संस्कृत वाक्य अभ्यास
Sanskrit Sentence Study
संस्कृत वाक्य अभ्यास
मेरा क्या है ?
= मम किम् अस्ति ?
मैं तो सामान्य व्यक्ति हूँ ।
= अहं तु सामान्यः जनः अस्मि ।
जो कुछ भी मिला है वो ईश्वर की देन है।
= यत्किमपि प्राप्तं तत् सर्वं ईश्वरस्य अनुकम्पा अस्ति
( ईश्वरेण प्रदत्तम् )
सब यहीं छोड़कर जाना है ।
= सर्वम् अत्रैव त्यक्त्वा गन्तव्यम् अस्ति।
अच्छा काम करूँगा तो अच्छा फल मिलेगा
= श्रेष्ठं कार्यं करिष्यामि चेत् श्रेष्ठं फलं प्राप्स्यामि ।
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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कस्य कस्य गृहे स्वच्छता भवति ?
= किस किस के घर में स्वच्छता होती है ? ( पुलिंग )
कस्याः कस्याः गृहे स्वच्छता भवति ?
= किस किस के घर में स्वच्छता होती है ? ( स्त्रीलिंग )
मम गृहे स्वच्छता भवति ।
= मेरे घर में स्वच्छता होती है ।
मुकुन्दस्य गृहे स्वच्छता भवति ।
= मुकुन्द के घर में स्वच्छता होती है
सुनीतायाः गृहे स्वच्छता भवति ।
= सुनीता के घर में सफाई होती है
कः कः स्वच्छतां करोति ?
= कौन कौन स्वच्छता करता है ?
( पुलिँग)
का का स्वच्छतां करोति ?
= कौन कौन स्वच्छता करती है ?
( स्त्रीलिंग )
अहं स्वच्छतां करोमि ।
= मैं सफाई करता /करती हूँ ।
मुकुन्दः स्वच्छतां करोति ।
= मुकुन्द सफाई करता है ।
सुनीता स्वच्छतां करोति ।
= सुनीता सफाई करती है ।
सर्वे जनाः स्वच्छतां कुर्वन्तु ।
= सभी लोग सफाई करें ।
अस्माकम् आवास-परिसरे सर्वदा स्वच्छता भवेत् ।
= हमारे निवास विस्तार में हमेशा सफाई रहे ।
संस्कृत में " लट् , लिट् , लुट् , लृट् , लेट् , लोट् , लङ् , लिङ् , लुङ् , लृङ् " – ये दस लकार होते हैं।
•• वास्तव में ये दस प्रत्यय हैं जो धातुओं में जोड़े जाते हैं। इन दसों प्रत्ययों के प्रारम्भ में " ल " है
इसलिए इन्हें 'लकार' कहते हैं (ठीक वैसे ही जैसे ॐकार, अकार, इकार, उकार इत्यादि)।
•• इन दस लकारों में से
~~~~ आरम्भ के छः लकारों के अन्त में 'ट्' है-
लट् लिट् लुट् आदि इसलिए ये " टित् " लकार कहे जाते हैं और
~~~~ अन्त के चार लकार " ङित् " कहे जाते हैं क्योंकि उनके अन्त में 'ङ्' है।
•• व्याकरणशास्त्र में जब धातुओं से
पिबति, खादति आदि रूप सिद्ध किये जाते हैं
तब इन " टित् " और " ङित् " शब्दों का बहुत बार प्रयोग किया जाता है।
•• इन लकारों का प्रयोग विभिन्न कालों की क्रिया बताने के लिए किया जाता है।
जैसे –
••••• जब वर्तमान काल की क्रिया बतानी हो तो धातु से " लट् " लकार जोड़ देंगे,
•••••• परोक्ष भूतकाल की क्रिया बतानी हो तो " लिट् " लकार जोड़ेंगे।
(१) लट् लकार ( वर्तमान काल )
~~~~ जैसे :-
श्यामः खेलति । = श्याम खेलता है।
(२) लिट् लकार ( अनद्यतन परोक्ष भूतकाल ) जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो ।
~~~~ जैसे :--
रामः रावणं ममार । = राम ने रावण को मारा ।
(३) लुट् लकार ( अनद्यतन भविष्यत् काल ) जो आज का दिन छोड़ कर आगे होने वाला हो ।
~~~~ जैसे :--
सः परश्वः विद्यालयं गन्ता । = वह परसों विद्यालय जायेगा ।
(४) लृट् लकार ( सामान्य भविष्य काल ) जो आने वाले किसी भी समय में होने वाला हो ।
~~~~ जैसे :---
रामः इदं कार्यं करिष्यति । = राम यह कार्य करेगा।
(५) लेट् लकार ( यह लकार केवल वेद में प्रयोग होता है, ईश्वर के लिए, क्योंकि वह किसी काल में बंधा नहीं है। )
(६) लोट् लकार ( ये लकार आज्ञा, अनुमति लेना, प्रशंसा करना, प्रार्थना आदि में प्रयोग होता है । )
~~~~ जैसे :-
• भवान् गच्छतु । = आप जाइए । ;
• सः क्रीडतु । = वह खेले । ;
• त्वं खाद । = तुम खाओ । ;
• किमहं वदानि । = क्या मैं बोलूँ ?
(७) लङ् लकार ( अनद्यतन भूत काल ) आज का दिन छोड़ कर किसी अन्य दिन जो हुआ हो ।
~~~~ जैसे :-
भवान् तस्मिन् दिने भोजनमपचत् । = आपने उस दिन भोजन पकाया था।
(८) लिङ् लकार = इसमें दो प्रकार के लकार होते हैं :--
(क) आशीर्लिङ् ( किसी को आशीर्वाद देना हो । )
~~~~ जैसे :-
• भवान् जीव्यात् । = आप जीओ । ;
• त्वं सुखी भूयात् । = तुम सुखी रहो।
(ख) विधिलिङ् ( किसी को विधि बतानी हो ।)
~~~~ जैसे :-
• भवान् पठेत् । = आपको पढ़ना चाहिए। ;
• अहं गच्छेयम् । = मुझे जाना चाहिए।
(९) लुङ् लकार ( सामान्य भूत काल ) जो कभी भी बीत चुका हो ।
~~~~ जैसे :-
अहं भोजनम् अभक्षत् । = मैंने खाना खाया।
(१०) लृङ् लकार ( ऐसा भूत काल जिसका प्रभाव वर्तमान तक हो) जब किसी क्रिया की असिद्धि हो गई हो ।
~~~~ जैसे :-
यदि त्वम् अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् भवितुम् अर्हिष्यत् । = यदि तू पढ़ता तो विद्वान् बनता।
इस बात को स्मरण रखने के लिए कि
•••• धातु से कब किस लकार को जोड़ेंगे, निम्नलिखित श्लोक स्मरण कर लीजिए-
लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तथा ।
विध्याशिषोर्लिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति ॥
अर्थात्
~ लट् लकार वर्तमान काल में,
~ लेट् लकार केवल वेद में,
~ भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्,
~ विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा
~ भविष्यत् काल में लुट् लृट् और लृङ् लकारों का प्रयोग किया जाता है।)
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लकारों के नाम याद रखने की विधि-
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" ल् " में प्रत्याहार के क्रम से ( अ इ उ ऋ ए ओ ) जोड़ दें
और क्रमानुसार ( ट् ) जोड़ते जाऐं ।
फिर बाद में ( ङ् ) जोड़ते जाऐं जब तक कि दश लकार पूरे न हो जाएँ ।
जैसे
•• लट् लिट् लुट् लृट् लेट् लोट्
•• लङ् लिङ् लुङ् लृङ् ॥
इनमें लेट् लकार केवल वेद में प्रयुक्त होता है । लोक के लिए नौ लकार शेष रहे ।
अब इन नौ लकारों में लिङ् के दो भेद होते हैं :--
आशीर्लिङ् और विधिलिङ् ।
इस प्रकार लोक में दश के दश लकार हो गए ।
विशाखा स्वर्णकारस्य आपणं गच्छति।
= विशाखा सुनार की दुकान जाती है।
विशाखा सख्या सह गच्छति।
= विशाखा सखी के साथ जाती है।
सा कर्णपुष्पम् इच्छति।
= वो कान के टॉप चाहती है।
स्वर्णकारः अनेकविधानि कर्णपुष्पाणि दर्शयति।
= सुनार अनेक प्रकार के कान के टॉप दिखाता है।
सा प्रदर्शनमंजूषायां कर्णलोलकं पश्यति।
= वह शोकेस में कान का झुमका देखती है।
सा वदति - "कृपया कर्णलोलकं दर्शयतु।"
= वह बोलती - कृपया कान के झुमके दिखाईये।
स्वर्णकारः अनेकविधानि कर्णलोलकानि दर्शयति।
= सुनार अनेक प्रकार के कान के झुमके दिखाता है।
विशाखा स्वर्णस्य शुद्धताविषये पृच्छति।
= विशाखा सोने की शुद्धता के बारे में पूछती है।
स्वर्णकारः वदति "मम आपणे शुद्धमेव स्वर्णं मिलति।"
= सुनार बोलता है "मेरी दूकान में शुद्ध ही सोना मिलता है"
चतुर्विंशतिः पदं शुद्धं स्वर्णम् ।
= चौबीस कैरेट शुद्ध सोना।
विशाखा स्वकर्णे कर्णलोलकं स्थापयति।
= विशाखा अपने कान पर झुमका लगाती है।
सा दर्पणे मुखं पश्यति।
= वह दर्पण में अपना चेहरा देखती है।
विशाखायाः सखी वदति " बहु शोभते"
= विशाखा की सखी बोलती है " बहुत अच्छा लग रहा है"
"क्रीणातु "
= खरीद लीजिये।
विशाखा कर्णलोलकं क्रीणाति।
= विशाखा कान का झुमका खरीदती है।
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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वयं सर्वे
= हम सब ( हम सभी )
अधुना वयं सर्वे किं कुर्मः ?
= अभी हम सब क्या कर रहे हैं ?
वयं सर्वे ध्यानं कुर्मः ।
= हम सभी ध्यान कर रहे हैं ।
वयं सर्वे यज्ञम् कुर्मः ।
= हम सभी यज्ञ कर रहे हैं ।
वयं सर्वे पठामः ।
= हम सभी पढ़ रहे हैं ।
वयं सर्वे लिखामः ।
= हम सभी लिख रहे हैं ।
वयं सर्वे खादामः ।
= हम सभी खा रहे हैं ।
वयं सर्वे पिबामः ।
= हम सब पी रहे हैं ।
वयं सर्वे हसामः ।
= हम सभी हँस रहे हैं ।
वयं सर्वे गच्छामः ।
= हम सब जा रहे हैं ।
पहले सोचता हूँ फिर बोलता हूँ ।
= पूर्वं चिन्तयामि अनन्तरं वदामि ।
पहले सोचता हूँ फिर लिखता हूँ ।
= पूर्वं चिन्तयामि अनन्तरं लिखामि ।
बिना सोचे कुछ नहीं बोलता हूँ ।
= अविचार्य किमपि न वदामि ।
बिना सोचे कुछ नहीं लिखता हूँ ।
= अविचार्य किमपि न लिखामि ।
सत्य और प्रिय बोलने का प्रयत्न करता हूँ ।
= सत्यं,प्रियं च वक्तुं प्रयत्नं करोमि।
बिना सोचे कभी नहीं बोलना चाहिये
= अविचार्य कदापि न वक्तव्यम्
आपका सबका दिन मङ्गलमय हो ।
= भवतां सर्वेषां दिनं मङ्गलमयं भवेत् ।
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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वरुणः - सोपानेन उपरि चलाम
= सीढ़ी से ऊपर चलें ।
तेजसः - सोपानेन !! एकादशमे तले !!
= सीढ़ी से !! ग्यारहवीं मंजिल पर !!
तेजसः - उत्कर्षिणी अस्ति भो: !
= लिफ्ट है न
वरुणः - उत्कर्षिणीम् त्यज ।
= लिफ्ट को छोड़ो ।
वरुणः - आवां शीघ्रं शीघ्रम् आरोहावः ।
= हम दोनों जल्दी जल्दी चढ़ते हैं ।
तेजसः - तर्हि उरुक्रमेण आरोहणीयम्
= तो फिर बड़े बड़े कदमों से चढ़ना होगा ।
वरुणः - आम् , तथैव ।
= हाँ , वैसे ही ।
वरुणः - अद्य आवां व्यायामं न कृतवन्तौ ।
= आज हम दोनों ने व्यायाम नहीं किया ।
वरुणः - अतः सोपानेन एव आरोहावः ।
= इसलिये सीढ़ी से ही चढ़ते हैं ।
तेजसः - कार्यालयात् पादाभ्याम् आगतवन्तौ
= कार्यालय से हम दोनों पैदल आए
तेजसः - अधुना सोपानेन आरोहावः ... उफ् ....
= अब सीढ़ी से चढ़ रहे हैं .... उफ् ....
तस्य अपि गृहात् बहिः अस्वच्छता अस्ति।
= उसके भी घर के बाहर अस्वच्छता है ।
अद्य सः स्वच्छतां करोति।
= आज वह स्वच्छता कर रहा है
हस्ते मार्जनीं स्वीकृत्य स्वच्छतां करोति।
= हाथ में झाड़ू लेकर सफाई कर रहा है।
वस्त्रेण भित्तिं स्वच्छां करोति।
= कपड़े से दीवाल साफ कर रहा है
अङ्गणे बहूनि पर्णानि सन्ति।
= आँगन में बहुत से पत्ते हैं
सः पर्णानि एकस्मिन् भाण्डे पूरयति।
= वह पत्तों के एक डिब्बे में भरता है।
दूरं गत्वा सः क्षिप्स्यति।
= दूर जाकर फेंक देगा।
वातायनानि अपि मालिनानि सन्ति।
= खिड़कियाँ भी मैली हैं।
सः वातायनानि स्वच्छानि करोति।
= वह खिड़कियाँ साफ कर रहा है।
कार्यं समाप्य सः स्नानं करिष्यति।
= काम समाप्त करके वह नहाएगा।
अनन्तरं कार्यालयं गमिष्यति।
= बाद में ऑफिस जाएगा।
प्रतिदिनं सः माम् अंजारनगरे मिलति ।
= हररोज वह मुझे अंजार में मिलता है
सः मह्यं धनं ददाति ।
= वह मुझे पैसे देता है ।
अहं तस्मात् धनं स्वीकरोमि।
= मैं उससे धन लेता हूँ ।
तद् धनं मम कार्यालयस्य कृते भवति ।
= वो धन मेरे ऑफिस के लिये होता है ।
कार्यालायं गत्वा अहं धनं समर्पयामि ।
= कार्यालय जाकर मैं धन जमा करा देता हूँ
तस्य प्राप्तिपत्रं सायंकाले तस्मै ददामि।
= उसकी रसीद शाम को उसे देता हूँ
सः प्रतिदिनं मम प्रतीक्षां करोति।
= वह हररोज मेरी प्रतीक्षा करता है
माता पात्राणि प्रक्षालयति।
= माँ बर्तन धोती है।
चतुर्वर्षीया पुत्री पात्राणि वस्त्रेण प्रौञ्छति।
= चार वर्ष की बेटी बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।
चमसं प्रौञ्छति = चम्मच पोंछती है।
( चमसान् प्रौञ्छति = बहुत से चम्मच पोंछती है)
चषकं प्रौञ्छति = गिलास पोंछती है।
( चषकान् प्रौञ्छति = बहुत से गिलास पोंछती है)
स्थालिकां प्रौञ्छति = थाली पोंछती है।
( स्थालिकाः प्रौञ्छति = बहुत सी थालियाँ पोंछती है)
एका स्थालिका दीर्घा आसीत्।
= एक थाली बड़ी थी।
स्थालिका गुरुः अपि आसीत्।
= थाली भारी भी थी।
बालिकायाः हस्तात् स्थालिका पतिता।
= बच्ची के हाथ से थाली गिर गई।
बालिका - ओ.. स्थालिका पतिता।
= ओ ... थाली गिर गई।
माता - त्वं त्यज .. अहं प्रौन्क्ष्यामि।
= तुम छोड़ दो .. मैं पोंछ दूँगी।
बालिका - नैव अम्ब ! भवती कियत् कार्यं करिष्यति !!!
= नहीं माँ ! आप कितना काम करेंगी।
सा बालिका प्रतिदिनं मातुः साहाय्यं करोति।
= वह बच्ची प्रतिदिन माँ की सहायता करती है।
भवती / भवान् अपि करोति वा ?
= आप भी करते हैं क्या ?
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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सः ईश्वरः अस्ति ।
= वह ईश्वर है ।
सः जगदीश्वरः अस्ति ।
= वह जगदीश्वर है ।
सः परमेश्वरः अस्ति ।
= वह परमेश्वर है ।
तस्य अनेकानि नामानि सन्ति।
= उसके अनेक नाम हैं ।
सः सर्वेषां शिवं करोति ।
= वह सबका शुभ करता है ।
अतः तस्य नाम शिवः अस्ति ।
= इसलिये उसका नाम शिव है ।
शिवः अनादि अस्ति ।
= शिव अनादि है ।
शिवः अनन्तः अस्ति ।
= शिव अनन्त है ।
अद्य शिवरात्रि: अस्ति ।
= आज शिवरात्रि है ।
अद्य बोधरात्रि: अस्ति ।
= आज बोधरात्रि है ।
सर्वेभ्यः शिवरात्रे: पर्वणः शिवकामनाः
= सबको शिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएँ ।
प्रातः चतुर्वादने कन्यायाः आप्रच्छनं भवति
= सुबह चार बजे कन्या की बिदाई होती है।
कन्या बहु रोदिति।
= कन्या बहुत रोती है ।
कन्यायाः माता अपि रोदिति।
= कन्या की माँ भी रोती है
कन्यायाः पिता अपि रोदिति।
= कन्या का पिता भी रोता है।
कन्या मातरम् आलिङ्गति ।
= कन्या माँ को गले लगती है।
कन्या पितरम् आलिङ्गति ।
= कन्या पिता को गले लगती है।
कन्यायाः मातृस्वसा अश्रूणि प्रवाहयति।
= कन्या की मौसी आँसू बहाती है।
मतुलः एकस्मिन् कोणे स्थित्वा रोदिति।
= मामा एक कोने में खड़ा होकर रोता है
भ्राता भगिन्याः अश्रूणि प्रौञ्छति।
= भाई बहन के आँसू पोंछता है।
भ्राता अपि रोदिति।
= भाई भी रोता है।
कन्यायाः आप्रच्छन समये सर्वे रुदन्ति ।
= कन्या की बिदाई के समय सब रोते हैं।
अहं तं पश्यामि ।
= मैं उसको देख रहा हूँ ।
अहं तं श्रमिकं पश्यामि ।
= मैं उस मजदूर को देख रहा हूँ।
श्रमिकः भूमिं खनत्ति ।
= मजदूर जमीन खोद रहा है ।
सः तीक्ष्णेन कुदालेन प्रहारं करोति
= वह तीखे कुदाल से प्रहार करता है।
सः बलेन प्रहारं करोति।
= वह बलपूर्वक प्रहार करता है ।
तस्य भार्या गर्तात् मृत्तिकां निष्कासयति ।
= उसकी पत्नी गड्ढे से मिट्टी निकालती है ।
मध्याह्ने तौ द्वौ वृक्षस्य अधः उपविशतः ।
= दोपहर को वो दोनों वृक्ष के नीचे बैठते हैं ।
द्वौ एकसाकं भोजनं कुरुतः ।
= दोनों एक साथ भोजन करते हैं ।
एका मूषिका गृहस्य अन्तः प्रविष्टा
= एक चुहिया घर के अंदर घुसी है।
सा इतस्ततः धावति।
= वह यहाँ से वहाँ दौड़ती है।
बहु वेगेन धावति।
= बहुत तेज दौड़ती है।
अधुनैव कपाटिकायाः पृष्ठे आसीत्।
= अभी अभी कपाट के पीछे थी।
शीघ्रमेव सा पर्यंकस्य अधः गता।
= जल्दी से वो पलँग के नीचे चली गई।
ओह ... अधुना सा उत्पीठिकायाः उपरि अस्ति।
= ओह ... अभी वो टेबल के ऊपर है।
कथं गृह्णानि ?
= कैसे पकड़ूँ ?
सा मूषिका मम पुस्तकानि खादिष्यति।
= वो चुहिया मेरी पुस्तकें खा जाएगी।
बिडाली तत्र भ्रमति।
= बिल्ली वहाँ घूम रही है।
कथं बिडालीम् आनयानि ?
= बिल्ली को कैसे लाऊँ ?
तां हस्तेन गृह्णामि।
= उसको हाथ से पकड़ता हूँ।
सा तु गृहपशुः भवति।
= वो तो पालतू होती है।
बिडाली आगता ....
= बिल्ली आ गई ....
-- अखिलेश आचार्य
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