संस्कृत वाक्य अभ्यास
Sanskrit sentence study
रात्रौ एक वादने जागरितवान्।
= रात एक बजे जागा ।
मुखं प्रक्षाल्य स्वस्थः अभवम्।
= मुख साफ कर के स्वस्थ हो गया।
अनन्तरं चन्द्रयानस्य अवतरणप्रक्रियायाः दर्शनम् आरब्धवान्।
= बाद में चन्द्रयान की लैंडिंग प्रक्रिया को देखना शुरू किया।
प्रधानमंत्री महोदयः अपि इसरो केन्द्रं प्राविशत्।
= प्रधानमंत्री महोदय भी इसरो केंद्र में प्रविष्ट हुए।
विविधानां विद्यालयानां छात्राः अपि तत्र उपविष्टाः आसन्।
= विविध विद्यालयों के छात्र भी वहाँ बैठे थे।
अवतरणयानस्य गतिः मन्दा क्रियते स्म।
= लैंडर की गति को धीमा किया जा रहा था।
शनैः शनैः अवतरणयानस्य गतिः मन्दा कृता।
= धीरे धीरे लैंडर की गति धीमी की गई।
अवतरणयानं शनैःशनैः चन्द्रमसि अवतरति स्म।
= लैंडर धीरे धीरे उतर रहा था
सर्वे वैज्ञानिकाः इसरो-नियंत्रणकक्षतः यानस्य संचालनं कुर्वन्ति स्म।
= सभी वैज्ञानिक इसरो नियंत्रण कक्ष से यान का संचालन कर रहे थे।
तदनीमेव सर्वे स्तब्धाः अभवन्।
= तभी सारे स्तब्ध रह गए।
अवतरणयानेन सह सम्पर्कः समाप्तः जातः।
= लैंडर के साथ संपर्क कट गया।
परिक्रमायानं सुरक्षितम् अस्ति।
= ऑर्बिटर सुरक्षित है।
तावती सफलता वैज्ञानिकैः प्राप्ता।
= उतनी सफलता वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त की गई।
वैज्ञानिकाः पुनः प्रयासं करिष्यन्ति।
= वैज्ञानिक पुनः प्रयास करेंगे।
अवश्यमेव सफलतां प्राप्स्यन्ति।
= अवश्य ही सफलता पायेंगे।
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सर्वे समाचारपत्रं पठन्ति।
= सभी समाचारपत्र पढ़ रहे हैं।
एकः उत्थाय पठति।
= एक खड़ा होकर पढ़ रहा है।
अन्यः उपविश्य पठति।
= दूसरा बैठकर पढ़ रहा है।
केचन जनाः याचित्वा पठन्ति।
= कुछ लोग माँगकर पढ़ते हैं।
यदा कोsपि समाचारपत्रं याचते ...
= जब कोई समाचार पत्र माँगता है ...
तदा वाचकः एकं पृष्ठं तस्मै ददाति ।
= तब पढ़ने वाला व्यक्ति एक पृष्ठ उसे देता है।
एकः वृद्धः काचेन समाचारपत्रं पठति।
= एक वृद्ध ग्लास द्वारा समाचार पत्र पढ़ रहा है।
एकः छात्रः केवलं मुख्यं समाचारम् एव पठति।
= एक छात्र केवल मुख्य समाचार ही पढ़ता है।
अपरः छात्रः सम्पूर्णं समाचारपत्रं पठति।
= दूसरा छात्र पूरा समाचारपत्र पढ़ता है।
एकः तु केवलं खेलसमाचारम् एव पठति।
= एक तो केवल खेल समाचार ही पढ़ता है।
एका युवती समाचारपत्रे स्वचित्रं दृष्ट्वा मोदते।
= एक युवती समाचारपत्र में अपना चित्र देखकर खुश होती है।
सा युवती श्लोकस्पर्धायां प्रथमं पुरस्कारं प्राप्तवती।
= उस युवती ने श्लोक स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार पाया।
बहवः जनाः "विश्वस्य वृत्तान्त:" पठन्ति।
= बहुत से लोग "विश्वस्य वृत्तान्त:" पढ़ते हैं।
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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कार्तिकः बेंगलूरे निवसति
= कार्तिक बेंगलूर में रहता है ।
सः बेंगलूरे सेतुनिर्माण-कार्ये संलग्नः अस्ति
= वह बेंगलूर में पुल बनाने के काम में लगा है
नगरस्य यातायात-व्यवस्था सुगमा भवेत्
= नगर की यातायात व्यवस्था सुगम हो
तदर्थम् सः पारसेतुं निर्माति
= इसके लिये वह ओवरब्रिज बनाता है
तस्मिन् कार्ये सः एकाकी नास्ति ।
= उस काम में वह अकेला नहीं है ।
अन्ये अपि कर्मकराः सन्ति
= अन्य कर्मचारी भी हैं ।
कार्तिकः अभियन्ता अस्ति
= कार्तिक इंजिनियर है ।
सेतो: संरचनां (प्रारूपम्) कार्तिकः एव निर्माति
= पुल की डिजाइन कार्तिक ही बनाता है ।
निर्माणस्थले सः कर्मकरेभ्यः निर्देशं ददाति
= निर्माण के स्थान पर वह कर्मचारियों को निर्देश देता है ।
( कर्मकर्तृभ्यः = कर्मचारियों को )
कार्यस्य निरक्षणं सः प्रतिदिनं करोति
= काम का निरिक्षण वह हर रोज करता है ।
कार्तिकेयः श्रेष्ठः अभियन्ता अस्ति
= कार्तिकेय अच्छा इंजिनियर है ।
संस्कृत वाक्याभ्यासः
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पुनः पुनः
आम् , पुनः पुनः
कुरु अभ्यासं पुनः पुनः ।
प्रातः संस्कृत अभ्यासम्
सायं अपि कुरु वार्तालापम्
यदा यदा करोषि सम्वादम्
श्रृणु श्रावय च केवलं संस्कृतम् ।
बार बार .....
हाँ , बार बार .....
करिये अभ्यास बार बार
प्रातः संस्कृत का अभ्यास
सायं भी संस्कृत वार्तालाप
जब जब करें सम्वाद
सुनें सुनाएँ केवल संस्कृतम् ।
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संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
संस्कृताभ्यास - 2
पाठ (२) प्रथमा विभक्ति
= गतिवैविध्यम् (विविध गतियां)
कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-
सर्पः सर्पति = सांप सरकता है।
कीटः रिंगति = कीड़ा रेंगता है।
हठिनी बाला लुण्ठति = जिद्दी लड़की लोटती है।
तरणिः तरति = नाव तैरती है।
प्लवः प्लवते = बेड़ा तैरता है।
मण्डूकः उत्प्लवते = मेंढक कूद-कूद कर चलता है।
माला उत्प्लवते / उत्पतति = माला उछलती है।
अवगाहकः अवगाहते = गोताखोर डुबकी लगाता है।
भ्रमरः भ्रमति = भौंरा घूम-घूमकर उड़ता है।
शलभः शलति = पतंगा स्थिर होकर उड़ता है।
मार्जारः चोपति = बिल्ली चुपके से चलती है।
मृगः धावति = हिरण दौड़ता है।
चित्रकः जवति = चीता वेग से दौड़ता है।
वायुः वाति = हवा बह रही है।
वात्या वाति = आंधी चल रही है।
नदी प्रवहति = नदी बह रही है।
निर्झरः कलहति = झरना कल-कल बह रहा है।
बसयानं चलति = बस चल रही है।
ऑटोयानं गच्छति = ऑटोरिक्क्षा जा रही है।
वानरः कूर्दते = बंदर कूद रहा है।
वस्त्रं स्त्रं सरति = कपड़ा सरक रहा है।
सौम्या स्खलति = सौम्या फिसल रही है।
खञ्जा खञ्जति = लंगड़ी लड़की (पंगु) लंगड़ाकर चलती है।
पर्पिकः पर्पति = पंगु बैसाखी से चलता है।
हयः हयति = घोड़ा दौड़ रहा है।
शोणा शोणति = लाल घोड़ी दौड़ रही है।
अजा अजति = बकरी चल रही है।
वाजी विक्रमते = घोड़ा (ब्याह आदि में) नाच रहा है।
पथिकः पथति = पथिक रास्ते पर चल रहा है।
घृतं द्रवति = घी पिघल रहा है।
नगरं ध्वंसते = नगर तहस-नहस हो रहा है।
शाखा त्रुटति = पेड़ की शाखा टूट रही है / टूट कर गिर रही है।
विटपः कम्पते = टहनी कांप रही है।
शरीरं / ग्रात्रं वेपते = शरीर / शरीरावयव कांप रहा है।
दीपशिखा एजते = दिए की लौ कांप रही है।
धरणिः ध्रजति = भूमि कांप रही है।
ध्वजा ध्वजति = झंड़ा लहरा रहा है।
ग्रहः घूर्णते = ग्रह अपने कीली पर घूम रहा है।
अज्ञानी दन्द्रम्यते = अज्ञानी भटक रहा है।
प्रेङ्खा प्रेङ्खते = झूला झूल रहा है।
दोला दोलयते = हिंडोला / पालना झूल रहा है।
चित्तं दोलयते = मन बेचैन हो रहा है।
दर्शकः दोलयते = बैठा हुआ दर्शक दाएं-बाएं हिल रहा है।
आत्मा अतति = जीवात्मा (एक शरीर से दूसरे शरीर में) सतत घूमता है।
यन्त्रम् अतति = मशीन लगातार चल रही है।
निरुद्यमिनी अटति / अटाट्यते = निठल्ला व्यक्ति इधर – उधर भटक रहा है।
गौः व्रजति = गाय समूह में चलति है।
परिव्राजकः परिव्रजति = परिव्राजक (=संन्यासी) चारों और भ्रमण करता है।
वैरागी प्रव्रजति = वैरागी सबकुछ त्यागकर (=संन्यास लेकर) जा रहा है।
आतङ्की प्रव्रजति = आतङ्कवादी निर्वासित होकर जा रहा है।
प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’
अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)
टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)
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सा करण्डकं रिक्तं करोति।
= वह टोकरी खाली करती है।
अनन्तरं करण्डकं स्वच्छं करोति।
= उसके बाद टोकरी साफ करती है।
करण्डके एकं स्वच्छं वस्त्रं प्रसारयति।
= टोकरी में साफ कपड़ा बिछाती है।
अनन्तरं करण्डके सेवफलानि स्थापयति।
= उसके बाद टोकरी में सेव रखती है।
करण्डकं शिरसि उन्नयति।
= टोकरी सिर पर उठाती है।
आपणं गच्छति।
= बाजार जाती है।
आपणे एकस्मिन् कोणे उपविशति।
= बाजार में एक कोने में बैठती है।
सा सेवफलं विक्रीणाति।
= वह सेव बेचती है।
सा यानि सेवफलानि विक्रीणाति तानि बहु मधुराणि सन्ति।
= वह जो सेव बेचती है वो बहुत मीठे हैं।
तस्याः स्वभावः अपि बहु मधुरः अस्ति।
= उसका स्वभाव भी बहुत मीठा है।
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भोः मित्र ! अत्र अवकरं मा क्षिप ।
= ओ मित्र ! यहाँ कूड़ा मत फेंको।
અરે મિત્ર ! અહીં કચરો ન નાખો.
यथा अस्ति तव गृहं स्वच्छम्
= जैसे तुम्हारा घर स्वच्छ है।
જેવી રીતે તારું ઘર સ્વચ્છ છે.
तथैव भवेत् मम गृहं स्वच्छम्
= वैसे ही हो स्वच्छ घर मेरा।
તેવી રીતે સ્વચ્છ હોય મારું ઘર.
पश्य , तत्र अस्ति अवकरपात्रम् ।
= देखो , वहाँ है कूड़ेदान ।
જો, ત્યાં છે કચરાપેટી.
नगरपालिकायाः अस्ति अवकरपात्रम् ।
= नगरपालिका का है कूड़ेदान।
નગરપાલિકાની છે કચરાપેટી.
वीथिः अस्ति सर्वेषाम् ।
= गली तो सबकी है।
બજાર તો બધાની છે.
मा कुरु, मा कुरु मार्गम् अस्वच्छम्।
= मत करो , मत करो रास्ते को अस्वच्छ।
ન કરો, ન કરો રસ્તાને અસ્વચ્છ.
स्वच्छतायां नास्ति किमपि कष्टम्।
= स्वच्छता में कोई कष्ट नहीं है।
સ્વચ્છતામાં કોઈ તકલીફ નથી.
उत्थापय तव सर्वम् अवकरम्।
= उठा लो सारा कूड़ा तुम्हारा।
ઉપાડી લે તારો બધો કચરો.
नय , नय इतः सर्वम् अवकरम्।
= ले जाओ यहाँ से सारा कूड़ा।
લઈ જા અહીંથી બધો કચરો.
क्षिप क्षिप अवकरपात्रे अवकरम्।
= फेंको कूड़ेदान में कूड़ा।
નાખી દે કચરાપેટીમાં કચરો.
तव पार्श्वे केवलम् अर्धहोरायाः ( अर्धघण्टायाः) समयः अस्ति।
= तुम्हारे पास केवल आधा घंटे का समय है।
रेलयानं सार्ध अष्टवादने अस्ति।
= रेल साढ़े आठ बजे है।
अधुना पादोन अष्टवादनं जातम्।
= अभी पौने आठ हो गए हैं।
रेलस्थानकं गन्तव्यम् अस्ति।
= रेलवे स्टेशन जाना है।
रेलस्थानकं प्राप्तव्यम् अस्ति।
= रेलवे स्टेशन पहुँचना है।
विंशतिः निमेषात्मकः मार्गः अस्ति।
= बीस मिनट का रास्ता है।
तव यानपेटिका अपि अधुना सिद्धा नास्ति।
= तुम्हारी बैग भी तैयार नहीं है।
शीघ्रं शीघ्रं वस्तूनि स्थापय।
= जल्दी जल्दी वस्तुएँ रखो।
सर्वं स्मृत्वा स्थापय।
= सब याद करके रखो।
तव अल्पाहारः सिद्ध: अस्ति।
= तुम्हारा नाश्ता तैयार है।
शीघ्रम् अल्पाहारं कुरु।
= जल्दी से नाश्ता कर लो।
अष्टवादने गृहात् प्रस्थानं करिष्यामः।
= आठ बजे घर से चल देंगे।
संस्कृत वाक्याभ्यासः
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पत्नी - श्रृणोति वा ?
= सुनते हैं ?
विनय दुग्धं न पिबति ।
= विनय दूध नहीं पी रहा है
किञ्चित् तर्जयतु ।
= थोड़ा डांटिये
पतिः - किमर्थं वत्स !
= क्यों बेटा
दुग्धं किमर्थं न पिबसि त्वम् ?
= तुम दूध क्यों नहीं पी रहे हो ?
दुग्धं न रोचते वा ?
= दूध पसन्द नहीं है क्या ?
विनयः - तात ! दुग्धं तु रोचते मह्यम् ।
= मुझे दूध तो पसंद है
- गोपालः धेनुं सूचिऔषधं मारयति ।
= गोपाल गाय को इन्जेक्शन मारता है
- तद् मह्यं न रोचते ।
= वो मुझे पसंद नहीं है ।
मम गृहे विद्युत्मापकम् अस्ति।
= मेरे घर बिजली का मीटर है।
प्रतिमासं एकः अधिकारी मम गृहम् आगच्छति।
= हर महीने एक अधिकारी मेरे घर आता है।
सः विद्युत्मापकं द्रष्टुम् आगच्छति।
= वह बिजली का मीटर देखने आता है।
सः स्वकोशात् करदीपं निष्कासयति।
= वह अपनी जेब से टॉर्च निकालता है।
विद्युत्मापके अङ्कान् पठति।
= मीटर में आंकड़े पढ़ता है।
शुल्कपत्रे अङ्कान् लिखति।
= बिलबुक में आंकड़े लिखता है ।
मम गृहस्य शुल्कपत्रं मह्यं ददाति।
= मेरे घर का बिल मुझे देता है।
अनन्तरं सः अन्यद् गृहं गच्छति।
= बाद में वह अन्य घर जाता है।
विद्युत्शुल्कं तु समये एव देयम् ।
= बिजली का बिल तो समय पर देना चाहिये।
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सः दिनदर्शिकां दर्शयति।
= वह कलेंडर दिखाता है।
* पश्यतु , प्रथमतः पञ्चदशदिनाङ्क पर्यन्तम् अहं छात्रावासे न आसम् ।
= देखिये , पहली से पंद्रह तारीख तक मैं छात्रावास में नहीं था।
षोडशदिनाङ्के मम मित्रस्य जन्मदिनम् आसीत्।
= सोलह तारीख को मेरे मित्र का जन्मदिन था।
मम मित्रस्य गृहे भोजनं कृतवान् अहम् ।
= मेरे मित्र के घर मैंने भोजन किया।
अतः षोडशदिनाङ्क पर्यन्तम् अहं छात्रावासे भोजनं न कृतवान्।
= अतः सोलह तारीख तक मैंने छात्रावास में खाना नहीं खाया।
श्वः रविवासरः अस्ति।
= कल रविवार है।
रविवासरे अहं मम गृहं गच्छामि।
= रविवार को मैं मेरे घर जा रहा हूँ।
अतः त्रयोदश दिनानामेव भोजनशुल्कम् अहं ददामि।
= इसलिये तेरह दिन का ही भोजनशुल्क मैं देता हूँ।
स्वीकरोतु ...
= लीजिये ...
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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एका माता तस्याः सप्तवर्षीयं पुत्रं शास्ति
= एक माँ अपने सात वर्ष के बेटे को सिखाती है ।
हे वत्स ! स्वकीयानि अन्तः-वस्त्राणि स्वयमेव प्रक्षालनीयानि
= बेटा , अपने under garments अपने आप धोने चाहिये ।
पुत्रः अपृच्छत्
= पुत्र ने पूछा
पुत्रः - कथं प्रक्षालयानि ?
= कैसे धोऊँ ?
माता - वस्त्राणि आर्द्राणि भवन्ति तदनन्तरं
= कपड़े गीले हो जाएँ उसके बाद
वस्त्रेषु फेनकं मर्दय
= कपड़ों पर साबुन मलो
घर्षकेन वस्त्राणि घर्षय
= ब्रश से कपड़ों को घिसो
अनन्तरं स्वच्छ जलेन वस्त्राणि प्रक्षालय
= बाद में साफ पानी से कपड़े धो लो ।
अनन्तरं रज्जो: उपरि वस्त्राणि लम्बय
= बाद में रस्सी पर कपड़े लटका दो ।
अलम् , अधिकं किमपि न करणीयम्
= बस अधिक कुछ भी नहीं करना है
प्रक्षालितम् , आर्द्रितम् , भूतम् ।
= धोया भिगोया हो गया ।
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* पुनः पाठयतु।
= फिर से पढ़ाइये।
** किमर्थं पुनः ?
= फिर से क्यों ?
* केचन जनाः अनुपस्थिताः आसन्।
= कुछ लोग अनुपस्थित थे।
* केचन जनाः नूतनाः सन्ति।
= कुछ लोग नए हैं।
** सर्वे अभ्यासं कुर्वन्ति खलु ?
= सभी अभ्यास करते हैं न ?
* आं कुर्वन्ति।
= हाँ करते हैं।
** सर्वेषाम् अभ्यासः न दृश्यते।
= सबका अभ्यास नहीं दिखता है।
* सर्वे केवलं पठन्ति।
= सब केवल पढ़ते हैं।
** केवलं पठनेन संस्कृतं न शिक्ष्यते।
= केवल पढ़ने से संस्कृत नहीं सीखी जाती है।
** अभ्यासः अपि आवश्यकः भवति।
= अभ्यास भी आवश्यक होता है।
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संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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अद्यैव = आज ही
अद्यैव अमेरिकी-उपग्रहस्य प्रक्षेपणं भविष्यति
= आज ही अमेरिकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा ।
सः अद्यैव यजुर्वेदं क्रेष्यति
= वह आज ही यजुर्वेद खरीदेगा
हे पुत्र ! तव कार्यम् अद्यैव कुरु
= बेटा , तुम्हारा काम आज ही करो
आम् अहम् अद्यैव करिष्यामि
= हाँ मैं आज ही करूँगा ।
सः अद्यैव चायम् अत्यजत्
= उसने आज ही चाय छोड़ दी ।
अद्यैव अहं त्वां स्मरामि स्म
= आज ही मैं तुमको याद कर रहा था ।
अधुनैव = अभी ही , अभी अभी
सः अधुनैव इतः प्रस्थानम् अकरोत्
= उसने अभी अभी यहाँ से प्रस्थान किया ।
अधुनैव तव कृते केसरयुक्तं दुग्धं निर्मामि
= अभी ही तुम्हारे लिये केसर वाला दूध बनाता / बनाती हूँ ।
अधुनैव तव पिता आगमिष्यति
= अभी तुम्हारे पिताजी आ जाएँगे
आम् मातः ! अहम् अधुनैव स्नानं करोमि
= हाँ माँ , मैं अभी ही स्नान करता हूँ ।
अधुनैव अहं सूचनां प्राप्तवान्
= अभी अभी मैंने सूचना पाई ।
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सः अत्रिः अस्ति।
= वह अत्रि है।
अत्रिः संस्कृतशिक्षकः अस्ति।
= अत्रि संस्कृत शिक्षक है।
ह्यः अत्रिणा सह वार्तालापः अभवत्।
= कल अत्रि के साथ बातचीत हुई।
सः गढ़सीसा ग्रामे राजकीय-विद्यालये पाठयति।
= वह गढ़सीसा गाँव में सरकारी स्कूल में पढ़ाता है।
( गढ़सीसा ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति
= गढ़सीसा गाँव कच्छ जिले में है )
यदा अत्रिः बालकः आसीत् तदा अहं तं मिलितवान्।
= जब अत्रि बालक था तब मैं उसे मिला था।
तदानीं गागोदर ग्रामे मिलितवान् ।
= तब गागोदर गाँव में मिला था।
( गागोदर ग्रामः कच्छ जनपदे अस्ति
= गागोदर गाँव कच्छ जिले में है )
नवलशङ्करः राजगोरः तस्य पिता अस्ति।
= नवलशंकर राजगोर उसके पिता हैं।
नवलशङ्करः कथाकारः अस्ति।
= नवलशंकर जी कथाकार हैं।
नवलशङ्करः संस्कृतज्ञः अस्ति।
= नवलशङ्कर जी संस्कृतज्ञ हैं।
अत्रिः मया सह संस्कृतभाषायाम् एव वार्तालापं कृतवान्।
= अत्रि ने मेरे साथ संस्कृत में ही बात की।
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वद वद = बोलो बोलो
श्रृणु श्रृणु = सुनो सुनो
पठ पठ = पढ़ो पढ़ो
लिख लिख = लिखो लिखो
चल चल = चलो चलो
गच्छ गच्छ = जाओ जाओ
धाव धाव = दौड़ो दौड़ो
क्रीड़ क्रीड़ = खेलो खेलो
पश्य पश्य = देखो देखो
खाद खाद = खाओ खाओ
पिब पिब = पीओ पीओ
देहि देहि = दे दो दे दो
नय नय = ले जाओ ले जाओ
आनय आनय = लाओ लाओ
हस हस = हँसो हँसो
कुरु कुरु = करो करो
आगच्छ आगच्छ = आओ आओ
उपविश उपविश = बैठो बैठो
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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टन ...ठन ...ट ...न..न..न..न..न..
माता - किम् अभवत् ?
= क्या हो गया ?
पुत्रः - अम्ब ! स्थालिका अपतत् ।
= माँ , थाली गिर गई ।
मम हस्तात् स्थालिका अस्खलत् ।
= मेरे हाथ से थाली छूट गई ।
माता - किमर्थम् ? त्वं किं करोषि स्म ?
= क्यों ? तुम क्या कर रहे थे ?
पुत्रः - मातः , अहं पात्राणि प्रक्षालयामि स्म ।
= माँ , मैं बर्तन धो रहा था ।
माता - आहा , मम पुत्रः तु अधुना पात्राणि अपि .....
= आहा, मेरा बेटा तो अब बर्तन भी
पुत्रः - अम्ब , भोजनम् अहं करोमि
= माँ , भोजन मैं करता हूँ ।
- तर्हि पात्राणि अपि अहमेव क्षालयिष्यामि
= तो फिर बर्तन भी मैं ही धोऊँगा
माता - बहु शोभनम् वत्स ।
= बहुत बढ़िया बेटा ।
--- अखिलेश आचार्य
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