मित्रस्य जन्मदिनम् आसीत्। 

= सोलह तारीख को मेरे मित्र का जन्मदिन था। 


मम मित्रस्य गृहे भोजनं कृतवान् अहम् ।

= मेरे मित्र के घर मैंने भोजन किया।


अतः षोडशदिनाङ्क पर्यन्तम् अहं छात्रावासे भोजनं न कृतवान्। 

= अतः सोलह तारीख तक मैंने छात्रावास में खाना नहीं खाया। 


श्वः रविवासरः अस्ति। 

= कल रविवार है। 


रविवासरे अहं मम गृहं गच्छामि। 

= रविवार को मैं मेरे घर जा रहा हूँ। 


अतः त्रयोदश दिनानामेव भोजनशुल्कम् अहं ददामि। 

= इसलिये तेरह दिन का ही भोजनशुल्क मैं देता हूँ। 


स्वीकरोतु ... 

= लीजिये ...


संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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एका माता तस्याः सप्तवर्षीयं पुत्रं शास्ति 

= एक माँ अपने सात वर्ष के बेटे को सिखाती है । 


हे वत्स !  स्वकीयानि अन्तः-वस्त्राणि स्वयमेव प्रक्षालनीयानि 

= बेटा , अपने under garments  अपने आप धोने चाहिये । 


पुत्रः अपृच्छत् 

= पुत्र ने पूछा 


पुत्रः  - कथं प्रक्षालयानि  ? 

        = कैसे धोऊँ ? 


माता -  वस्त्राणि आर्द्राणि भवन्ति तदनन्तरं 

       = कपड़े गीले हो जाएँ उसके बाद 


वस्त्रेषु फेनकं मर्दय

= कपड़ों पर साबुन मलो


घर्षकेन वस्त्राणि घर्षय 

= ब्रश से कपड़ों को घिसो 


अनन्तरं स्वच्छ जलेन वस्त्राणि प्रक्षालय 

= बाद में साफ पानी से कपड़े धो लो । 


अनन्तरं रज्जो: उपरि वस्त्राणि लम्बय 

= बाद में रस्सी पर कपड़े लटका दो । 


अलम् , अधिकं किमपि न करणीयम् 

= बस अधिक कुछ भी नहीं करना है 


प्रक्षालितम् , आर्द्रितम् , भूतम् ।

= धोया भिगोया हो गया ।


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* पुनः पाठयतु।

   = फिर से पढ़ाइये। 


** किमर्थं पुनः ? 

    = फिर से क्यों ?  


* केचन जनाः अनुपस्थिताः आसन्।

   = कुछ लोग अनुपस्थित थे। 


* केचन जनाः नूतनाः सन्ति। 

   = कुछ लोग नए हैं।


** सर्वे अभ्यासं कुर्वन्ति खलु ? 

   = सभी अभ्यास करते हैं न ? 


* आं कुर्वन्ति। 

   = हाँ करते हैं। 


** सर्वेषाम् अभ्यासः न दृश्यते।

   = सबका अभ्यास नहीं दिखता है। 


*  सर्वे केवलं पठन्ति।

   = सब केवल पढ़ते हैं। 


** केवलं पठनेन संस्कृतं न शिक्ष्यते। 

   = केवल पढ़ने से संस्कृत नहीं सीखी जाती है। 


** अभ्यासः अपि आवश्यकः भवति। 

   = अभ्यास भी आवश्यक होता है।


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संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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 अद्यैव = आज ही 


अद्यैव अमेरिकी-उपग्रहस्य प्रक्षेपणं भविष्यति 

= आज ही अमेरिकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा ।


सः अद्यैव यजुर्वेदं क्रेष्यति 

= वह आज ही यजुर्वेद खरीदेगा 


हे पुत्र ! तव कार्यम् अद्यैव कुरु 

= बेटा , तुम्हारा काम आज ही करो 


आम् अहम् अद्यैव करिष्यामि

= हाँ मैं आज ही करूँगा ।


सः अद्यैव चायम् अत्यजत् 

= उसने आज ही चाय छोड़ दी । 


अद्यैव अहं त्वां स्मरामि स्म 

= आज ही मैं तुमको याद कर रहा था । 


अधुनैव = अभी ही , अभी अभी 


सः अधुनैव इतः प्रस्थानम् अकरोत् 

= उसने अभी अभी यहाँ से प्रस्थान किया ।


अधुनैव तव कृते केसरयुक्तं दुग्धं निर्मामि 

= अभी ही तुम्हारे लिये केसर वाला दूध बनाता / बनाती हूँ ।


अधुनैव तव पिता आगमिष्यति

= अभी तुम्हारे पिताजी आ जाएँगे 


आम् मातः ! अहम् अधुनैव स्नानं करोमि 

= हाँ माँ , मैं अभी ही स्नान करता हूँ । 


अधुनैव अहं सूचनां प्राप्तवान् 

= अभी अभी मैंने सूचना पाई ।

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सः अत्रिः अस्ति। 

= वह अत्रि है। 


अत्रिः संस्कृतशिक्षकः अस्ति। 

= अत्रि संस्कृत शिक्षक है। 


ह्यः अत्रिणा सह वार्तालापः अभवत्।

= कल अत्रि के साथ बातचीत हुई। 


सः गढ़सीसा ग्रामे राजकीय-विद्यालये पाठयति। 

= वह गढ़सीसा गाँव में सरकारी स्कूल में पढ़ाता है। 


( गढ़सीसा ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति 

  = गढ़सीसा गाँव कच्छ जिले में है )


यदा अत्रिः बालकः आसीत् तदा अहं तं मिलितवान्।

= जब अत्रि बालक था तब मैं उसे मिला था। 


तदानीं गागोदर ग्रामे मिलितवान् । 

= तब गागोदर गाँव में मिला था। 


( गागोदर  ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति 

  = गागोदर गाँव कच्छ जिले में है )


नवलशङ्करः राजगोरः तस्य पिता अस्ति।

= नवलशंकर राजगोर उसके पिता हैं। 


नवलशङ्करः कथाकारः अस्ति। 

= नवलशंकर जी कथाकार हैं। 


नवलशङ्करः संस्कृतज्ञः अस्ति। 

= नवलशङ्कर जी संस्कृतज्ञ हैं। 


अत्रिः मया सह संस्कृतभाषायाम् एव वार्तालापं कृतवान्। 

= अत्रि ने मेरे साथ संस्कृत में ही बात की।



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वद वद = बोलो बोलो 

श्रृणु श्रृणु = सुनो सुनो

पठ पठ = पढ़ो पढ़ो 

लिख लिख = लिखो लिखो 

चल चल = चलो चलो 

गच्छ गच्छ = जाओ जाओ 

धाव धाव = दौड़ो दौड़ो 

क्रीड़ क्रीड़ = खेलो खेलो 

पश्य पश्य = देखो देखो 

खाद खाद = खाओ खाओ

पिब पिब = पीओ पीओ 

देहि देहि = दे दो दे दो 

नय नय = ले जाओ ले जाओ 

आनय आनय =  लाओ लाओ 

हस हस  = हँसो हँसो 

कुरु कुरु  = करो करो 

आगच्छ आगच्छ = आओ आओ 

उपविश उपविश = बैठो बैठो


संस्कृत वाक्य अभ्यासः  

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टन ...ठन ...ट ...न..न..न..न..न.. 


माता - किम् अभवत् ? 

       = क्या हो गया ? 


पुत्रः -  अम्ब ! स्थालिका अपतत्  ।

       = माँ , थाली गिर गई । 


        मम हस्तात्  स्थालिका अस्खलत् ।

       = मेरे हाथ से थाली छूट गई । 


माता - किमर्थम् ? त्वं किं करोषि स्म ? 

       = क्यों ? तुम क्या कर रहे थे ? 


पुत्रः - मातः , अहं पात्राणि प्रक्षालयामि स्म ।

       = माँ , मैं बर्तन धो रहा था । 


माता - आहा , मम पुत्रः तु अधुना पात्राणि अपि ..... 

         = आहा, मेरा बेटा तो अब बर्तन भी  


पुत्रः  -  अम्ब , भोजनम् अहं करोमि 

       = माँ , भोजन मैं करता हूँ । 


       - तर्हि पात्राणि अपि अहमेव क्षालयिष्यामि 

      = तो फिर बर्तन भी मैं ही धोऊँगा 


माता - बहु शोभनम् वत्स । 

       = बहुत बढ़िया बेटा ।


--- अखिलेश आचार्य


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